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सहरी से हुई सुबह, इफ्तार से शाम
Allahabad
Published by:
Updated Fri, 12 Jul 2013 05:30 AM IST
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कहीं भी, कभी भी।
इलाहाबाद। माहे मुकद्दस की शुरुआत के साथ ही शहर के तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों की फिज़ा बदल गई है और पहले रोजे के साथ घरों की रंगत भी। सहरी के साथ सुबह हुई और इफ्तार से शाम। अन्य दिनों की अपेक्षा बृहस्पतिवार को कई घंटे पहले ही सुबह हुई। रोजेदारों से उठने के लिए मस्जिदों से ऐलान किया गया। मस्जिदों पर लगी हरी बत्तियां जल उठीं। हालांकि घरों में भी लोगों ने सहरी के लिए वक्त पर उठने को मोबाइल और घड़ियों में अलार्म लगाए थे। एक ओर मस्जिद में फजिर की नमाज तो दूसरी ओर घरों में सहरी की तैयारियां शुरू हुईं। नमाज के साथ ही अल्लाह की बारगाह में इबादत का सिलसिला भी शुरू हुआ।
दिन भर भले ही थोड़ा सन्नाटा, थोड़ी खामोशी रही लेकिन इफ्तार से पहले फिर तैयारियां तेज हुईं। इफ्तार की तैयारी में चायखानों, होटलों में जान आई, वहीं महिलाएं भी घरों में जुट गईं। तमाम जगहों पर लोगों ने एक साथ बैठकर पहले खजूर से रोजा खोला, फिर इफ्तारी की। दिन भर के रोजे केलिए अल्लाह का शुक्रिया अदा किया। इफ्तार से पहले मस्जिदों और इबादतगाहों में भी घरों से इफ्तारी पहुंचाई गई ताकि वहां आने वाले भी वक्त पर इफ्तारी कर सकें। तय वक्त पर इफ्तार के लिए घर पहुंचने क ी आपाधापी भी दिखी। देर शाम तक दफ्तरों में रहने वाले रोजा खोलने के लिए तय वक्त पर घर पहुंचे। मुस्लिम बहुल इलाकों में नमकीन, पकौड़ी, इमरती आदि की दुकानें सजीं।
तरावीह के साथ ही मस्जिदें आबाद हुईं। आधी रात के बाद भी सड़क और चौराहे गुलजार रहे। नूरुल्लाह रोड, दरियाबाद, रानीमंडी, करेली, नखासकोहना, चौक, अटाला आदि जगहों पर देर रात की गोष्ठियों में रमजान की फजीलत ही नहीं देश-दुनिया के तमाम अहम मसलों पर भी चर्चा का दौर जारी रहा। तरावीह से लौटते वक्त लोगों ने फिर सहरी और इफ्तार के लिए जरूरी चीजें खरीदीं, लिहाजा इन इलाकों की दुकानें भी देर रात तक खुली रहीं। पहले दिन के रोजे के साथ शहर की तमाम मस्जिदों में इंतजाम में जो कमियां रह गई थीं, उन्हें पूरा किया गया। मस्जिदों में भी इबादत और तिलावत जारी रही। शाही मस्जिद सुलेमसराय में छह दिन की तरावीह रखी गई है।
इलाहाबाद। माहे मुकद्दस की शुरुआत के साथ ही शहर के तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों की फिज़ा बदल गई है और पहले रोजे के साथ घरों की रंगत भी। सहरी के साथ सुबह हुई और इफ्तार से शाम। अन्य दिनों की अपेक्षा बृहस्पतिवार को कई घंटे पहले ही सुबह हुई। रोजेदारों से उठने के लिए मस्जिदों से ऐलान किया गया। मस्जिदों पर लगी हरी बत्तियां जल उठीं। हालांकि घरों में भी लोगों ने सहरी के लिए वक्त पर उठने को मोबाइल और घड़ियों में अलार्म लगाए थे। एक ओर मस्जिद में फजिर की नमाज तो दूसरी ओर घरों में सहरी की तैयारियां शुरू हुईं। नमाज के साथ ही अल्लाह की बारगाह में इबादत का सिलसिला भी शुरू हुआ।
दिन भर भले ही थोड़ा सन्नाटा, थोड़ी खामोशी रही लेकिन इफ्तार से पहले फिर तैयारियां तेज हुईं। इफ्तार की तैयारी में चायखानों, होटलों में जान आई, वहीं महिलाएं भी घरों में जुट गईं। तमाम जगहों पर लोगों ने एक साथ बैठकर पहले खजूर से रोजा खोला, फिर इफ्तारी की। दिन भर के रोजे केलिए अल्लाह का शुक्रिया अदा किया। इफ्तार से पहले मस्जिदों और इबादतगाहों में भी घरों से इफ्तारी पहुंचाई गई ताकि वहां आने वाले भी वक्त पर इफ्तारी कर सकें। तय वक्त पर इफ्तार के लिए घर पहुंचने क ी आपाधापी भी दिखी। देर शाम तक दफ्तरों में रहने वाले रोजा खोलने के लिए तय वक्त पर घर पहुंचे। मुस्लिम बहुल इलाकों में नमकीन, पकौड़ी, इमरती आदि की दुकानें सजीं।
तरावीह के साथ ही मस्जिदें आबाद हुईं। आधी रात के बाद भी सड़क और चौराहे गुलजार रहे। नूरुल्लाह रोड, दरियाबाद, रानीमंडी, करेली, नखासकोहना, चौक, अटाला आदि जगहों पर देर रात की गोष्ठियों में रमजान की फजीलत ही नहीं देश-दुनिया के तमाम अहम मसलों पर भी चर्चा का दौर जारी रहा। तरावीह से लौटते वक्त लोगों ने फिर सहरी और इफ्तार के लिए जरूरी चीजें खरीदीं, लिहाजा इन इलाकों की दुकानें भी देर रात तक खुली रहीं। पहले दिन के रोजे के साथ शहर की तमाम मस्जिदों में इंतजाम में जो कमियां रह गई थीं, उन्हें पूरा किया गया। मस्जिदों में भी इबादत और तिलावत जारी रही। शाही मस्जिद सुलेमसराय में छह दिन की तरावीह रखी गई है।