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इलाहाबाद। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में तेजी से आबादी बढ़ने को लेकर तमाम चिंताएं जताई जा रही हैं लेकिन इलाहाबाद के लिए सुकून देने वाली बात यह है कि जिले की जनसंख्या वृद्धि की दर कम हुई है। बच्चों के जन्म में लगभग छह फीसदी की गिरावट आई है लेकिन इस राहत के पीछे एक स्याह पक्ष ऐसा है जो ज्यादा गंभीर है। संगमनगरी में पिछले कुछ वर्षों में बेटियों की संख्या काफी कम हुई है। बेटियों को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है, लोगों में बेटियों को लेकर स्वीकारोक्ति भी पहले से ज्यादा है लेकिन जिले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या में कमी बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रही है।
जनगणना के आंकड़ों पर ध्यान दें तो इलाहाबाद जिले में वर्ष 2001 में जनसंख्या वृद्धि की दर 26.61 प्रतिशत थी। वर्तमान में वृद्धि की दर घटकर 20.63 प्रतिशत रह गई। वर्ष 2001 की तुलना में आबादी 4936105 से बढ़कर 5954391 जरूर हो गई लेकिन वृद्धि दर में कमी से उम्मीद जगी है कि अगले कुछ वर्षों में इस पर और काबू हो सकता है।
जनसंख्या आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले में बेटियों की संख्या तेजी से गिरी है। आंकड़ाें के मुताबिक वर्ष 2001 में प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की तादात 917 थी। वर्तमान में यह आंकड़ा 893 पर आ गया है। समाजशास्त्री लड़कियों की गिरती संख्या को सामाजिक तानेबाने के लिए ठीक नहीं मान रहे हैं। वरिष्ठ समाजशास्त्री डॉ. हेमलता श्रीवास्तव का कहना है कि लड़कियों की संख्या में गिरावट से बहुविवाह जैसी प्रथा विकसित होने के साथ ही यौन अपराधों में इजाफा होगा। परिवार और विवाह जैसी संस्थाएं विघटित होंगी जिसका असर न सिर्फ परिवार वरन समाज पर भी दिखाई देगा।
इलाहाबाद। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में तेजी से आबादी बढ़ने को लेकर तमाम चिंताएं जताई जा रही हैं लेकिन इलाहाबाद के लिए सुकून देने वाली बात यह है कि जिले की जनसंख्या वृद्धि की दर कम हुई है। बच्चों के जन्म में लगभग छह फीसदी की गिरावट आई है लेकिन इस राहत के पीछे एक स्याह पक्ष ऐसा है जो ज्यादा गंभीर है। संगमनगरी में पिछले कुछ वर्षों में बेटियों की संख्या काफी कम हुई है। बेटियों को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है, लोगों में बेटियों को लेकर स्वीकारोक्ति भी पहले से ज्यादा है लेकिन जिले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या में कमी बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रही है।
जनगणना के आंकड़ों पर ध्यान दें तो इलाहाबाद जिले में वर्ष 2001 में जनसंख्या वृद्धि की दर 26.61 प्रतिशत थी। वर्तमान में वृद्धि की दर घटकर 20.63 प्रतिशत रह गई। वर्ष 2001 की तुलना में आबादी 4936105 से बढ़कर 5954391 जरूर हो गई लेकिन वृद्धि दर में कमी से उम्मीद जगी है कि अगले कुछ वर्षों में इस पर और काबू हो सकता है।
जनसंख्या आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले में बेटियों की संख्या तेजी से गिरी है। आंकड़ाें के मुताबिक वर्ष 2001 में प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की तादात 917 थी। वर्तमान में यह आंकड़ा 893 पर आ गया है। समाजशास्त्री लड़कियों की गिरती संख्या को सामाजिक तानेबाने के लिए ठीक नहीं मान रहे हैं। वरिष्ठ समाजशास्त्री डॉ. हेमलता श्रीवास्तव का कहना है कि लड़कियों की संख्या में गिरावट से बहुविवाह जैसी प्रथा विकसित होने के साथ ही यौन अपराधों में इजाफा होगा। परिवार और विवाह जैसी संस्थाएं विघटित होंगी जिसका असर न सिर्फ परिवार वरन समाज पर भी दिखाई देगा।