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इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में हाल ही में लागू यूपी राजस्व संहिता 2006 विवादों में फंस गई है। संहिता के प्रावधानों से अधिवक्ता नाखुश हैं। उनकी मुख्य आपत्ति राजस्व न्यायालय की प्रधान पीठ को स्थानांतरित करने को लेकर है। यह मुद्दा गरमा सकता है। अधिवक्ता इस मामले को लेकर लंबी लड़ाई का मूड बना चुुके हैं। बोर्ड ऑफ रेवेन्यू बार एसोसिएशन ने इस मुद्दे कोे मुख्यमंत्री अखिलेश के समक्ष उठाने की तैयारी कर ली है।
यूपी लैंड रेवेन्यू एक्ट और उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश तथा भूमि सुधार अधिनियम की तमाम विसंगितयों को दूर कर नया रेवेन्यू कोड दिसंबर 2012 में लागू कर दिया गया है। कोड के लागू होने से यूपीजेडएएलआर एक्ट और लैंड रेवेन्यू एक्ट अब एक ही संहिता से संचालित होंगे। मगर नए कोड की धारा 7(2) को लेकर वकीलों को ऐतराज है। राजस्व परिषद् बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हर्ष नारायण शर्मा का कहना है कि रेवेन्यू कोड की धारा 7(2), इसी कोड की धारा 7(1) की विरोधाभासी है। इस धारा में प्रधानपीठ लखनऊ ले जाने का प्रावधान है। राजस्व परिषद् की प्रधानपीठ 1931 से इलाहाबाद में ही रही है। इसका कार्यालय भी यहीं रहा है। 1968 में सदस्यों के आपसी कार्य विभाजन के कारण भू-राजस्व के मुकदमे लखनऊ पीठ को दे दिए गए। शेष मामलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद के ही पास रहा। प्रधानपीठ भी इलाहाबाद में ही रही। चेयरमैन के अधिकार भी बढ़ा दिए गए हैं। अब कार्य का वितरण चेयमैन ही करेंगे। प्रधानपीठ हटने और मुकदमों का क्षेत्राधिकार बदलने से अधिवक्ताओं और वादकारियों दोनों का हित प्रभावित होगा। बार एसोसिएशन इस मुद्दे पर सोमवार को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेगी।
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में हाल ही में लागू यूपी राजस्व संहिता 2006 विवादों में फंस गई है। संहिता के प्रावधानों से अधिवक्ता नाखुश हैं। उनकी मुख्य आपत्ति राजस्व न्यायालय की प्रधान पीठ को स्थानांतरित करने को लेकर है। यह मुद्दा गरमा सकता है। अधिवक्ता इस मामले को लेकर लंबी लड़ाई का मूड बना चुुके हैं। बोर्ड ऑफ रेवेन्यू बार एसोसिएशन ने इस मुद्दे कोे मुख्यमंत्री अखिलेश के समक्ष उठाने की तैयारी कर ली है।
यूपी लैंड रेवेन्यू एक्ट और उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश तथा भूमि सुधार अधिनियम की तमाम विसंगितयों को दूर कर नया रेवेन्यू कोड दिसंबर 2012 में लागू कर दिया गया है। कोड के लागू होने से यूपीजेडएएलआर एक्ट और लैंड रेवेन्यू एक्ट अब एक ही संहिता से संचालित होंगे। मगर नए कोड की धारा 7(2) को लेकर वकीलों को ऐतराज है। राजस्व परिषद् बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हर्ष नारायण शर्मा का कहना है कि रेवेन्यू कोड की धारा 7(2), इसी कोड की धारा 7(1) की विरोधाभासी है। इस धारा में प्रधानपीठ लखनऊ ले जाने का प्रावधान है। राजस्व परिषद् की प्रधानपीठ 1931 से इलाहाबाद में ही रही है। इसका कार्यालय भी यहीं रहा है। 1968 में सदस्यों के आपसी कार्य विभाजन के कारण भू-राजस्व के मुकदमे लखनऊ पीठ को दे दिए गए। शेष मामलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद के ही पास रहा। प्रधानपीठ भी इलाहाबाद में ही रही। चेयरमैन के अधिकार भी बढ़ा दिए गए हैं। अब कार्य का वितरण चेयमैन ही करेंगे। प्रधानपीठ हटने और मुकदमों का क्षेत्राधिकार बदलने से अधिवक्ताओं और वादकारियों दोनों का हित प्रभावित होगा। बार एसोसिएशन इस मुद्दे पर सोमवार को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेगी।