औरैया। 46 डिग्री तापमान का इंसान ही नहीं पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। गर्मी के चलते भू-गर्भ जलस्तर में तेजी से कमी आई है। इसका सीधा प्रभाव यमुना के जलस्तर पर भी पड़ा है। भीषण गर्मी और लू के चलते जिले की सीमा से गुजरी यमुना नदी के जलस्तर में 5 से 6 मीटर तक गिरावट आई है। केंद्रीय जल आयोग की माने तो जून में यमुना का जलस्तर न्यूनतम बिंदु पर पहुंच सकता है।
शहर की सीमा से पांच किलोमीटर की दूरी से गुजरी यमुना नदी के शेरगढ़ घाट के जलस्तर में गिरावट आई है। यहां 99.0 का मानक केंद्रीय जल आयोग ने निर्धारित कर रखा है। इस घाट पर 105-106 मीटर यमुना का सामान्य जलस्तर है। 112 मीटर जलस्तर खतरे का संकेत है। गुरुवार को 46 डिग्री तापमान में यमुना का जलस्तर घटकर 100.10 मीटर पर पहुंच गया। यह सामान्य से 56 मीटर कम दर्ज किया गया। यमुना का जलस्तर घटने से पानी ने तटों को छोड़ दिया है। 26 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही गर्म हवा के चलते यमुना के घाट पर रेत के गुब्बारे उड़ रहे हैं। जिसका प्रभाव जलीय जीव जंतुओं पर भी पड़ने लगा है। सिमट चुके यमुना नदी के पानी के किनारे मृत मछलियां उतराती हुई देखी जा सकती हैं। इस बार की गर्मी ने पिछले रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया है।
केंद्रीय जल आयोग के अवर अभियंता विनोद कुमार शर्मा कहते हैं कि इस स्तर पर दशकों से यमुना के जलस्तर का ह्रास नहीं हुआ है। यह स्थिति शेरगढ़ घाट की ही नहीं बल्कि पचनंद पर बने घाटों पर भी यमुना का जलस्तर गिरा है। जून माह गर्मी के मौसम का सक्रिय महीना माना जाता है। इस माह में पर्यावरणीय तापमान में और अधिक वृद्धि होती है। इस स्थिति को देखते हुए जून में यमुना के जलस्तर में और गिरावट आने का अंदेशा है।