ठेकमा। किसानों के हित की बात तो सभी करते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। किसान पानी, बिजली सहित अपने फसलों को बेचने आदि के लिए दर-दर भटकते रहते हैं, अधिकारी कार्यालयों में बैठकर केवल दिशा-निर्देश देकर कोरम पूरा कर लेते हैं। शारदा सहायक खंड-23 में पिछले डेढ़ माह से पानी नहीं आया है। किसान गेहूं की कटाई करने के बाद पानी आने की राह देख रहे हैं। पानी न आने से किसान सब्जी, गन्ना आदि फसलों की बुआई नहीं कर पाए हैं। प्राइवेट ट्यूबवेल से खेती महंगा पड़ने के कारण खेत खाली ही पड़े हैं। किसानों का कहना है कि पानी समय से आ जाता तो कुछ आय हो जाती। किसानों ने जिलाधिकारी सहित उच्चाधिकारियों से नहर में पानी छोड़े जाने की मांग की है।
बता दें कि ठेकमा ब्लाक से गुजरी उक्त नहर से लगभग सैकड़ों गांव के किसान खेतों की सिंचाई करते हैं। लेकिन डेढ़ माह से नहर में पानी नहीं आया। पानी न आने से किसान गन्ना, सब्जी, मक्का, सनई आदि की बुआई न कर पाए हैं। वर्तमान में किसानों के खेत खाली पड़े हैं। किसान विभाग को कोस रहे हैं कि यदि समय से पानी मिल जाता तो धान की फसल बोने के समय तक उक्त फसलों से कुछ लाभ मिल जाता। कुछ किसान तो प्राइवेट ट्यूबवेल के माध्यम से गन्ना आदि बो दिए हैं। लेकिन बार-बार फसलों की सिंचाई के लिए प्राइवेट ट्यूबवेल का सहारा लेना उन्हें काफी महंगा पड़ रहा है। विभाग की लापरवाही से किसान परेशान हैं। शिकायत करने पर कोई सुनने वाला नहीं है, इससे किसान परेशान हाल में इधर-उधर भटकने को मजबूर है। किसान दिलीप ने कहा कि पानी न होने से गेहूं की फसल काटने के बाद अन्य फसलों की बुआई छोड़ दी है। महेंद्र यादव ने कहा कि यदि नहर में पानी बराबर और समय से मिलता तो किसानों को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता। रामकुमार ने कहा कि प्रदेश की सरकार ने किसानों के हित में तो बड़े-बड़े वादे किए। लेकिन सरकार बनते ही किसानों को भूल गए। किसान पानी के लिए तरस रहा है और सरकार लैपटाप बांटने की तैयारी कर रही है। रमेश ने कहा कि नहर में पानी न आने से प्राइवेट में ट्यूबवेल किसानों को काफी महंगा पड़ता है। वहीं नहर का पानी किसानों को नहीं मिलता, लेकिन विभाग के लोग समय से वसूली को पहुंच जाते हैं। किसानों ने जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए नहर में पानी छोड़े जाने की मांग की है।