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औरैया। पच्चीस साल से चकबंदी के मकड़जाल में उलझी जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सेहुद के किसानों के लिए बड़ी खबर है। चकबंदी निरस्ती के फरमान के एक साल बाद से विरासतें दर्ज कराने को संघर्ष कर रहे किसानों के रोष व उनके आंदोलन की मंशा को भांपते हुए जिला प्रशासन ने मौजा सेहुद की विरासतें दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू करा दी है। प्रथम चरण में सदर तहसील में मौजा सेहुद की खतौनी के अभिलेख तैयार कराए जा रहे हैं। बाद में इन खतौनियों का कंप्यूटर में डाटा फीड किया जाएगा।
विरासत दर्ज न कराए जाने को लेकर मौजा सेहुद के किसानों ने जिला प्रशासन को सोमवार को ज्ञापन सौंपकर 21 जुलाई से अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। ऐलान भी किया था कि न्याय न मिलने तक उनका अहिंसात्मक धरना सत्याग्रह का रूप लेकर अनवरत जारी रहेगा। सेहुद की चकबंदी निरस्त कराने से लेकर किसानों की विरासतें दर्ज कराने तक की किसानों की मुहिम को अमर उजाला लगातार धार देता रहा है।
किसानों के आंदोलन का अडिग निर्णय भांपते हुए जिला प्रशासन ने घुटने टेकते हुए मंगलवार से किसानों की विरासतें दर्ज करने के कार्य का श्रीगणेश कर दिया है। सदर तहसील में मंगलवार को मौजा सेहुद के अभिलेखों की छटनी कराई गई। चकबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर की गई अनियमितताओं (अवैध पट्टा आवंटन, अमल दरामद, दाखिल खारिज) को निरस्त करते हुए तहसील प्रशासन ने सेहुद और उसके 18 मजरों के तकरीबन दस हजार किसानों एवं ग्राम पंचायत की 600 एकड़ भूमि को 25 वर्ष पूर्व की स्थिति में लाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। प्रारंभिक दौर में मौजा सेहुद के 25 वर्ष पूर्व के अभिलेखों को खंगाले जाने के साथ ही उनकी कच्ची नकल तैयार कराई जा रही है। बाद में कच्ची नकलों को खतौनी का रूप देकर कंप्यूटर में फीड करके डाटा की फीडिंग की जाएगी। बाद इसके तहसील प्रशासन विरासत दर्ज कराने का काम शुरू करेगा।
खतौनी तैयारी के बाद मांगी जाएंगी आपत्तियां
औरैया। भाग्यनगर ब्लाक की ग्राम पंचायत सेहुद के किसानों की विरासतें दर्ज कराने के कार्य के संबंध में उप जिलाधिकारी सदर डा.सीएल सोनकर ने बताया कि किसानों को उनका हक देने के लिए कार्य शुुरू कर दिया गया है। चकबंदी के दौरान अभिलेखों में तमाम गड़बड़ियां पायी जा रही हैं। उनकी पुरानी खतौनी को रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है। खतौनी तैयार होने के बाद किसानों से आपत्तियां मांगी जाएंगी। इसके बाद ही विरासत दर्ज कराने का काम शुरू किया जाएगा।
औरैया। पच्चीस साल से चकबंदी के मकड़जाल में उलझी जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सेहुद के किसानों के लिए बड़ी खबर है। चकबंदी निरस्ती के फरमान के एक साल बाद से विरासतें दर्ज कराने को संघर्ष कर रहे किसानों के रोष व उनके आंदोलन की मंशा को भांपते हुए जिला प्रशासन ने मौजा सेहुद की विरासतें दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू करा दी है। प्रथम चरण में सदर तहसील में मौजा सेहुद की खतौनी के अभिलेख तैयार कराए जा रहे हैं। बाद में इन खतौनियों का कंप्यूटर में डाटा फीड किया जाएगा।
विरासत दर्ज न कराए जाने को लेकर मौजा सेहुद के किसानों ने जिला प्रशासन को सोमवार को ज्ञापन सौंपकर 21 जुलाई से अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। ऐलान भी किया था कि न्याय न मिलने तक उनका अहिंसात्मक धरना सत्याग्रह का रूप लेकर अनवरत जारी रहेगा। सेहुद की चकबंदी निरस्त कराने से लेकर किसानों की विरासतें दर्ज कराने तक की किसानों की मुहिम को अमर उजाला लगातार धार देता रहा है।
किसानों के आंदोलन का अडिग निर्णय भांपते हुए जिला प्रशासन ने घुटने टेकते हुए मंगलवार से किसानों की विरासतें दर्ज करने के कार्य का श्रीगणेश कर दिया है। सदर तहसील में मंगलवार को मौजा सेहुद के अभिलेखों की छटनी कराई गई। चकबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर की गई अनियमितताओं (अवैध पट्टा आवंटन, अमल दरामद, दाखिल खारिज) को निरस्त करते हुए तहसील प्रशासन ने सेहुद और उसके 18 मजरों के तकरीबन दस हजार किसानों एवं ग्राम पंचायत की 600 एकड़ भूमि को 25 वर्ष पूर्व की स्थिति में लाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। प्रारंभिक दौर में मौजा सेहुद के 25 वर्ष पूर्व के अभिलेखों को खंगाले जाने के साथ ही उनकी कच्ची नकल तैयार कराई जा रही है। बाद में कच्ची नकलों को खतौनी का रूप देकर कंप्यूटर में फीड करके डाटा की फीडिंग की जाएगी। बाद इसके तहसील प्रशासन विरासत दर्ज कराने का काम शुरू करेगा।
खतौनी तैयारी के बाद मांगी जाएंगी आपत्तियां
औरैया। भाग्यनगर ब्लाक की ग्राम पंचायत सेहुद के किसानों की विरासतें दर्ज कराने के कार्य के संबंध में उप जिलाधिकारी सदर डा.सीएल सोनकर ने बताया कि किसानों को उनका हक देने के लिए कार्य शुुरू कर दिया गया है। चकबंदी के दौरान अभिलेखों में तमाम गड़बड़ियां पायी जा रही हैं। उनकी पुरानी खतौनी को रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है। खतौनी तैयार होने के बाद किसानों से आपत्तियां मांगी जाएंगी। इसके बाद ही विरासत दर्ज कराने का काम शुरू किया जाएगा।