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इलाहाबाद। कुंभ मेला क्षेत्र में जुटे कल्पवासियों, साधु, संत महामंडलेश्वरों, हठ योगियों सहित प्रवचन करने वाले बाबाओं से जुड़ी हर प्रकार की गतिविधियों का इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज (इंटैक) संरक्षण कर रहा है। इंटैक की ओर से एक टीम मेला क्षेत्र में नागा संतों, भिखारियों, नाविकों और घाट के पंडों की पूरी जीवनचर्या को संकलित करने का काम कर रहे हैं।
इंटैक की ओर से इन आंकडों को जुटाने के बाद इनका डॉक्यूमेंटेशन करके उसे पुस्तक के रूप में तैयार करने की योजना है। इंटैक अखाड़ों, नागा संतों पर पूरी फिल्म भी तैयार कर रहा है। इंटैक की स्थानीय इकाई के संयोजक डॉ.सुनील गुप्ता ने बताया कि कुंभ मेले की जान कहे जाने वाले कल्पवासियों की पूरी दिनचर्या का संरक्षण किया जाएगा। टीम यह जानने का भी प्रयास करेगी कि कल्पवास किस उद्देश्य को लेकर कब से शुरू हुआ।
संगम की रेती पर कड़ाके की ठंड में रहने के बाद इन कल्पवासी श्रद्घालुओं की जीवन पद्घति में किस प्रकार का बदलाव आता है, इस बात को भी रेखांकित किया जाएगा। डॉ. गुप्ता ने बताया कि कुंभ मेले में अखाड़ों के शाही स्नान सभी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं, इनकी पूरी कार्यपद्घति के साथ अखाड़ों की शान कहे जाने वाले साजो सामान की भी पूरी तरह से रिकार्डिंग करके फिल्म तैयार की जा रही है।
इंटैक की टीम तीनों शाही स्नान की रिकार्डिंग के साथ, इनके इतिहास का भी संजोकर पुस्तक के तौर उपलब्ध कराने की कोशिश में है। इंटैक पूरी अध्ययन सामग्री को अपनी वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराएगा। डॉ. गुप्ता ने बताया कि टीम के सदस्यों को अपने सर्वेक्षण के दौरान गूढ़ रहस्य की जानकारी मिल रही है, इन रहस्यों के बारे में टीम के सदस्य मेला अवधि के दौरान ही समाधान खोजने की कोशिश करेंगे।
इलाहाबाद। कुंभ मेला क्षेत्र में जुटे कल्पवासियों, साधु, संत महामंडलेश्वरों, हठ योगियों सहित प्रवचन करने वाले बाबाओं से जुड़ी हर प्रकार की गतिविधियों का इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज (इंटैक) संरक्षण कर रहा है। इंटैक की ओर से एक टीम मेला क्षेत्र में नागा संतों, भिखारियों, नाविकों और घाट के पंडों की पूरी जीवनचर्या को संकलित करने का काम कर रहे हैं।
इंटैक की ओर से इन आंकडों को जुटाने के बाद इनका डॉक्यूमेंटेशन करके उसे पुस्तक के रूप में तैयार करने की योजना है। इंटैक अखाड़ों, नागा संतों पर पूरी फिल्म भी तैयार कर रहा है। इंटैक की स्थानीय इकाई के संयोजक डॉ.सुनील गुप्ता ने बताया कि कुंभ मेले की जान कहे जाने वाले कल्पवासियों की पूरी दिनचर्या का संरक्षण किया जाएगा। टीम यह जानने का भी प्रयास करेगी कि कल्पवास किस उद्देश्य को लेकर कब से शुरू हुआ।
संगम की रेती पर कड़ाके की ठंड में रहने के बाद इन कल्पवासी श्रद्घालुओं की जीवन पद्घति में किस प्रकार का बदलाव आता है, इस बात को भी रेखांकित किया जाएगा। डॉ. गुप्ता ने बताया कि कुंभ मेले में अखाड़ों के शाही स्नान सभी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं, इनकी पूरी कार्यपद्घति के साथ अखाड़ों की शान कहे जाने वाले साजो सामान की भी पूरी तरह से रिकार्डिंग करके फिल्म तैयार की जा रही है।
इंटैक की टीम तीनों शाही स्नान की रिकार्डिंग के साथ, इनके इतिहास का भी संजोकर पुस्तक के तौर उपलब्ध कराने की कोशिश में है। इंटैक पूरी अध्ययन सामग्री को अपनी वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराएगा। डॉ. गुप्ता ने बताया कि टीम के सदस्यों को अपने सर्वेक्षण के दौरान गूढ़ रहस्य की जानकारी मिल रही है, इन रहस्यों के बारे में टीम के सदस्य मेला अवधि के दौरान ही समाधान खोजने की कोशिश करेंगे।