बालीवुड में ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का जाना प्रयागराजवासियों को भी आहत कर गया। उनकी अदाकारी के दीवानों की फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन इलाहाबाद पर उनके कई एहसान भी हैं। हालांकि वह पहली और अंतिम बार गवर्नमेंट प्रेस में आयोजित एक मुशायरे में शामिल होने आए थे लेकिन वह जिस संजीदगी और कमाल के कलाम से लोगों का दिल जीत ले गए थे, उन दिलीप कुमार से जुड़ीं तमाम यादें ताजा हो गईं।
जीप फ्लैश लाइट इंडस्ट्रीज के संस्थापक एमआर शेरवानी की गुजारिश पर वह 1980 में इस मुशायरे में शिरकत करने आए थे। इसमें साहिर लुधियानवी से लेकर अनेक नामचीन शायर थे और दिलीप कुमार के आने की वजह से गवर्नमेंट प्रेस के तिराहे पर इतनी भीड़ जुट गई थी कि उसका गेट बंद करना पड़ा था। फिर भी लोग धैर्य के साथ उनकी एक झलक पाने और उन्हें सुनने के लिए वहां रात तक डटे रहे। लेकिन यह मामला सिर्फ मुशायरे तक ही सीमित नहीं था।
शेरवानी साहब के दामाद और शेरवानी इंडस्ट्रीज के वाइस चेयरमैन ताहिर हसन कहते हैं, वह एक पाक मकसद से यहां आए थे। दरअसल तब बेटिय्रों खासकर मुस्लिम बेटियों की उच्च शिक्षाव के लिए कोई कॉलेज नहीं था। ऐसे में हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज अमल में आया लेकिन इसके विकास के लिए आर्थिक मदद की जरूरत थी और इसी गुजारिश के साथ दिलीप कुमार मुशायरे के बहाने यहां आए थे। मुशायरे से मिली आर्थिक मदद कॉलेज के विकास के काम आएगी और दिलीप कुमार ने लोगों से यह मकसद साझा करते हुए हर तरह की मदद की अपील की थी। मुशायरे के बाद वह शेरवानी साहब के घर पर ही रुके और सुबह मुंबई के लिए रवाना हो गए। लेकिन उनकी उस शाम की यादें लोगों के दिलोदिमाग में आज तक हैं।
उनके नाम से ही मशहूर हुई ‘दिलीप सेवंई’
शायद बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि अटाला की मशहूर ‘दिलीप सेवंई’ को उनके नाम से बनाने की रजामंदी खुद दिलीप कुमार ने दी थी। वह ‘इलाहाबादी सेवईं’ के दीवाने थे। दरअसल तकरीबन 44 बरस बाद अटाला के हाजी मुहम्मद हनीफ ने हाथ से सेवइयां बनाने का काम शुरू किया था। उनके पोते और दिलीप सेवईं के मालिक शाहनवाज कहते हैं, दादा दिलीप कुमार के बहुत बड़े फैन थे। वह अपनी सेवइयां लेकर उनके पास मुंबई गए थे और वहां उन्होंने दिलीप साहब से उनके नाम पर सेवईं के लिए रजामंदी मांगी थी, जिसे उन्होंने कुबूल कर लिया था। बस, तभी से ये सेवइयां ‘दिलीप सेवईं’ के नाम से मशहूर हो गईं।
अंत हो गया फिल्मी दुनिया का एक युग
नाट्य संस्था बुनियाद फाउंडेशन की ओर से सोहबतियाबाग स्थित सभागार में हुई शोक सभा में विभिन्न संस्थाओं के कलाकारों ने दिलीप कुमार को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। फाउंडेशन के सचिव असगर अली ने कहा, दिलीप साहब का जाना एक युग का अंत हो जाना है,वह अनगिनत कलाकारों के प्रेरणास्रोत थे। द कॉलोर्स फाउंडेशन की सचिव रुचि गुप्ता बोलीं, उनका जाना अभिनय के विश्वविद्यालय का बन्द हो जाने जैसा है। शर्मन एरा फाउंडेशन के सचिव अमरनाथ श्रीवास्तव ने जोड़ा, अभिनय का सूरज डूब गया। नृत्य प्रशिक्षक प्रिया तिवारी, गायक कंचन मणिरत्नम, नितेश पाल,प्रदीप कुमार शुक्ल,रेनू त्रिपाठी ने भी उन्हें याद किया।
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बालीवुड में ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का जाना प्रयागराजवासियों को भी आहत कर गया। उनकी अदाकारी के दीवानों की फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन इलाहाबाद पर उनके कई एहसान भी हैं। हालांकि वह पहली और अंतिम बार गवर्नमेंट प्रेस में आयोजित एक मुशायरे में शामिल होने आए थे लेकिन वह जिस संजीदगी और कमाल के कलाम से लोगों का दिल जीत ले गए थे, उन दिलीप कुमार से जुड़ीं तमाम यादें ताजा हो गईं।
जीप फ्लैश लाइट इंडस्ट्रीज के संस्थापक एमआर शेरवानी की गुजारिश पर वह 1980 में इस मुशायरे में शिरकत करने आए थे। इसमें साहिर लुधियानवी से लेकर अनेक नामचीन शायर थे और दिलीप कुमार के आने की वजह से गवर्नमेंट प्रेस के तिराहे पर इतनी भीड़ जुट गई थी कि उसका गेट बंद करना पड़ा था। फिर भी लोग धैर्य के साथ उनकी एक झलक पाने और उन्हें सुनने के लिए वहां रात तक डटे रहे। लेकिन यह मामला सिर्फ मुशायरे तक ही सीमित नहीं था।