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महाकुंभ नगर। गोलियों और गोला-बारूद से जश्न मनाने वाले असम के अलगाववादी संगठन युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम, उल्फा के कमांडरों ने भी मन की शांति के लिए पौष पूर्णिमा पर रविवार को संगम में डुबकी लगाई। शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ के संग संगम पहुंचे उल्फा के डिप्टी कमांडर इन चीफ राजू बरुआ और विदेश सचिव शशिधर चौधरी ने गंगा से अपने उद्देश्य की सफलता और मन की स्थिरता के लिए आशीष मांगा। कुंभ नगरी में प्रवास के दौरान उन्होंने विभिन्न वर्ग के बुद्धिजीवियों से भी मुलाकात की। वापसी में वे संगम के प्रसाद के रूप में शंकराचार्य की ओर से दी गई रुद्राक्ष की माला और मन की शांति का मंत्र ले गए। शंकराचार्य की ओर से उन्हें आजीवन हिंसा छोड़ने का संकल्प भी दिलाया गया।
‘अमर उजाला’ से बातचीत में दोनों प्रमुखों ने अपने संकल्प, कुंभनगरी में प्रवास और सरकार से चल रही शांति वार्ता के बारे में किए जा रहे प्रयासों को साझा किया। डिप्टी कमांडर इन चीफ राजू ने कहा कि यह संगम में उनकी यह डुबकी सरकार के साथ चल रही वार्ता में तेजी लाने, सफलता और ‘पर्सनल पीस’ के लिए थी। उल्फा के विदेश सचिव शशिधर चौधरी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस वार्ता का हल यूपीए गठबंधन की सरकार में ही निकल आएगा। शांति के लिए सरकार से वार्ता जारी है। कहा कि कुंभनगरी और शंकराचार्य के पास आने का मकसद मन की शांति है।
बातचीत में शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश में अलगाववाद को खत्म करने और सभी को एकसूत्र में पिरोने की पहल की थी, उनके प्रतिनिधि के रूप में मैं भी इसी प्रयास में जुटा हूं। देश की मजबूती और इसके विकास के लिए आंतरिक शांति बहुत जरूरी है। असम में शांति के लिए जहां उल्फा के सदस्यों को हठधर्मिता छोड़ने की सीख दी गई है, वहीं सरकार को भी उनसे सहानुभूतिपूर्वक वार्ता करने का सुझाव दिया गया है ताकि असम में शीघ्र शांति बहाल हो सके। यहां प्रवास के दौरान उन्होंने योग और प्राणायाम के सूत्र भी सीखे। उल्फा के बाकी सदस्यों के लिए भी यहां से रुद्राक्ष की 11 हजार मालाएं और रुद्राक्ष भेजे जाएंगे।
महाकुंभ नगर। गोलियों और गोला-बारूद से जश्न मनाने वाले असम के अलगाववादी संगठन युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम, उल्फा के कमांडरों ने भी मन की शांति के लिए पौष पूर्णिमा पर रविवार को संगम में डुबकी लगाई। शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ के संग संगम पहुंचे उल्फा के डिप्टी कमांडर इन चीफ राजू बरुआ और विदेश सचिव शशिधर चौधरी ने गंगा से अपने उद्देश्य की सफलता और मन की स्थिरता के लिए आशीष मांगा। कुंभ नगरी में प्रवास के दौरान उन्होंने विभिन्न वर्ग के बुद्धिजीवियों से भी मुलाकात की। वापसी में वे संगम के प्रसाद के रूप में शंकराचार्य की ओर से दी गई रुद्राक्ष की माला और मन की शांति का मंत्र ले गए। शंकराचार्य की ओर से उन्हें आजीवन हिंसा छोड़ने का संकल्प भी दिलाया गया।
‘अमर उजाला’ से बातचीत में दोनों प्रमुखों ने अपने संकल्प, कुंभनगरी में प्रवास और सरकार से चल रही शांति वार्ता के बारे में किए जा रहे प्रयासों को साझा किया। डिप्टी कमांडर इन चीफ राजू ने कहा कि यह संगम में उनकी यह डुबकी सरकार के साथ चल रही वार्ता में तेजी लाने, सफलता और ‘पर्सनल पीस’ के लिए थी। उल्फा के विदेश सचिव शशिधर चौधरी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस वार्ता का हल यूपीए गठबंधन की सरकार में ही निकल आएगा। शांति के लिए सरकार से वार्ता जारी है। कहा कि कुंभनगरी और शंकराचार्य के पास आने का मकसद मन की शांति है।
बातचीत में शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश में अलगाववाद को खत्म करने और सभी को एकसूत्र में पिरोने की पहल की थी, उनके प्रतिनिधि के रूप में मैं भी इसी प्रयास में जुटा हूं। देश की मजबूती और इसके विकास के लिए आंतरिक शांति बहुत जरूरी है। असम में शांति के लिए जहां उल्फा के सदस्यों को हठधर्मिता छोड़ने की सीख दी गई है, वहीं सरकार को भी उनसे सहानुभूतिपूर्वक वार्ता करने का सुझाव दिया गया है ताकि असम में शीघ्र शांति बहाल हो सके। यहां प्रवास के दौरान उन्होंने योग और प्राणायाम के सूत्र भी सीखे। उल्फा के बाकी सदस्यों के लिए भी यहां से रुद्राक्ष की 11 हजार मालाएं और रुद्राक्ष भेजे जाएंगे।