prayagraj news : संगम स्नान करने के बाद बड़े हनुमानजी का दर्शन पूजन करने पहुंचे ट्रिनिडाड टोबैगो के राजदूत डॉ. रोगौर गोपौल।
- फोटो : prayagraj
त्रिनिदाद और टोबैगो के राजदूत डॉ रोगर गोपौल ने शुक्रवार को संगम की रेती पर कोरोना प्रोटोकॉल के बीच बसी तंबुओं की नगरी की छठा निहारी। पत्नी, बच्चों के साथ प्रयागराज पहुंचे राजदूत डॉ रोगर ने त्रिवेणी संगम की धारा में पुण्य की डुबकी भी लगाई और सविधि आरती-पूजन भी किया। इसके बाद उन्होंने बड़े हनुमान के दरबार में हाजिरी लगाई। शनिवार को वह परिवार के साथ काशी पहुंचेंगे।
दोपहर दो बजे त्रिनिदाद और टोबैगो के राजदूत डॉ रोगर संगम पहुंचे। वहां स्नान और आरती के बाद उन्होंने रेती पर बसे माघ मेले का भ्रमण किया। इस दौरान वर गंगा सेना के शिविर में पहुंचे। वहां योगाचार्य स्वामी आनंद गिरि महाराज ने उनको माघ मेले की महिमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यहां से राजदूत डॉ रोगर बड़े हनुमान मंदिर पहुंचे। वहां उन्होंने पत्नी अनिता के अलावा अपने पुत्रों आद्रियन गोपौल और ब्रियन गोपौल के साथ हनुमान जी की पूजा-आरती की।
यहां राजदूत डॉ गोपौल ने बताया कि सदियों पहले उनके पूर्वज पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती से जाकर त्रिनिदाद में बस गए थे। यही वजह है कि उन्हें भारत भूमि से स्वाभाविक लगाव है। उन्होंने बताया कि उनके बच्चे भी सनातन संस्कृति से पूरी तरह प्रभावित हैं और हिंदू धर्म की प्रथाओं को सीख रहे हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार को वह अपने दोनों पुत्रों के साथ काशी भी जाएंगे और वहां की संस्कृति के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। उन्होंने बताया कि वह भारत के हर शहर में जा कर के अपने बच्चों को सनातन संस्कृति से परिचित कराना चाहते हैं।
त्रिनिदाद और टोबैगो के राजदूत डॉ रोगर गोपौल ने शुक्रवार को संगम की रेती पर कोरोना प्रोटोकॉल के बीच बसी तंबुओं की नगरी की छठा निहारी। पत्नी, बच्चों के साथ प्रयागराज पहुंचे राजदूत डॉ रोगर ने त्रिवेणी संगम की धारा में पुण्य की डुबकी भी लगाई और सविधि आरती-पूजन भी किया। इसके बाद उन्होंने बड़े हनुमान के दरबार में हाजिरी लगाई। शनिवार को वह परिवार के साथ काशी पहुंचेंगे।
दोपहर दो बजे त्रिनिदाद और टोबैगो के राजदूत डॉ रोगर संगम पहुंचे। वहां स्नान और आरती के बाद उन्होंने रेती पर बसे माघ मेले का भ्रमण किया। इस दौरान वर गंगा सेना के शिविर में पहुंचे। वहां योगाचार्य स्वामी आनंद गिरि महाराज ने उनको माघ मेले की महिमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यहां से राजदूत डॉ रोगर बड़े हनुमान मंदिर पहुंचे। वहां उन्होंने पत्नी अनिता के अलावा अपने पुत्रों आद्रियन गोपौल और ब्रियन गोपौल के साथ हनुमान जी की पूजा-आरती की।
यहां राजदूत डॉ गोपौल ने बताया कि सदियों पहले उनके पूर्वज पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती से जाकर त्रिनिदाद में बस गए थे। यही वजह है कि उन्हें भारत भूमि से स्वाभाविक लगाव है। उन्होंने बताया कि उनके बच्चे भी सनातन संस्कृति से पूरी तरह प्रभावित हैं और हिंदू धर्म की प्रथाओं को सीख रहे हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार को वह अपने दोनों पुत्रों के साथ काशी भी जाएंगे और वहां की संस्कृति के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। उन्होंने बताया कि वह भारत के हर शहर में जा कर के अपने बच्चों को सनातन संस्कृति से परिचित कराना चाहते हैं।