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महाकुंभ नगर (इलाहाबाद)। पौष पूर्णिमा पर कुंभ मेले में आए छह हजार से ज्यादा लोग अपनों से बिछड़ गए। हालांकि भूले-भटके शिविरों के माध्यम से शाम तक इन लोगों की अपने रिश्तेदारों से मुलाकात हो गई लेकिन दूसरे प्रांतों से आईं आधा दर्जन बुजुर्ग महिलाओं को लेने देर रात तक कोई नहीं पहुंचा। भूले-भटके शिविरों में दिनभर लोगों की भीड़ लगी रही।
भारत के सेवा दल शिविर में 4345 लोग अपनों से बिछड़कर पहुंचे। इनमें दो से पांच साल के सात बच्चे भी शामिल थे। शाम तक सभी लोगों को उनके रिश्तेदार लेने पहुंच गए। वहीं, रणजीत पंडित शिक्षा समिति एवं हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति के शिविर में 1700 लोगों को अपनों से मिलवाया गया और इनमें तीन दर्जन से ज्यादा बच्चे भी शामिल रहे। उड़ीसा, मध्य प्रदेश और बिहार से आईं सात बुजुर्ग महिलाएं देर रात तक शिविर में बैठी रहीं। लाउडस्पीकर पर बार-बार घोषणा करने के बावजूद इन्हें लेने कोई नहीं आया। वहीं, मेला प्रशासन के भूले-भटके शिविर के माध्यम से भी सात बीस बच्चों सहित 200 लोगों को अपनों से बिछड़ने के बाद मिलवाया गया।
महाकुंभ नगर (इलाहाबाद)। पौष पूर्णिमा पर कुंभ मेले में आए छह हजार से ज्यादा लोग अपनों से बिछड़ गए। हालांकि भूले-भटके शिविरों के माध्यम से शाम तक इन लोगों की अपने रिश्तेदारों से मुलाकात हो गई लेकिन दूसरे प्रांतों से आईं आधा दर्जन बुजुर्ग महिलाओं को लेने देर रात तक कोई नहीं पहुंचा। भूले-भटके शिविरों में दिनभर लोगों की भीड़ लगी रही।
भारत के सेवा दल शिविर में 4345 लोग अपनों से बिछड़कर पहुंचे। इनमें दो से पांच साल के सात बच्चे भी शामिल थे। शाम तक सभी लोगों को उनके रिश्तेदार लेने पहुंच गए। वहीं, रणजीत पंडित शिक्षा समिति एवं हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति के शिविर में 1700 लोगों को अपनों से मिलवाया गया और इनमें तीन दर्जन से ज्यादा बच्चे भी शामिल रहे। उड़ीसा, मध्य प्रदेश और बिहार से आईं सात बुजुर्ग महिलाएं देर रात तक शिविर में बैठी रहीं। लाउडस्पीकर पर बार-बार घोषणा करने के बावजूद इन्हें लेने कोई नहीं आया। वहीं, मेला प्रशासन के भूले-भटके शिविर के माध्यम से भी सात बीस बच्चों सहित 200 लोगों को अपनों से बिछड़ने के बाद मिलवाया गया।