अतरौलिया। अतरौलिया क्षेत्र के प्रथम देव आश्रम बहिरादेव पर चल रहे गायत्री महायज्ञ में यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा है। लोगों ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
प्रवचन में जनकपुर से पधारे डा. चंद्रकांत चतुर्वेदी ने कहा कि जब इस धरा पर अकाल पड़ता है तो ऋषिमुनी यज्ञ का आयोजन करते हैं। क्योंकि मानव जीवन में यज्ञ का महत्व है। यज्ञशाला में जब मंत्रोच्चार के साथ आहुति की जाती है। तो देवता प्रसन्न होकर अमृत वर्षा करते हैँ। इससे धरा पर अन्नजल उत्पन्न होता है और मानव तथा सभी प्राणी सुखपूर्वक जीते हैं। रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने कहा है कि यज्ञ से परमात्मा का प्रादुर्भाव हुआ है। खुद भगवान राम का जन्म भी यज्ञ के माध्यम से हुआ है। वाराणसी से पधारे मानस मयंग जी ने सत्संग पर चर्चा की। प्रवचन के अंतिम चरण में मयंक जी ने श्रद्धालुओं का आशीर्वचन दिया। इस मौके पर संत शिरोमणि श्रीश्री मुसई दास के शिष्य पूज्यपाद हरिबंश दास जी, प्रेमदास जी, विनोद सिंह गौरा, माखन सिंह गौरा, रामचंदन तिवारी, दूधनाथ, अशोक आदि रहे।