आजमगढ़। पीएमआरवाई ऋण योजना से बेहतर भविष्य के सपने संजोने वाले बेरोजगारों के सपने अब सब्सिडी के बंद हो जाने से बिखरने लगे हैं। योजना के तहत जिले में 71 लोगों को चयनित किया गया था,लेकिन अनुदान राशि न मिलने से वे परेशान और कंगाल हैं। यही नहीं वसूली के भय से मारे-मारे फिर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए जिला उद्योग केंद्र ने प्रधान मंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत जिले के 71 लाभार्थियों का चयन किया था। योजना के तहत लाभार्थियों को 25 से 35 प्रतिशत तक का अनुदान ग्रामीण क्षेत्र के और 25 से 30 प्रतिशत का अनुदान शहरी क्षेत्र के रहने वाले लाभार्थियों को दिया जाना है। जिला उद्योग केंद्र द्वारा योजना के तहत वर्ष 2009-10 में 35 और 2010-11 में 36 पात्रों का चयन किया गया। लाभार्थियों की मानें तो बैंक से रकम मिलने के बाद सभी लोग अपने-अपने रोजगार स्थापित किए। अभी व्यवसाय पूरी तरह से चल भी नहीं पाया था कि पता चला कि केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि बंद कर दी गई। दूसरी तरफ सरकार से मिलने वाली छूट की रकम न मिलने पर बैंक के लोग अब पूरी रकम लाभार्थियों से ही वसूल रहे हैं। बैंक द्वारा पहले तो सभी को चेतावनी दी गई थी। लेकिन अब आरसी और धरपकड़ तक की नौबत आ रही है। ऐसे में लाभार्थी अब अपने-अपने रोजगार बंद करके बैंक अधिकारियों के कहर से बचने की जुगत तलाश रहे हैं। दबाव के चलते लगभग आधा दर्जन से अधिक लाभार्थियों के समक्ष खेत बेचने तक की नौबत आ गई है। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक कविंद्र सिंह यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृृजन योजना के तहत मिलने वाली अनुदान राशि के लिए कई बार शासन को पत्र भेजा गया। लेकिन न तो अभी तक कोई सुनवाई हुई और न ही वर्ष 2012-13 के लिए लाभार्थियों के चयन का कोई प्रस्ताव ही आया।
इनसेट
राइस मिल से चौखट तक के लिए लिया था कर्ज
आजमगढ़। पीएमआरवाई ऋण योजना से बेरोजगारों ने राइसमिल से लेकर चौखट बाजू के धंधे अपनाकर बेहतर भविष्य के सपने संजोए थे,लेकिन अब वे हताश हैं। योजना के तहत चयनित लाभार्थी राइस मिल, आटा चक्की, सीमेंट की जाली, कंप्यूटर एसेंबल, बक्सा बखारी, चौखट बाजू आदि रोजगार के लिए संबंधित बैंकों से ऋण लिए। कर्ज लेने वाले लाभार्थियों में सबसे अधिक राशि सात लाख रुपए तक की है।
आजमगढ़। पीएमआरवाई ऋण योजना से बेहतर भविष्य के सपने संजोने वाले बेरोजगारों के सपने अब सब्सिडी के बंद हो जाने से बिखरने लगे हैं। योजना के तहत जिले में 71 लोगों को चयनित किया गया था,लेकिन अनुदान राशि न मिलने से वे परेशान और कंगाल हैं। यही नहीं वसूली के भय से मारे-मारे फिर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए जिला उद्योग केंद्र ने प्रधान मंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत जिले के 71 लाभार्थियों का चयन किया था। योजना के तहत लाभार्थियों को 25 से 35 प्रतिशत तक का अनुदान ग्रामीण क्षेत्र के और 25 से 30 प्रतिशत का अनुदान शहरी क्षेत्र के रहने वाले लाभार्थियों को दिया जाना है। जिला उद्योग केंद्र द्वारा योजना के तहत वर्ष 2009-10 में 35 और 2010-11 में 36 पात्रों का चयन किया गया। लाभार्थियों की मानें तो बैंक से रकम मिलने के बाद सभी लोग अपने-अपने रोजगार स्थापित किए। अभी व्यवसाय पूरी तरह से चल भी नहीं पाया था कि पता चला कि केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि बंद कर दी गई। दूसरी तरफ सरकार से मिलने वाली छूट की रकम न मिलने पर बैंक के लोग अब पूरी रकम लाभार्थियों से ही वसूल रहे हैं। बैंक द्वारा पहले तो सभी को चेतावनी दी गई थी। लेकिन अब आरसी और धरपकड़ तक की नौबत आ रही है। ऐसे में लाभार्थी अब अपने-अपने रोजगार बंद करके बैंक अधिकारियों के कहर से बचने की जुगत तलाश रहे हैं। दबाव के चलते लगभग आधा दर्जन से अधिक लाभार्थियों के समक्ष खेत बेचने तक की नौबत आ गई है। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक कविंद्र सिंह यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृृजन योजना के तहत मिलने वाली अनुदान राशि के लिए कई बार शासन को पत्र भेजा गया। लेकिन न तो अभी तक कोई सुनवाई हुई और न ही वर्ष 2012-13 के लिए लाभार्थियों के चयन का कोई प्रस्ताव ही आया।
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राइस मिल से चौखट तक के लिए लिया था कर्ज
आजमगढ़। पीएमआरवाई ऋण योजना से बेरोजगारों ने राइसमिल से लेकर चौखट बाजू के धंधे अपनाकर बेहतर भविष्य के सपने संजोए थे,लेकिन अब वे हताश हैं। योजना के तहत चयनित लाभार्थी राइस मिल, आटा चक्की, सीमेंट की जाली, कंप्यूटर एसेंबल, बक्सा बखारी, चौखट बाजू आदि रोजगार के लिए संबंधित बैंकों से ऋण लिए। कर्ज लेने वाले लाभार्थियों में सबसे अधिक राशि सात लाख रुपए तक की है।