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इलाहाबाद। पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया की जेल से बाहर आने की कोशिश को तीसरी बार झटका लगा है। सेशन कोर्ट ने उनका तीसरा जमानत प्रार्थनापत्र भी नामंजूर कर दिया है। करवरिया ने इस बार कई तकनीकी आधारोें पर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए जमानत पर रिहा किए जाने की मांग की थी। सेशन जज ने अपने विस्तृत आदेश में बचाव पक्ष द्वारा दी गई दलीलों को खारिज कर दिया। अभियोजन की ओर से विशेष अधिवक्ता रणेंद्र प्रताप सिंह ने जमानत प्रार्थनापत्र का घोर विरोध किया। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व दो बार उदयभान का जमानत प्रार्थनापत्र खारिज हो चुका है। इस बार उनकी ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र ने सीआरपीसी की धारा 209 के प्रावधानों पर गिरफ्तारी को चुनौती दी। कहा गया कि उदयभान को एक जनवरी 2014 से लेकर अब तक अवैधानिक तरीके से हिरासत में रखा गया है। मजिस्ट्रेट ने उनका गलत तरीके से रिमांड बनाया है। जेल अधीक्षक को निर्देश दिया है कि वह बंदी को अपनी अभिरक्षा में रखे। कोर्ट ने कहा कि 209 सीआरपीसी के तहत रिमांड मुकदमे का कमिटल होने की तिथि तक गिरफ्तारी और ट्रायल प्रारंभ होने से अंतिम निर्णय तक गिरफ्तारी दोनों उद्देश्यों के लिए होता है। बचाव पक्ष की दलील मानने योग्य नहीं है। जिला जज ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जमानत प्रार्थनापत्र नामंजूर कर दिया। उदयभान करवरिया वर्ष 1996 में हुए जवाहर पंडित हत्याकांड में नामजद अभियुक्त हैं। इस घटना में अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया गया, जिसमें जवाहर पंडित सहित तीन लोगों की जान गई थी।
इलाहाबाद। पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया की जेल से बाहर आने की कोशिश को तीसरी बार झटका लगा है। सेशन कोर्ट ने उनका तीसरा जमानत प्रार्थनापत्र भी नामंजूर कर दिया है। करवरिया ने इस बार कई तकनीकी आधारोें पर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए जमानत पर रिहा किए जाने की मांग की थी। सेशन जज ने अपने विस्तृत आदेश में बचाव पक्ष द्वारा दी गई दलीलों को खारिज कर दिया। अभियोजन की ओर से विशेष अधिवक्ता रणेंद्र प्रताप सिंह ने जमानत प्रार्थनापत्र का घोर विरोध किया। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व दो बार उदयभान का जमानत प्रार्थनापत्र खारिज हो चुका है। इस बार उनकी ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र ने सीआरपीसी की धारा 209 के प्रावधानों पर गिरफ्तारी को चुनौती दी। कहा गया कि उदयभान को एक जनवरी 2014 से लेकर अब तक अवैधानिक तरीके से हिरासत में रखा गया है। मजिस्ट्रेट ने उनका गलत तरीके से रिमांड बनाया है। जेल अधीक्षक को निर्देश दिया है कि वह बंदी को अपनी अभिरक्षा में रखे। कोर्ट ने कहा कि 209 सीआरपीसी के तहत रिमांड मुकदमे का कमिटल होने की तिथि तक गिरफ्तारी और ट्रायल प्रारंभ होने से अंतिम निर्णय तक गिरफ्तारी दोनों उद्देश्यों के लिए होता है। बचाव पक्ष की दलील मानने योग्य नहीं है। जिला जज ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जमानत प्रार्थनापत्र नामंजूर कर दिया। उदयभान करवरिया वर्ष 1996 में हुए जवाहर पंडित हत्याकांड में नामजद अभियुक्त हैं। इस घटना में अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया गया, जिसमें जवाहर पंडित सहित तीन लोगों की जान गई थी।