इलाहाबाद। लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाना निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती साबित होने जा रहा है। इलाहाबाद में मतदान के दिन वोटरों को घर से निकालना प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा। 18 साल पहले 1996 के चुनाव भी सात मई को हुए थे, तब इलाहाबाद के इतिहास में सबसे कम महज 37 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार भी चुनाव सात मई को हैं और उस वक्त भीषण गर्मी रहेगी। हालांकि इस चुनाव में वोटरों की सहूलियत के लिए आयोग की तरफ से ढेरों इंतजाम किए जा रहे हैं, जो पहले नहीं थे। इस बार लोकसभा का 16 वां चुनाव है और इनमें से अब तक चार चुनाव भीषण गर्मी के दौरान कराए गए। हर बार गर्मी में मतदान फीका रहा। वोटर घर से नहीं निकले और मतदाता प्रतिशत बेहद कम रहा। 1996 के चुनाव सात मई को हुए थे। तब इलाहाबाद में महज 37.10 फीसदी और फूलपुर में 47.90 फीसदी मतदान हुआ था। इससे पहले 1991 के चुनाव में इलाहाबाद और फूलपुर सीटों के लिए मतदान 20 मई को हुआ था। उस समय भी मतदान प्रतिशत 50 फीसदी से कम रहा। इलाहाबाद में 40.58 और फूलपुर में 47.80 फीसदी वोट पड़े थे। इसके अलावा 2004 के चुनाव में इलाहाबाद और फूलपुर सीट के लिए पांच मई को कराए गए मतदान के दौरान दोनों सीटों पर मतदान प्रतिशत क्रमश: 42.1 और 53.8 फीसदी रहा जबकि 2009 के चुनाव में मतदान प्रतिशत और अधिक निराशाजनक रहा। इस चुनाव में 23 अप्रैल को इलाहाबाद और फूलपुर सीट के लिए मतदान के दौरान दोनों सीटों पर क्रमश: 43.41 एवं 38.71 फीसदी वोट पड़े। अन्य चुनावों के मुकाबले 2009 के चुनावों में पहली बार फूलपुर का मतदान प्रतिशत इलाहाबाद सीट से कम रहा। 2009 के चुनावों में भी मतगणना 16 मई को कराई गई थी। गर्मी में मतदान प्रतिशत का खराब रिकार्ड अफसरों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस बार व्यापक पैमाने पर अभियान चलाकर नए मतदाता जोड़े गए हैं। इस चुनाव में मतदाताओं की संख्या में तकरीबन चार लाख का इजाफा हुआ है। भीषण गर्मी में निर्वाचन आयोग इन मतदाताओं को बूथ तक पहुंचने के लिए प्रेरित कर पाता है या नहीं और वोटरों की सुविधा के लिए आयोग की ओर से किए जा रहे इंतजाम कितने कारगार साबित होते हैं, यह मतदान के दिन ही मालूम होगा।
इलाहाबाद। लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाना निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती साबित होने जा रहा है। इलाहाबाद में मतदान के दिन वोटरों को घर से निकालना प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा। 18 साल पहले 1996 के चुनाव भी सात मई को हुए थे, तब इलाहाबाद के इतिहास में सबसे कम महज 37 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार भी चुनाव सात मई को हैं और उस वक्त भीषण गर्मी रहेगी। हालांकि इस चुनाव में वोटरों की सहूलियत के लिए आयोग की तरफ से ढेरों इंतजाम किए जा रहे हैं, जो पहले नहीं थे। इस बार लोकसभा का 16 वां चुनाव है और इनमें से अब तक चार चुनाव भीषण गर्मी के दौरान कराए गए। हर बार गर्मी में मतदान फीका रहा। वोटर घर से नहीं निकले और मतदाता प्रतिशत बेहद कम रहा। 1996 के चुनाव सात मई को हुए थे। तब इलाहाबाद में महज 37.10 फीसदी और फूलपुर में 47.90 फीसदी मतदान हुआ था। इससे पहले 1991 के चुनाव में इलाहाबाद और फूलपुर सीटों के लिए मतदान 20 मई को हुआ था। उस समय भी मतदान प्रतिशत 50 फीसदी से कम रहा। इलाहाबाद में 40.58 और फूलपुर में 47.80 फीसदी वोट पड़े थे। इसके अलावा 2004 के चुनाव में इलाहाबाद और फूलपुर सीट के लिए पांच मई को कराए गए मतदान के दौरान दोनों सीटों पर मतदान प्रतिशत क्रमश: 42.1 और 53.8 फीसदी रहा जबकि 2009 के चुनाव में मतदान प्रतिशत और अधिक निराशाजनक रहा। इस चुनाव में 23 अप्रैल को इलाहाबाद और फूलपुर सीट के लिए मतदान के दौरान दोनों सीटों पर क्रमश: 43.41 एवं 38.71 फीसदी वोट पड़े। अन्य चुनावों के मुकाबले 2009 के चुनावों में पहली बार फूलपुर का मतदान प्रतिशत इलाहाबाद सीट से कम रहा। 2009 के चुनावों में भी मतगणना 16 मई को कराई गई थी। गर्मी में मतदान प्रतिशत का खराब रिकार्ड अफसरों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस बार व्यापक पैमाने पर अभियान चलाकर नए मतदाता जोड़े गए हैं। इस चुनाव में मतदाताओं की संख्या में तकरीबन चार लाख का इजाफा हुआ है। भीषण गर्मी में निर्वाचन आयोग इन मतदाताओं को बूथ तक पहुंचने के लिए प्रेरित कर पाता है या नहीं और वोटरों की सुविधा के लिए आयोग की ओर से किए जा रहे इंतजाम कितने कारगार साबित होते हैं, यह मतदान के दिन ही मालूम होगा।
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