अंबेडकरनगर। धान खरीद को लेकर जिले में मार्केटिंग विभाग की मनमानी बरकरार है। उच्चाधिकारियों के तमाम सख्त निर्देश विभागीय अधिकारियों ने ताक पर रख दिए हैं। मनमानी का आलम यह है कि ज्यादातर केंद्रों पर इलेक्ट्रानिक कांटे से खरीद नहीं हो रही है। सोमवार को ‘अमर उजाला की टीम’ ने कई केंद्रों का जायजा लिया, तो पूरी तरह मनमानी का माहौल दिखा। कहीं क्रय केंद्र बंद पड़ा था, तो कहीं तौल के लिए बाट की जगह बोरे का प्रयोग किया जा रहा था। मौके पर किसानों की भीड़ भले नहीं मिली, लेकिन कागजों पर खरीद पूरी तेजी से चल रही है। इसके बावजूद हालत यह है कि चार माह का समय बीत जाने के बावजूद मार्केटिंग विभाग के सभी 10 केंद्र बमुश्किल लक्ष्य की 50 प्रतिशत खरीद पार कर पाए हैं। अब शेष बचे एक माह में 50 प्रतिशत की खरीद किस प्रकार होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
जहांगीरगंज विकास खंड का क्रय केंद्र सुजावलपुर गांव में स्थित है। अमर उजाला टीम दोपहर बाद यहां पहुंची, तो क्रय केंद्र बंद मिला। केंद्र के मुख्य गेट पर बड़ा सा ताला लटक रहा था। गेट के ऊपर खरीद का बैनर भी टंगा था। हालांकि यह बैनर ही स्थानीय ग्रामीणों को लगातार मुंह चिढ़ा रहा है। मौके पर मिले कई लोगों ने बताया कि यहां पर अक्सर इसी प्रकार की स्थिति रहती है। राधेश्याम व दिनेश प्रसाद ने कहा कि निराश हो चुके किसानों ने तो अब इस केंद्र की तरफ आना ही बंद कर दिया है। गांव में काफी देर रहने के बावजूद वहां विभाग का कोई कर्मचारी नहीं दिखा। इसके बाद विभाग के गोदाम पहुंचने पर वहां साढ़े 3 बजे करीब एसएमआई रामानंद जायसवाल मिले। उनके द्वारा दी गई जानकारी चौंकाने वाली थी। ग्रामीणों ने जहां बताया था कि पिछले दो दिन से क्रय केंद्र नहीं खुला है, वहीं एसएमआई ने बताया कि 27 जनवरी को 280 क्विंटल धान की खरीद हुई थी। उन्होंने सोमवार को भी 260 क्विंटल धान की खरीद होने की जानकारी देकर चौंका दिया। उन्हें बताया गया कि आपके केंद्र पर तो ताला लटक रहा है, तो इस पर उन्होंने कहा कि वे उससे पहले ही तीन किसानों से धान खरीद कर केंद्र बंद कर लौटे हैं।
आलापुर तहसील क्षेत्र के रामनगर केंद्र पहुंचने पर वह खुला मिला। यहां धान की खरीद तो हो रही थी, लेकिन चौधरीपुर के एक किसान प्रेमचंद्र वर्मा ही मिले। उनके धान की तौल हो रही थी। तौल के लिए इलेक्ट्रानिक कांटे की बजाए सामान्य तराजू का प्रयोग हो रहा था। उस पर भी बोरी रखकर तौल की जा रही थी। कोई अन्य किसान वहां मौजूद नहीं था। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसानों का इस केंद्र से विश्वास किस तरह टूट चुका है। दरअसल बार-बार लौटाए जाने व कई अन्य कारणों से खिन्न किसानों ने आढ़तों पर ही अपने धान की बिक्री करना ज्यादा बेहतर समझा। अमर उजाला टीम यहां लगभग आधे घंटे तक थी, लेकिन एसएमआई ज्ञानप्रकाश वर्मा नहीं मिले। विपणन सहायक चंद्रभूषण यादव ने बताया कि 25 जनवरी को 340 क्विंटल व 27 जनवरी को 320 क्विंटल धान की खरीद की गई थी। जानकारी दी कि सोमवार को अब तक 150 क्विंटल की खरीद हो चुकी है।
