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आजमगढ़। इस साल एफसीआई के रवैये से सरकारी एजेंसियां किसानों से धान खरीदने में फ्लाप साबित हुईं। हालत यह है कि चार माह गुजर जाने के बाद भी निर्धारित लक्ष्य 82 हजार एमटी के सापेक्ष मात्र 13 फीसदी लगभग 10 हजार एमटी की ही खरीद हो सकी। एफसीआई से चावल वापस किए जाने से राइस मिलर क्रय केंद्रों से धान उठाने से कतरा रहे हैं। मजबूरी में किसान औने-पौने दाम पर आढ़तियों को अपना उपज बेचने को मजबूर हैं।
जिले में धान की अधिक पैदावार को देखते हुए पिछले साल की तुलना में इस साल धान खरीद का लक्ष्य 70 हजार एमटी से बढ़ा कर 82 हजार एमटी कर दिया गया। किसानों के लिए लाभकारी मूल्य प्रति कुंटल 1250 रुपए निर्धारित किया गया। लक्ष्य को हासिल करने के लिए विपणन शाखा को 42 हजार एमटी, पीसीएफ को 21 हजार एमटी, यूपी एग्रो को 13 हजार एमटी, नेफेड को पांच हजार एमटी खरीद की जिम्मेदारी दी गई। पहली अक्टूबर से 28 फरवरी तक खरीद का समय है। लेकिन खरीदारी शुरू होने के बाद से एफसीआई ने राइस मिलरों के चावल को मानक के विपरीत बताते हुए लेने से इंकार दिया। इस पर पिछले महीने मार्केटिंग इंस्पेक्टर जहां हड़ताल पर रहे। वहीं, राइस मिलरों ने एफसीआई गोदाम पर ताला जड़ कर धरने पर बैठ गए थे। इस दौरान जिला प्रशासन की पहल पर किसी तरह एफसीआई ने जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में मिलरों से चावल लेने को तैयार हुआ, लेकिन 50 ट्रकों में 15 ट्रक चावल घटिया बता कर वापस कर दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में राइस मिलर धान क्रय केंद्रों से धान की कुटाई करने से कतरा रहे हैं।
इधर सरकारी एजेंसियों को खरीद का लक्ष्य हासिल करने में पसीने छूटे रहे हैं। चार माह गुजर जाने के बाद भी सरकारी एजेंसियां निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 13 फीसदी ही धान की ही खरीद कर पाई हैं। जबकि पिछले साल अब तक 50 फीसदी खरीद का रिकार्ड बनाया गया था। इधर गेहूं की बोवाई और सिंचाई के बाद खाली हुए किसानों में धान बेचने की होड़ मचनी शुरू हुई, तो उन्हें क्रय केंद्रों पर कहीं तौल तो कहीं पर बोरे के अभाव में वापस होना पड़ रहा है। सरकारी एजेंसिंयों के फ्लाप साबित होने पर किसान अपना उपज आढ़तियों को औनेपौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं। डिप्टी आरएमओ निश्चल आनंद ने बताया कि राइस मिलरों से एफसीआई द्वारा चावल न लेने के विरोध में एक महीने की हड़ताल के दौरान खरीद पूरी तरह ठप रही है। इसी बीच खरीद शुरू की गई, तो एफसीआई पुन: चावल वापस करने लगा है। ऐसी स्थिति में धान की खरीद प्रभावित हो रही है।
आजमगढ़। इस साल एफसीआई के रवैये से सरकारी एजेंसियां किसानों से धान खरीदने में फ्लाप साबित हुईं। हालत यह है कि चार माह गुजर जाने के बाद भी निर्धारित लक्ष्य 82 हजार एमटी के सापेक्ष मात्र 13 फीसदी लगभग 10 हजार एमटी की ही खरीद हो सकी। एफसीआई से चावल वापस किए जाने से राइस मिलर क्रय केंद्रों से धान उठाने से कतरा रहे हैं। मजबूरी में किसान औने-पौने दाम पर आढ़तियों को अपना उपज बेचने को मजबूर हैं।
जिले में धान की अधिक पैदावार को देखते हुए पिछले साल की तुलना में इस साल धान खरीद का लक्ष्य 70 हजार एमटी से बढ़ा कर 82 हजार एमटी कर दिया गया। किसानों के लिए लाभकारी मूल्य प्रति कुंटल 1250 रुपए निर्धारित किया गया। लक्ष्य को हासिल करने के लिए विपणन शाखा को 42 हजार एमटी, पीसीएफ को 21 हजार एमटी, यूपी एग्रो को 13 हजार एमटी, नेफेड को पांच हजार एमटी खरीद की जिम्मेदारी दी गई। पहली अक्टूबर से 28 फरवरी तक खरीद का समय है। लेकिन खरीदारी शुरू होने के बाद से एफसीआई ने राइस मिलरों के चावल को मानक के विपरीत बताते हुए लेने से इंकार दिया। इस पर पिछले महीने मार्केटिंग इंस्पेक्टर जहां हड़ताल पर रहे। वहीं, राइस मिलरों ने एफसीआई गोदाम पर ताला जड़ कर धरने पर बैठ गए थे। इस दौरान जिला प्रशासन की पहल पर किसी तरह एफसीआई ने जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में मिलरों से चावल लेने को तैयार हुआ, लेकिन 50 ट्रकों में 15 ट्रक चावल घटिया बता कर वापस कर दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में राइस मिलर धान क्रय केंद्रों से धान की कुटाई करने से कतरा रहे हैं।
इधर सरकारी एजेंसियों को खरीद का लक्ष्य हासिल करने में पसीने छूटे रहे हैं। चार माह गुजर जाने के बाद भी सरकारी एजेंसियां निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 13 फीसदी ही धान की ही खरीद कर पाई हैं। जबकि पिछले साल अब तक 50 फीसदी खरीद का रिकार्ड बनाया गया था। इधर गेहूं की बोवाई और सिंचाई के बाद खाली हुए किसानों में धान बेचने की होड़ मचनी शुरू हुई, तो उन्हें क्रय केंद्रों पर कहीं तौल तो कहीं पर बोरे के अभाव में वापस होना पड़ रहा है। सरकारी एजेंसिंयों के फ्लाप साबित होने पर किसान अपना उपज आढ़तियों को औनेपौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं। डिप्टी आरएमओ निश्चल आनंद ने बताया कि राइस मिलरों से एफसीआई द्वारा चावल न लेने के विरोध में एक महीने की हड़ताल के दौरान खरीद पूरी तरह ठप रही है। इसी बीच खरीद शुरू की गई, तो एफसीआई पुन: चावल वापस करने लगा है। ऐसी स्थिति में धान की खरीद प्रभावित हो रही है।