आजमगढ़। जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने सोमवार को जिला अस्पताल पहुुंचकर औचक निरीक्षण किया। इस दौरान दवाओं के रख-रखाव में मिली खामियों पर वे काफी तल्ख दिखे। इस पर वे संबंधित कर्मचारियों के साथ सीएमओ और सीएमएस को फटकार लगाए। इतना ही नहीं वे सीएमएसडी स्टोर के प्रभारी सहित दो फार्मासिस्टों को हटाने का निर्देश जारी किए। डीएम की जांच से अस्पताल के चिकित्सकों से लेकर कर्मचारियों और अधिकारियों में हड़कंप मचा था।
बता दें कि अमर उजाला ने छह मई के अंक में ‘खुद है बीमार तो कैसे होगा मरीजों का इलाज’ शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था। इसमें अस्पताल में व्याप्त खामियों को प्रमुखता से उजागर किया गया था। समाचार पत्र में प्रकाशित खबर को जिलाधिकारी ने गंभीरता से लिया। इसक्रम में सोमवार को जिलाधिकारी प्रांजल यादव लगभग 12 बजे जिला अस्पताल धमक पड़े। उनके पहुंचते ही अस्पताल में हड़कंप मच गया। डीएम के जिला अस्पताल पहुंचने की सूचना पर सीएमओ डा.वीबी सिंह भी वहां पहुंच गए। जिलाधिकारी ने मुख्य औषधि भंडार में लगभग एक घंटे तक दवाओं का स्टाक चेक किया। बिल बाउचर सहित दवाओं की जांच-पड़ताल की। एलपी रजिस्टर का भी अवलोकन किया। भारी अनियमितता पाए जाने पर फार्मासिस्ट को फटकार लगाई। मुख्य औषधि भंडार के बाद सीएमएसडी स्टोर में पहुंचे, तो दवाएं फर्स पर फेंकी पड़ी मिलीं। इस पर स्टोर इंचार्ज डा. चंद्रेश चंद्रा और फार्मासिस्ट को जम कर फटकार लगाई। स्टोर इंचार्ज सहित फार्मासिस्ट को हटाने का निर्देश दिया और कहा कि फर्श पर फेंकी गई दवाओं को रैक में रखी जाए। इंजेक्शन और आई ड्राप को फ्रीजर में रखने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी सर्जिकल स्टोर में पहुंचे, तो ताला बंद पाया। बंद पड़े ताले को आनन-फानन में तोड़ा गया। स्टोर में रखी गई बैंडेज किस कंपनी की थी। इसका पता न चलने पर जिलाधिकारी ने संबंधित फार्मासिस्ट को हटाने का निर्देश दिया। दवा वितरण कक्ष संख्या पांच में स्टाक रजिस्टर उपलब्ध न होने पर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही सीएमओ को अस्पताल की दशा सुधारने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
आजमगढ़। जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने सोमवार को जिला अस्पताल पहुुंचकर औचक निरीक्षण किया। इस दौरान दवाओं के रख-रखाव में मिली खामियों पर वे काफी तल्ख दिखे। इस पर वे संबंधित कर्मचारियों के साथ सीएमओ और सीएमएस को फटकार लगाए। इतना ही नहीं वे सीएमएसडी स्टोर के प्रभारी सहित दो फार्मासिस्टों को हटाने का निर्देश जारी किए। डीएम की जांच से अस्पताल के चिकित्सकों से लेकर कर्मचारियों और अधिकारियों में हड़कंप मचा था।
बता दें कि अमर उजाला ने छह मई के अंक में ‘खुद है बीमार तो कैसे होगा मरीजों का इलाज’ शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था। इसमें अस्पताल में व्याप्त खामियों को प्रमुखता से उजागर किया गया था। समाचार पत्र में प्रकाशित खबर को जिलाधिकारी ने गंभीरता से लिया। इसक्रम में सोमवार को जिलाधिकारी प्रांजल यादव लगभग 12 बजे जिला अस्पताल धमक पड़े। उनके पहुंचते ही अस्पताल में हड़कंप मच गया। डीएम के जिला अस्पताल पहुंचने की सूचना पर सीएमओ डा.वीबी सिंह भी वहां पहुंच गए। जिलाधिकारी ने मुख्य औषधि भंडार में लगभग एक घंटे तक दवाओं का स्टाक चेक किया। बिल बाउचर सहित दवाओं की जांच-पड़ताल की। एलपी रजिस्टर का भी अवलोकन किया। भारी अनियमितता पाए जाने पर फार्मासिस्ट को फटकार लगाई। मुख्य औषधि भंडार के बाद सीएमएसडी स्टोर में पहुंचे, तो दवाएं फर्स पर फेंकी पड़ी मिलीं। इस पर स्टोर इंचार्ज डा. चंद्रेश चंद्रा और फार्मासिस्ट को जम कर फटकार लगाई। स्टोर इंचार्ज सहित फार्मासिस्ट को हटाने का निर्देश दिया और कहा कि फर्श पर फेंकी गई दवाओं को रैक में रखी जाए। इंजेक्शन और आई ड्राप को फ्रीजर में रखने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी सर्जिकल स्टोर में पहुंचे, तो ताला बंद पाया। बंद पड़े ताले को आनन-फानन में तोड़ा गया। स्टोर में रखी गई बैंडेज किस कंपनी की थी। इसका पता न चलने पर जिलाधिकारी ने संबंधित फार्मासिस्ट को हटाने का निर्देश दिया। दवा वितरण कक्ष संख्या पांच में स्टाक रजिस्टर उपलब्ध न होने पर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही सीएमओ को अस्पताल की दशा सुधारने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।