अमर उजाला टीम दोपहर बाद क्रय केंद्र पर पहुंची, तो यहां दो किसानों का धान तौला जा चुका था। अरई निवासी आद्या प्रसाद व इसी गांव के रामतीरथ उन दो सौभाग्यशाली किसानों में शामिल थे। हालांकि यह मौका लगभग एक माह बाद उनके हाथ आया था। किसानों ने बताया कि वे लगभग एक माह से भागदौड़ कर रहे थे, लेकिन खरीद नहीं हो पा रही थी। अशरफपुर मजगवां के रामनिहाल के धान की तौल हो रही थी। हालांकि इसके लिए वे अपना सैकड़ों रुपये भागदौड़ में खर्च कर चुके थे। कहा कि 15-20 दिन से लगातार प्रयास करने के बाद तौल हो पाई है। यहां भी धान की खरीद इलेक्ट्रानिक कांटे व बाट से नहीं हो रही थी। मौके पर मौजूद कर्मचारी प्रीतम चंद के पास धान खरीद का कोई रिकार्ड नहीं था। मित्तूपुर रोड स्थित मार्केटिंग विभाग के कार्यालय पहुंचने पर वहां मिले कर्मचारी रमेश कुमार ने बताया कि एसएमआई के कहने पर ही वे कुछ बता सकेेंगे। उन्होंने कोई रिकार्ड किसी को बताने से मना किया है। एसएमआई रामउजागिर चौरसिया कहां हैं और कब मिलेंगे, यह जानकारी भी किसी के पास नहीं थी। उनके मोबाइल पर फोन किया गया, तो वह भी बंद मिला।
अकबरपुर विकास खंड के ककरडिल्ला धान क्रय केंद्र पर अमर उजाला टीम पहुंची, तो वहां मिले कर्मचारियों ने टीम को गुमराह करने का प्रयास किया। बताया कि यहां सिर्फ गोदाम है। बाद में अंदर जाने पर वहां एक किसान के धान की खरीद होती मिली। एसएमआई आशुतोष सिंह मौके पर नहीं थे। कर्मचारियों ने बताया कि अभी 10 मिनट पहले ही वे कुछ आवश्यक कागजात लेकर अकबरपुर गए हैं। यहां भी इलेक्ट्रानिक कांटा नहीं मिला। हालांकि बाद में एसएमआई ने बताया कि सोमवार को कुल आठ किसानों रामअजोर, प्यारेराम, अर्जुन प्रसाद व कृष्णप्रताप आदि से 620 क्विंटल की खरीद हुई है। बताया कि 27 जनवरी को 540 क्विंटल व 25 को 958 क्विंटल धान की खरीद की गई थी।
टांडा केंद्र पर टीम पहुंची, तो यहां इलेक्ट्रानिक कांटा दिखा। केंद्र पर एक किसान ही मौजूद था। सुरेश नामक यह किसान अपने धान की तौल करा रहा था। बताया कि कई दिनों के परिश्रम के बाद तौल में सफलता मिल पाई है। उसके मुताबिक कर्मचारियों की मनमानी के चलते ही अन्य किसानों ने इस केंद्र की तरफ से तौबा कर लिया है। मुश्किलों का सामना करने की अपेक्षा आढ़तियों के हाथों बिक्री करना ज्यादा लाभप्रद नजर आ रहा है। किसानों की उपेक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अपराह्न तक यहां सिर्फ 70 क्विंटल धान की खरीद हुई थी। विभागीय कर्मचारी महेंद्र ने बताया कि उसके पास 27 जनवरी की खरीद का आंकड़ा नहीं है। कहा कि 25 जनवरी को 222 क्विंटल व 24 जनवरी को 160 क्विंटल धान की खरीद हुई थी।
खरीद में और तेजी लाई जा रही है। किसानों को अपना धान लेकर क्रय केंद्रों पर पहुंचना चाहिए। सभी धान की खरीद सुनिश्चित की जाएगी। इलेक्ट्रानिक कांटा से तौल कराने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। - रामाश्रय, एडीएम व धान खरीद प्रभारी अधिकारी