पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
इलाहाबाद(ब्यूरो)। माहे मुकद्दस के पहले जुमे को शहर की तमाम मस्जिदों में इसकी अहमियत और रोजों की फजीलत बताई गई। जुमे की खास नमाज के दौरान पेश इमामों ने कहा, माहे रमजान में अल्लाह लोगों को अपना मेहमान बनने की दावत दे रहा है। इस दौरान बुराइयों की तरफ से अपनी आंखें बंद करो। न जबान से किसी की बुराई करो और न ही कान से किसी की बुराई सुनो।
शहर काजी मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी ने अपनी तकरीर में कहा, माहे रमजान सिर्फ और सिर्फ अच्छे, नेक काम करने के लिए है। जरूरतमंदों और यतीमों का ख्याल करो ताकि हर मुश्किल में तुम्हें भी रास्ता मिले। रोशनबाग स्थित मस्जिद वसीउल्लाह के पेश इमाम मौलाना इरफान अहमद ने कहा, रोजे हमे नेक इंसान बनने का सलीका सिखाते हैं।
शिया जामा मस्जिद चक के इमाम जुमा व जमात सैयद हसन रजा ने कहा, रोजा सिर्फ भूूख और प्यास छोड़ने का नाम नहीं बल्कि अच्छे आमाल अख्तियार करोगे, तभी अच्छे रोजेदार बनोगे। माहे रमजान में कुरान की तिलावत की बहार है। इस दौरान हमें ज्यादा से ज्यादा कुरानपाक की तिलावत करनी चाहिए, इससे घर में बरकत होती है और बलाएं दूर भागती हैं। इसी तरह चौक स्थित जामा मस्जिद, वसीयाबाद मस्जिद सहित शहर की तमाम मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान रोजों की फजीलत बयां की गई।
इलाहाबाद(ब्यूरो)। माहे मुकद्दस के पहले जुमे को शहर की तमाम मस्जिदों में इसकी अहमियत और रोजों की फजीलत बताई गई। जुमे की खास नमाज के दौरान पेश इमामों ने कहा, माहे रमजान में अल्लाह लोगों को अपना मेहमान बनने की दावत दे रहा है। इस दौरान बुराइयों की तरफ से अपनी आंखें बंद करो। न जबान से किसी की बुराई करो और न ही कान से किसी की बुराई सुनो।
शहर काजी मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी ने अपनी तकरीर में कहा, माहे रमजान सिर्फ और सिर्फ अच्छे, नेक काम करने के लिए है। जरूरतमंदों और यतीमों का ख्याल करो ताकि हर मुश्किल में तुम्हें भी रास्ता मिले। रोशनबाग स्थित मस्जिद वसीउल्लाह के पेश इमाम मौलाना इरफान अहमद ने कहा, रोजे हमे नेक इंसान बनने का सलीका सिखाते हैं।
शिया जामा मस्जिद चक के इमाम जुमा व जमात सैयद हसन रजा ने कहा, रोजा सिर्फ भूूख और प्यास छोड़ने का नाम नहीं बल्कि अच्छे आमाल अख्तियार करोगे, तभी अच्छे रोजेदार बनोगे। माहे रमजान में कुरान की तिलावत की बहार है। इस दौरान हमें ज्यादा से ज्यादा कुरानपाक की तिलावत करनी चाहिए, इससे घर में बरकत होती है और बलाएं दूर भागती हैं। इसी तरह चौक स्थित जामा मस्जिद, वसीयाबाद मस्जिद सहित शहर की तमाम मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान रोजों की फजीलत बयां की गई।