बागपत। सीन - 1
स्थान : एडीजे कोर्ट परिसर
समय : दोपहर 11.40 बजे
मिर्धानपुरा ट्रिपल मर्डर केस में दोषी ठहराए जा चुके 19 कातिल कोर्ट में ले जाए गए। सबके चेहरे पर टेंशन। नजरे जमीन की तरफ और कैमरे की फ्लैश पड़ते ही एक गुस्से में बोलता है- भतेरे फोटू छप लिए, अब तो रहण दे।
सीन - 2
स्थान : एडीजे कोर्ट कोर्ट परिसर
समय : दोपहर के 3.05 बजे
उम्रकैद की सजा पाए 19 कातिलों को जेल ले जाने के लिए पुलिस की गाड़ी में बैठते हुए गफ्फार, आबिद, सोनू कहते हैं-ऊपर वाले ने जो किया, अच्छा किया। फिर गफ्फार शेर सुनाता है-चलेगी आंधी, उड़ेगी धूल, हमारे चेहरे पर ऐसे ही खिलेंगे फूल। इतना ही नहीं, वह मीडियाकर्मियों से जोर देकर यह भी कहता है, इस शेर को छाप जरूर दियो, मैं कल जेल में अखबार पढ़ूंगा।
गाड़ी के चारों ओर पुलिस ही पुलिस है, तभी सन्नो को आगे की तरफ बैठाया जाता है। वह गाड़ी में बैठते ही एक पर्ची फेंकती है। उसे पुलिसवाला उठा लेता है। इस पर लिखा था, हाजी निजाकत को पैसे मत देना। तभी एक और पर्ची गिरती है। इस पर लिखा था, फैसले की कॉपी कराकर कोर्ट भेज देना। मुजरिम ये पर्चियां अपने परिजनों को देना चाहते थे। इसके बाद इन कैदियों ने गाड़ी में शोर मचाना शुरू कर दिया। बोले, हमारे कपड़े और सामान दो। 19 में से 10 ने बीड़ी सुलगा ली।
पुलिस ने कहा, सामान परिवार वालों को देंगे। बोले-नहीं, हमें जेल में चाहिए। उधर, थोड़ी दूरी पर खड़ीं उनके परिवार की दो महिलाएं जोर-जोर से रोने लगीं। बोलीं, अब हमारा क्या होगा?, उन्हें अन्य महिलाओं ने यह कहकर दिलासा दिया कि तुम्हारे आदमी तो जेल में रहेंगे, जब चाहो मिल सकती हो। ये सोचो, अगर फांसी की सजा हो जाती तो क्या होता!
10 ने मारा, 10 पुलिस ने फंसाए
बागपत। कोर्ट से मुस्कुराते हुए लौटे कातिलों ने जेल जाते समय सोनू, आबिद और गफ्फार फैसले के बारे में बोले-कोर्ट से कोई शिकवा नहीं। सारी गलती पुलिस की है। 10 लोगों ने कत्ल किए थे। पुलिस ने 10 अपनी तरफ से बढ़ा दिए। उन्होंने हाइकोर्ट में अपील के बारे में कुछ नहीं कहा।