आजमगढ़। शासन द्वारा एनसीएचआरएच क्लीनिकल स्टेबिलिशमेंट बिल के विरोध में सोमवार को जिले के लगभग सभी प्राइवेट डाक्टर अपनी-अपनी क्लीनिक बंद करके हड़ताल में शामिल रहे। दूसरी तरफ डाक्टरों को दिखाने के लिए आए मरीज काफी इंतजार के बाद घर लौट गए।
जिले में मौजूद प्राइवेट से लेकर सरकारी डाक्टर शासन के तरफ से पारित बिल के विरोध में रहें। इसी क्रम में आईएमए से लेकर सरकारी अस्पताल तक के सभी अस्पतालों पर ताले लटके रहे। इसमें सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट नर्सिगिं होम का संचालन करने वाले डाक्टर भी शामिल थे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सोमवार को डाक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों पर मानो कहर टूट पड़ा। हालांकि हड़ताल से इमरजेंसी सेवा को दूर रखा गया था। इसके बाद भी समस्या से मरीज दो-चार हुए। हालांकि डाक्टरों के संगठन की तरफ से पहले से ही इस हड़ताल की घोषणा कर द गई थी। इसका परिणाम था कि ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी थी। लेकिन देहाती क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को इस हड़ताल की जानकारी नहीं थी, इसका परिणाम हुआ कि मरीज काफी परेशान रहे। कारण उन्हें बिना डाक्टर को दिखाए बैंरग लौटना पड़ा। डाक्टरों के इस हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी नवजात शिशुओं को हुई। कुल मिलाकर सोमवार को शायद ही कोई ऐसा डाक्टर नहीं था, जिसकी क्लीनिक से एक दर्जन मरीज वापस न लौटे हो। इमरजेंसी के मरीज न चाहते हुए भी जिला अस्पताल का सहारा लिए।
सरकारी व्यवस्थाओं के खिलाफ है आंदोलन
डाक्टर अनूप सिंह यादव ने कहा
आजमगढ़। शहर के मड़या क्षेत्र में स्थित एक प्राइवेट नर्सिगिं होम के जानेमाने डाक्टर अनूप सिंह यादव ने बताया कि शासन द्वारा लागू किए जाने वाले एनसीएचआरएच क्लीनिकल स्टेबिलिशमेंट बिल और एमसीआई को भंग करने का निर्णय बेहद निराशाजनक है, जिसका सभी लोग विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि इस बिल के जरिए सरकार प्राइवेट डाक्टरों को हर तरह से प्रताडि़त करने की कोशिश कर रही है। क्योंकि बिल के तहत किसी भी मरीज के आने पर डाक्टर को उसका उपचार करना है। हालत गंभीर होने पर रेफर नहीं करना है। ऐसे में हार्ट के मरीज का उपचार बच्चों का डाक्टर किस प्रकार कर सकेगा। श्री यादव ने कहा कि सरकार का यह निर्णय प्राइवेट डाक्टरों को प्रताडि़त और परेशान करने वाला निर्णय है। इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा।
बंद थी ओपीडी परेशान थे मरीज
आजमगढ़। डाक्टरों के हड़ताल करने का परिणाम रहा कि जिला अस्पताल के डाक्टर भी हड़ताल पर रहें, इसका परिणाम रहा कि सोमवार को सदर अस्पताल की ओपीडी बंद रही। इस दौरान जिला अस्पताल पर पहुंचे मरीजों को बैरंग वापस लौटना पड़ा। लेकिन इमरजेेंसी मरीजों की अस्पताल में काफी भीड़ थी। सीएमएस डा. केपी मिश्रा ने बताया कि इमरजेंसी में रोज की तुलना में आज कुछ ज्यादा मरीजों की भीड़ रही। लेकिन पहले से ही जानकारी होने की वजह से हमने अतिरिक्त व्यवस्था करवा ली थी। जिससे किसी को कोई खास दिक्कत नहीं हुई।
