इलाहाबाद (ब्यूरो)। राज्य विभाजन के बाद राज्य कर्मियों के उत्तराखंड स्थानांतरण के मामले में दाखिल याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई टल गई है। अब इस मामले में सात अगस्त को सुनवाई होगी। उत्तराखंड के महाधिवक्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए उनको और समय दिया जाए। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने अगली तिथि पर मामला प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। पुलिस सहित कई विभागों के कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश विभाजन के बाद बने उत्तराखंड में तबादला किया जाना है।
तबादले को जगदीश नारायण दोहरे समेत कई कर्मचारियों ने चुनौती दी है। पूर्व में इस मामले पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकारियों ने बैठक कर तय किया था कि जो कर्मचारी जहां हैं वहीं बने रहेंगे। उत्तराखंड राज्य उन कर्मचारियों केे पदों पर नई नियुक्तियां कर लेगा। इस फैसले को केंद्र सरकार ने नहीं माना। केंद्र के अधिवक्ता ने हलफनामा दाखिलकर बताया कि केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों का विभाजन कर तबादले कर दिए हैं। स्थानांतरित कर्मचारियों को नई तैनातियों पर कार्यभार ग्रहण कर लेना चाहिए। केंद्र की आपत्ति से दोनों सरकारों की आपसी सहमति का मामला खटाई में पड़ गया है। अब उत्तराखंड की कैबिनेट इस मामले पर विचार कर फिर से निर्णय लेगी।
हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि एक परिसर में कंपनी की तीन अलग-अलग यूनिटें होने और उनका एक ही टेलीफोन नंबर तथा एकाउंटेंट होने से यह तय नहीं होता कि तीनों कंपनियां एक ही हैं और इस आधार पर उन तीनों कंपनियों के कर्मचारियों को भविष्य निधि अधिनियम का लाभ नहीं मिलेगा। भविष्य निधि का लाभ तभी मिल सकता है जब एक ही इकाई में कम से कम 20 कर्मचारी हों। तीन इकाईयों को मिलाकर यदि कर्मचारियों की संख्या 20 या उससे कुछ अधिक होती है तो वह भविष्य निधि का लाभ उठा सकता है। न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने बिजनौर सुमित्रा नर्सिंग होम की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है।
इलाहाबाद (ब्यूरो)। राज्य विभाजन के बाद राज्य कर्मियों के उत्तराखंड स्थानांतरण के मामले में दाखिल याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई टल गई है। अब इस मामले में सात अगस्त को सुनवाई होगी। उत्तराखंड के महाधिवक्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए उनको और समय दिया जाए। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने अगली तिथि पर मामला प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। पुलिस सहित कई विभागों के कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश विभाजन के बाद बने उत्तराखंड में तबादला किया जाना है।
तबादले को जगदीश नारायण दोहरे समेत कई कर्मचारियों ने चुनौती दी है। पूर्व में इस मामले पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकारियों ने बैठक कर तय किया था कि जो कर्मचारी जहां हैं वहीं बने रहेंगे। उत्तराखंड राज्य उन कर्मचारियों केे पदों पर नई नियुक्तियां कर लेगा। इस फैसले को केंद्र सरकार ने नहीं माना। केंद्र के अधिवक्ता ने हलफनामा दाखिलकर बताया कि केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों का विभाजन कर तबादले कर दिए हैं। स्थानांतरित कर्मचारियों को नई तैनातियों पर कार्यभार ग्रहण कर लेना चाहिए। केंद्र की आपत्ति से दोनों सरकारों की आपसी सहमति का मामला खटाई में पड़ गया है। अब उत्तराखंड की कैबिनेट इस मामले पर विचार कर फिर से निर्णय लेगी।
हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि एक परिसर में कंपनी की तीन अलग-अलग यूनिटें होने और उनका एक ही टेलीफोन नंबर तथा एकाउंटेंट होने से यह तय नहीं होता कि तीनों कंपनियां एक ही हैं और इस आधार पर उन तीनों कंपनियों के कर्मचारियों को भविष्य निधि अधिनियम का लाभ नहीं मिलेगा। भविष्य निधि का लाभ तभी मिल सकता है जब एक ही इकाई में कम से कम 20 कर्मचारी हों। तीन इकाईयों को मिलाकर यदि कर्मचारियों की संख्या 20 या उससे कुछ अधिक होती है तो वह भविष्य निधि का लाभ उठा सकता है। न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने बिजनौर सुमित्रा नर्सिंग होम की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है।