प्रयागराज जंक्शन और कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है। इन दोनों ही स्टेशनों का पुनर्विकास रेलवे द्वारा किया जाएगा। भारतीय रेल में अभी भोपाल का हबीबगंज ही एकमात्र स्टेशन हैं, जिसका पुनर्विकास किया गया है। शुक्रवार को प्रयागराज और कानपुर स्टेशन के पुनर्विकास को लेकर अफसरों की बैठक हुई। बैठक में स्टेशन डेवलपमेंट से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई।
रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी), रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) और केंद्र सरकार की अन्य एजेंसियों के माध्यम से रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए योजना बनाई है। इसके तहत आईआरएसडीसी और आरएलडीए स्टेशनों के तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता अध्ययन का कार्य कर रहे हैं।
व्यवहार्यता अध्ययन के परिणाम के आधार पर, स्टेशनों का पुनर्विकास चरणों में किये जाने की योजना है। इसी क्रम में डीआरएम प्रयागराज मोहित चंद्रा की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में प्रयागराज जंक्शन एवं कानपुर सेंट्रल स्टेशन को पुनर्विकास करने की योजना पर चर्चा हुई। डीआरएम ने कहा कि स्टेशनों को पुनर्विकसित किये जाने के क्रम में यात्री हमारे केंद्र बिंदु होने चाहिए। कहा कि पुनर्विकास के समय असामान्य स्थिति जैसे कोहरे, भारी बरसात, गर्मी आदि को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रयागराज धार्मिक भूमि है, यहां कुंभ जैसे विश्व के सबसे बड़े मानव समागमों का भी आयोजन होता है। इन स्टेशनों का विकास इस प्रकार की स्थिति को भी ध्यान में रख कर किया जाना होगा। आगामी 40 से 50 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्टेशन के पुनर्विकास के कार्यों को किया जाना चाहिए। इस अवसर पर भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड की ओर से सीजीएम वीबी सूद ने प्रयागराज स्टेशन एवं कानपुर स्टेशन को विकसित किये जाने के क्रम में एक पावर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने बताया कि स्टेशन को विकसित करने में यात्री सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है।
प्रयागराज जंक्शन और कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है। इन दोनों ही स्टेशनों का पुनर्विकास रेलवे द्वारा किया जाएगा। भारतीय रेल में अभी भोपाल का हबीबगंज ही एकमात्र स्टेशन हैं, जिसका पुनर्विकास किया गया है। शुक्रवार को प्रयागराज और कानपुर स्टेशन के पुनर्विकास को लेकर अफसरों की बैठक हुई। बैठक में स्टेशन डेवलपमेंट से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई।
रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी), रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) और केंद्र सरकार की अन्य एजेंसियों के माध्यम से रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए योजना बनाई है। इसके तहत आईआरएसडीसी और आरएलडीए स्टेशनों के तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता अध्ययन का कार्य कर रहे हैं।
व्यवहार्यता अध्ययन के परिणाम के आधार पर, स्टेशनों का पुनर्विकास चरणों में किये जाने की योजना है। इसी क्रम में डीआरएम प्रयागराज मोहित चंद्रा की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में प्रयागराज जंक्शन एवं कानपुर सेंट्रल स्टेशन को पुनर्विकास करने की योजना पर चर्चा हुई। डीआरएम ने कहा कि स्टेशनों को पुनर्विकसित किये जाने के क्रम में यात्री हमारे केंद्र बिंदु होने चाहिए। कहा कि पुनर्विकास के समय असामान्य स्थिति जैसे कोहरे, भारी बरसात, गर्मी आदि को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रयागराज धार्मिक भूमि है, यहां कुंभ जैसे विश्व के सबसे बड़े मानव समागमों का भी आयोजन होता है। इन स्टेशनों का विकास इस प्रकार की स्थिति को भी ध्यान में रख कर किया जाना होगा। आगामी 40 से 50 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्टेशन के पुनर्विकास के कार्यों को किया जाना चाहिए। इस अवसर पर भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड की ओर से सीजीएम वीबी सूद ने प्रयागराज स्टेशन एवं कानपुर स्टेशन को विकसित किये जाने के क्रम में एक पावर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने बताया कि स्टेशन को विकसित करने में यात्री सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है।