आजमगढ़। जिलाधिकारी की स्वीकृति मिलने के बाद श्रम विभाग जिले में और नए 18 बाल श्रम स्कूल खोलने की तैयारी कर रहा है। इससे जहां 900 गरीब बच्चों का भविष्य सुधारा जा सकता है। वहीं, 90 बेरोजगार लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा।
उप श्रमायुक्त रामऔतार श्रीवास की मानें तो जिले में कुल 22 बाल श्रम के विद्यालय संचालित हैं। किराए के मकान में चलने वाले इन विद्यालयों में लगभग 1000 बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों में ज्यादातर ऐसे बच्चे शामिल हैं जिन्हें आर्थिक तंगी की वजह से लिखने-पढ़ने की बजाय माता-पिता नौकरी करवा रहे थे। ऐसे बच्चों की शिक्षा सहित अन्य सुविधाएं विभाग द्वारा वहन की जाती हैं। संचालित होने वाले स्कूलों में अध्यापक, लिपिक, चपरासी आदि मिलाकर पांच का स्टाफ की जगह है।
प्रत्येक स्कूल में 50 बच्चों को ही पढ़ाया जा सकता है। उप श्रमायुक्त की मानें तो जिले में बेरोजगारी के चलते ज्यादातर परिवार के लोग अपने बच्चों को पढ़ने की अवस्था में मजदूरी करवाते हैं। जिन्हें विभाग के लेबर इंस्पेक्टरों द्वारा मुक्त कराकर स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है। लेकिन बच्चों की संख्या अधिक और विद्यालय कम होने की वजह से काफी परेशानी होती थी। इसलिए जिले में और बाल श्रम स्कूल खोले जाने की डिमांड की गई थी। इसके तहत जिले में 18 और नए स्कूल खोलने की अनुमति जिलाधिकारी ने दे दी। रामऔतार श्रीवास ने बताया कि 18 नए स्कूल खुलने से जिले के 900 और बच्चों का भविष्य सुधारा जा सकता है। इसके अलावा अध्यापक, लिपिक, चपरासी सहित 90 लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा। उन्होंने बताया कि अनुमति मिलने के बाद स्कूल खोलने के लिए भवनों की तलाश जारी है। इन स्कूलों के खुलते ही जिले में कुल 40 बाल श्रम विभाग के स्कूल हो जाएंगे।
आजमगढ़। जिलाधिकारी की स्वीकृति मिलने के बाद श्रम विभाग जिले में और नए 18 बाल श्रम स्कूल खोलने की तैयारी कर रहा है। इससे जहां 900 गरीब बच्चों का भविष्य सुधारा जा सकता है। वहीं, 90 बेरोजगार लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा।
उप श्रमायुक्त रामऔतार श्रीवास की मानें तो जिले में कुल 22 बाल श्रम के विद्यालय संचालित हैं। किराए के मकान में चलने वाले इन विद्यालयों में लगभग 1000 बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों में ज्यादातर ऐसे बच्चे शामिल हैं जिन्हें आर्थिक तंगी की वजह से लिखने-पढ़ने की बजाय माता-पिता नौकरी करवा रहे थे। ऐसे बच्चों की शिक्षा सहित अन्य सुविधाएं विभाग द्वारा वहन की जाती हैं। संचालित होने वाले स्कूलों में अध्यापक, लिपिक, चपरासी आदि मिलाकर पांच का स्टाफ की जगह है।
प्रत्येक स्कूल में 50 बच्चों को ही पढ़ाया जा सकता है। उप श्रमायुक्त की मानें तो जिले में बेरोजगारी के चलते ज्यादातर परिवार के लोग अपने बच्चों को पढ़ने की अवस्था में मजदूरी करवाते हैं। जिन्हें विभाग के लेबर इंस्पेक्टरों द्वारा मुक्त कराकर स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है। लेकिन बच्चों की संख्या अधिक और विद्यालय कम होने की वजह से काफी परेशानी होती थी। इसलिए जिले में और बाल श्रम स्कूल खोले जाने की डिमांड की गई थी। इसके तहत जिले में 18 और नए स्कूल खोलने की अनुमति जिलाधिकारी ने दे दी। रामऔतार श्रीवास ने बताया कि 18 नए स्कूल खुलने से जिले के 900 और बच्चों का भविष्य सुधारा जा सकता है। इसके अलावा अध्यापक, लिपिक, चपरासी सहित 90 लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा। उन्होंने बताया कि अनुमति मिलने के बाद स्कूल खोलने के लिए भवनों की तलाश जारी है। इन स्कूलों के खुलते ही जिले में कुल 40 बाल श्रम विभाग के स्कूल हो जाएंगे।