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High court ordered to check the horoscope of victim Lucknow University should check girl is Manglik or not
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UP: इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया स्टे, दुष्कर्म पीड़िता के कुंडली मिलान का दिया आदेश
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 03 Jun 2023 05:36 PM IST
हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को दुष्कर्म पीड़िता की कुंडली की जांच का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय के जस्टिस बृजराज सिंह के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को दुष्कर्म पीड़िता की कुंडली की जांच का आदेश दिया है। यह आदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बृजराज सिंह ने आरोपी गोविंद राय उर्फ मोनू के जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिया है। लखनऊ के थाना चिनहट में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक आरोपी और पीड़िता की शादी पारिवारिक रजामंदी से तय हुई थी। इसी दौरान विवाह से पहले दोनों के बीच मोबाइल पर बातचीत और वीडियो कॉलिंग होने लगी।
इसी दौरान पीड़िता के पिता का देहांत हो गया। इस मौके पर अपनी मां के साथ शोक संवेदना व्यक्त करने आए आरोपी ने शादी का झांसा देकर पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए और घर वापस लौटने के बाद शादी करने से इन्कार करते हुए पीडि़ता की आपत्तिजनक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करने और जान से मारने की धमकी दी थी, जिसके विरूद्ध पीड़िता ने प्राथमिकी दर्ज करवा दी थी, आरोपी को पुलिस ने जेल भेज दिया था।
पारिवारिक रजामंदी से तय हुई थी शादी
उच्च न्यायालय में आरोपी के जमानत प्रार्थना पत्र पर बहस करते हुए आरोपी की अधिवक्ता कहना था कि आरोपी की शादी पारिवारिक सहमति से ही तय होनी थी। दोनो की कुंडली मिलान के लिए एक दूसरे के परिजनों को दी गई थी। आरोपी के पुरोहित की राय में लड़की की कुंडली में मांगलिक दोष है। जिसके कारण परिजन शादी नहीं करना चाहते हैं, जबकि पीड़िता के अधिवक्ता का दावा है कि पीड़िता की कुंडली में मंगलिक दोष नहीं है।
मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने कुंडली दोष की निष्पक्ष जांच के लिए प्रश्नगत कुंडली को लखनऊ विश्वविघालय के ज्योतिष विभाग को भेजते हुए तीन सप्ताह में जांच रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में 26 जून को पेश करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर स्टे लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश में स्वत संज्ञान लेते हुए आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस सुधांशु धूलिया के अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि समझ में नहीं आता कि जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने लड़की के मांगलिक होने या न होने की जानकारी के लिए दोनों पक्षों को कुंडली जमा कराने के लिए क्यों आदेशित किया।
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