आजमगढ़। शासन द्वारा एनसीएचआरएच क्लीनिकल स्टेबिलिशमेंट बिल के विरोध में सोमवार को जिले के लगभग सभी प्राइवेट डाक्टर अपनी-अपनी क्लीनिक बंद करके हड़ताल में शामिल रहे। दूसरी तरफ डाक्टरों को दिखाने के लिए आए मरीज काफी इंतजार के बाद घर लौट गए।
जिले में मौजूद प्राइवेट से लेकर सरकारी डाक्टर शासन के तरफ से पारित बिल के विरोध में रहें। इसी क्रम में आईएमए से लेकर सरकारी अस्पताल तक के सभी अस्पतालों पर ताले लटके रहे। इसमें सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट नर्सिगिं होम का संचालन करने वाले डाक्टर भी शामिल थे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सोमवार को डाक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों पर मानो कहर टूट पड़ा। हालांकि हड़ताल से इमरजेंसी सेवा को दूर रखा गया था। इसके बाद भी समस्या से मरीज दो-चार हुए। हालांकि डाक्टरों के संगठन की तरफ से पहले से ही इस हड़ताल की घोषणा कर द गई थी। इसका परिणाम था कि ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी थी। लेकिन देहाती क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को इस हड़ताल की जानकारी नहीं थी, इसका परिणाम हुआ कि मरीज काफी परेशान रहे। कारण उन्हें बिना डाक्टर को दिखाए बैंरग लौटना पड़ा। डाक्टरों के इस हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी नवजात शिशुओं को हुई। कुल मिलाकर सोमवार को शायद ही कोई ऐसा डाक्टर नहीं था, जिसकी क्लीनिक से एक दर्जन मरीज वापस न लौटे हो। इमरजेंसी के मरीज न चाहते हुए भी जिला अस्पताल का सहारा लिए।
सरकारी व्यवस्थाओं के खिलाफ है आंदोलन
डाक्टर अनूप सिंह यादव ने कहा
आजमगढ़। शहर के मड़या क्षेत्र में स्थित एक प्राइवेट नर्सिगिं होम के जानेमाने डाक्टर अनूप सिंह यादव ने बताया कि शासन द्वारा लागू किए जाने वाले एनसीएचआरएच क्लीनिकल स्टेबिलिशमेंट बिल और एमसीआई को भंग करने का निर्णय बेहद निराशाजनक है, जिसका सभी लोग विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि इस बिल के जरिए सरकार प्राइवेट डाक्टरों को हर तरह से प्रताडि़त करने की कोशिश कर रही है। क्योंकि बिल के तहत किसी भी मरीज के आने पर डाक्टर को उसका उपचार करना है। हालत गंभीर होने पर रेफर नहीं करना है। ऐसे में हार्ट के मरीज का उपचार बच्चों का डाक्टर किस प्रकार कर सकेगा। श्री यादव ने कहा कि सरकार का यह निर्णय प्राइवेट डाक्टरों को प्रताडि़त और परेशान करने वाला निर्णय है। इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा।
बंद थी ओपीडी परेशान थे मरीज
आजमगढ़। डाक्टरों के हड़ताल करने का परिणाम रहा कि जिला अस्पताल के डाक्टर भी हड़ताल पर रहें, इसका परिणाम रहा कि सोमवार को सदर अस्पताल की ओपीडी बंद रही। इस दौरान जिला अस्पताल पर पहुंचे मरीजों को बैरंग वापस लौटना पड़ा। लेकिन इमरजेेंसी मरीजों की अस्पताल में काफी भीड़ थी। सीएमएस डा. केपी मिश्रा ने बताया कि इमरजेंसी में रोज की तुलना में आज कुछ ज्यादा मरीजों की भीड़ रही। लेकिन पहले से ही जानकारी होने की वजह से हमने अतिरिक्त व्यवस्था करवा ली थी। जिससे किसी को कोई खास दिक्कत नहीं हुई।