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कछार के गांवों में बाढ़ से दुश्वारियां
Bahraich
Updated Mon, 13 Aug 2012 12:00 PM IST
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कहीं भी, कभी भी।
श्रावस्ती। कछार के गांवों में राप्ती की विनाश लीला जारी है। कई गांवों में ग्रामीण अपना आशियाना खुद तोड़ने को मजबूर हैं। वहीं राप्ती की तेज धाराएं एक-एक कर किसानों को भूमिहीन बनाने पर अमादा है। इसके बाद भी प्रशासन की ओर से कटान पीड़ितों को आवश्यक सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं।
राप्ती नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है। इसके चलते राप्ती की धाराओं का वेग काफी बढ़ चुका है। इसकी धाराएं रविवार शाम तक भिनगा व इकौना तहसील क्षेत्र के करीब 28 गांव में करीब 38 एकड़ कृषि भूमि को अपने में समाहित कर चुकी है। वहीं नदी के घटते जलस्तर के साथ ही बगहा, विराहिमपुर, जिवनारायणपुर, शिवराजपुर, संगमपुरवा, बेलरी, गंगाभागड़, भौंसाएं, इमिलिया, सुजानडीह, अमवा, वीरपुर लौकिहा सहित कई अन्य गांव राप्ती की कटान के मुहाने पर हैं। यदि राप्ती इसी वेग से कटान करती रही तो इन गांवों का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। राप्ती की इस विनाश लीला को देखते हुए अमवा व वीरपुर लौकिहा, मुजेहना सहित कई अन्य गांवों में ग्रामीण अपने हाथों अपना आशियाना उजाड़ रहे हैं। वहीं राप्ती कुड़वा, बेलरी, रामपुर किढ़िहौना, कोलाभार मझगवां, रामपुर कटेल, जगरावल, कुम्हारगढ़ी, कोंड़री केवट, गनेशीजोत सहित करीब 28 गांव में लगभग 38 एकड़ कृषि भूमि को काटकर अपनी धारा में मिला चुकी हैं। इसके बाद भी ग्रामीणों को प्रशासन की ओर से राहत के नाम पर न तो एक भी दाना खाद्यान्न दिया गया और न ही अन्य सुविधाएं ही, जिससे प्रभावित गांवों के लोगों में प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है। उपजिलाधिकारी भिनगा श्रीराम यादव कहते हैं कि राजस्व लेखपालों को भेजकर बाढ़ व कटान प्रभावित लोगों का चिह्निकरण कराया जा रहा है। जल्द प्रभावितों को सहायता दिलाई जाएगी।
श्रावस्ती। कछार के गांवों में राप्ती की विनाश लीला जारी है। कई गांवों में ग्रामीण अपना आशियाना खुद तोड़ने को मजबूर हैं। वहीं राप्ती की तेज धाराएं एक-एक कर किसानों को भूमिहीन बनाने पर अमादा है। इसके बाद भी प्रशासन की ओर से कटान पीड़ितों को आवश्यक सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं।
राप्ती नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है। इसके चलते राप्ती की धाराओं का वेग काफी बढ़ चुका है। इसकी धाराएं रविवार शाम तक भिनगा व इकौना तहसील क्षेत्र के करीब 28 गांव में करीब 38 एकड़ कृषि भूमि को अपने में समाहित कर चुकी है। वहीं नदी के घटते जलस्तर के साथ ही बगहा, विराहिमपुर, जिवनारायणपुर, शिवराजपुर, संगमपुरवा, बेलरी, गंगाभागड़, भौंसाएं, इमिलिया, सुजानडीह, अमवा, वीरपुर लौकिहा सहित कई अन्य गांव राप्ती की कटान के मुहाने पर हैं। यदि राप्ती इसी वेग से कटान करती रही तो इन गांवों का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। राप्ती की इस विनाश लीला को देखते हुए अमवा व वीरपुर लौकिहा, मुजेहना सहित कई अन्य गांवों में ग्रामीण अपने हाथों अपना आशियाना उजाड़ रहे हैं। वहीं राप्ती कुड़वा, बेलरी, रामपुर किढ़िहौना, कोलाभार मझगवां, रामपुर कटेल, जगरावल, कुम्हारगढ़ी, कोंड़री केवट, गनेशीजोत सहित करीब 28 गांव में लगभग 38 एकड़ कृषि भूमि को काटकर अपनी धारा में मिला चुकी हैं। इसके बाद भी ग्रामीणों को प्रशासन की ओर से राहत के नाम पर न तो एक भी दाना खाद्यान्न दिया गया और न ही अन्य सुविधाएं ही, जिससे प्रभावित गांवों के लोगों में प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है। उपजिलाधिकारी भिनगा श्रीराम यादव कहते हैं कि राजस्व लेखपालों को भेजकर बाढ़ व कटान प्रभावित लोगों का चिह्निकरण कराया जा रहा है। जल्द प्रभावितों को सहायता दिलाई जाएगी।