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UP: In 23 years, 49 fake cases were brought by the police, High Court angry with the attitude of Muzaffarpur Police
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यूपी : 23 वर्षों में पुलिस ने लादे 49 फर्जी मुकदमे, मुजफ्फरपुर पुलिस के रवैये से हाईकोर्ट नाराज
संवाद न्यूज एजेंसी, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 27 Nov 2021 09:39 PM IST
सार
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मुजफ्फरनगर के खटोली थाने की करतूत को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है तथा एसएसपी मुजफ्फरनगर और डीजीपी को तलब कर लिया है। कोर्ट ने इसे दूषित मानसिकता से याची का जीवन बर्बाद करने की कार्रवाई माना है।
इसे पुलिसिया ज्यादती की इंतिहा ही कहेंगे कि एक व्यक्ति को पुलिस 23 वर्षों से प्रताड़ित करती आ रही है। इस दौरान उस पर 49 मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें से ज्यादातर में वह बरी हो गया। पुलिस ने कई बार अपनी गलती मान कर मुकदमे वापस भी लिए। यहां तक कि मानवाधिकार आयोग ने पुलिस पर हर्जाना भी लगाया, मगर उत्पीड़न का सिलसिला फिर भी नहीं थमा।
मुजफ्फरनगर के खतौली थाने की करतूत को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है तथा एसएसपी मुजफ्फरनगर और डीजीपी को तलब कर लिया है। कोर्ट ने इसे दूषित मानसिकता से याची का जीवन बर्बाद करने की कार्रवाई माना है। कोर्ट ने खतौली थाना पुलिस के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर को 13 दिसंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है।
जीवन पर लगे दाग मुआवजे से नहीं धुल सकते
कोर्ट ने कहा है कि यह केवल जमानत का मसला नहीं है। बल्कि अनुशासित पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर उठ रहे सवालों का भी है। कोर्ट ने कहा कि हर आदमी के जीवन की कीमत समान है। बीता दिन लौट कर वापस नहीं आता। जीवन पर लगे दाग मुआवजे से धुल नहीं सकते। कोर्ट ने कहा पिछले 23 वर्षों में पुलिस ने याची पर 49 आपराधिक केस दर्ज किए। अधिकांश में वह बरी हो गया।
कुछ पुलिस ने गलती से शामिल होना मानते हुए वापस ले लिए। मानवाधिकार आयोग ने भी पुलिस पर याची के पक्ष में दस हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया। इसके बावजूद केस में फंसाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। इसलिए दोनों शीर्ष अधिकारी अदालत में हाजिर हों। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने गौरव उर्फ गौरा की नारकोटिक्स ड्रग्स एक्ट के तहत दर्ज मामले में दाखिल जमानत अर्जी पर दिया है।
कोर्ट में पेश की केस हिस्ट्री
कोर्ट के निर्देश पर याची पर आपराधिक मुकदमों का चार्ट पेश किया गया। जिससे एक ही थाने खतौली में 49 केस दर्ज होने का खुलासा हुआ है। याची 45 मामलों में से 11 में बरी हो चुका है। नौ केस पुलिस ने वापस ले लिएा। दो में गलती से शामिल किया गया है। एक केस में एनएसए लगाया है, जो रद्द हो चुका है। 21 केस में याची जमानत पर है। एक में अग्रिम जमानत मिली है।
आरोपोें की टोकरी जीवन में अंधकार लाती है
याची व उसकी पत्नी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को फ़र्जी केस मेें फंसाने की शिकायत की थी, जिसकी जांच के बाद आयोग ने पुलिस पर हर्जाना लगाया। इससे नाराज होकर पुलिस ने उसको और ज्यादा परेशान करना शुरू कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पुलिस का रवैया समझ से परे है। बार-बार केस दर्ज कर रही है। अनुशासित पुलिस बल से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि पुलिस सुरक्षा, शांति व समाज में सौहार्द कायम रखने के लिए है। कोर्ट ने कहा कि आरोपों की टोकरी जीवन में अंधकार ही लाती है। जीवन बर्बाद होता है, जिसपर रोक लगनी चाहिए। अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।
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