इलाहाबाद। मम्फोर्डगंज के राहुल दत्ता को स्वीडेन की एक संस्था ने प्रोजेक्ट के लिए आमंत्रित किया था। संस्था उनके कार्य से प्रभावित थी लेकिन उनकी पीएचडी की डिग्री देखने के बाद उन्हें वापस कर दिया गया। डिग्री में फैकेल्टी और विषय का उल्लेख नहीं था इसलिए उन्हें लौटाया गया। काफी भागदौड़ के बाद विश्वविद्यालय से नया सर्टिफिकेट दिया गया जिसमें विषय का उल्लेख था, तब उन्हें प्रोजेक्ट में शामिल किया गया।
एमएनएनआईटी से पीएचडी करने वाली ईरान की छात्रा को भी इसी तरह की समस्या से रूबरू होना पड़ा। उसे तो दोबारा मौका भी नहीं मिला। जब तक वह आवेदन कर डिग्री में विषय दर्ज कराती, संस्था ने दूसरे को मौका दे दिया। केवल दो नहीं, पिछले कुछ महीनों में ही ऐसे लगभग 100 मामले हो चुके हैं। खासकर विदेशी विश्वविद्यालयों या संगठनों से एप्रोच करने वालों को परेशानी हुई। ज्यादातर की पीएचडी या डीफिल की डिग्री को लेकर विदेशों में आपत्ति उठाई गई। डिग्री में विषय और टॉपिक का उल्लेख नहीं होने के कारण यहां के पीएचडीधारकों को विदेशों में अक्सर इस तरह की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। लगातार शिकायतों के बाद इसे लेकर नई बहस छिड़ गई है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इस कमी को स्वीकार कर डिग्री के प्रारूप में बदलाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
अधिकतर शिक्षण संस्थानों में पीएचडी/डीफिल की डिग्री पर विषय, टॉपिक आदि का विवरण नहीं होता है। कई संस्थान की डिग्री पर तो संकाय का जिक्र भी नहीं होता। इसकी वजह से किसी खास क्षेत्र या विषय में आगे की पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश जाने वाले छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। विदेशी संस्थाएं मानने को तैयार नहीं होती कि अभ्यर्थी ने संबंधित विषय में ही पीएचडी की है। ऐसे में विषय संबंधी सर्टिफिकेट के लिए विद्यार्थियों को काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। ऐसे कई मामले हुए कि एक बार वापस करने के बाद डिग्री में टॉपिक दर्ज करा लेने के बाद भी संस्थाओं ने उसे स्वीकार नहीं किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इसको लेकर आपत्ति जता चुके हैं। विदेशी छात्र-छात्राएं तो प्रारूप को लेकर कई बार आवाज उठा चुके हैं। इसके मद्देनजर अब डिग्री के प्रारूप में बदलाव का निर्णय लिया गया है। नई डिग्री में संकाय के अलावा विभाग और टॉपिक का भी विवरण होगा। इतना नहीं उसमें मौखिक परीक्षा की तिथि आदि का विवरण भी दर्ज होगा।
‘डिग्री के प्रारूप में जो खामियां गिनाई जा रही, उसे ठीक करना जरूरी है। सभी पहलुओं को देखते हुए उसमें कई तरह के बदलाव अपेक्षित हैं। परीक्षा समिति से डिग्री के नए प्रारूप को स्वीकृति मिल गई है। एकेडमिक काउंसिल की अगली बैठक में इसे रखा जाएगा। इसके बाद नई डिग्री जारी की जाएगी। इसमें डीफिल से संबंधित सभी जानकारी का उल्लेख होगा।’
प्रोफेसर एचएस उपाध्याय
परीक्षा नियंत्रक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
इलाहाबाद। मम्फोर्डगंज के राहुल दत्ता को स्वीडेन की एक संस्था ने प्रोजेक्ट के लिए आमंत्रित किया था। संस्था उनके कार्य से प्रभावित थी लेकिन उनकी पीएचडी की डिग्री देखने के बाद उन्हें वापस कर दिया गया। डिग्री में फैकेल्टी और विषय का उल्लेख नहीं था इसलिए उन्हें लौटाया गया। काफी भागदौड़ के बाद विश्वविद्यालय से नया सर्टिफिकेट दिया गया जिसमें विषय का उल्लेख था, तब उन्हें प्रोजेक्ट में शामिल किया गया।
एमएनएनआईटी से पीएचडी करने वाली ईरान की छात्रा को भी इसी तरह की समस्या से रूबरू होना पड़ा। उसे तो दोबारा मौका भी नहीं मिला। जब तक वह आवेदन कर डिग्री में विषय दर्ज कराती, संस्था ने दूसरे को मौका दे दिया। केवल दो नहीं, पिछले कुछ महीनों में ही ऐसे लगभग 100 मामले हो चुके हैं। खासकर विदेशी विश्वविद्यालयों या संगठनों से एप्रोच करने वालों को परेशानी हुई। ज्यादातर की पीएचडी या डीफिल की डिग्री को लेकर विदेशों में आपत्ति उठाई गई। डिग्री में विषय और टॉपिक का उल्लेख नहीं होने के कारण यहां के पीएचडीधारकों को विदेशों में अक्सर इस तरह की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। लगातार शिकायतों के बाद इसे लेकर नई बहस छिड़ गई है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इस कमी को स्वीकार कर डिग्री के प्रारूप में बदलाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
अधिकतर शिक्षण संस्थानों में पीएचडी/डीफिल की डिग्री पर विषय, टॉपिक आदि का विवरण नहीं होता है। कई संस्थान की डिग्री पर तो संकाय का जिक्र भी नहीं होता। इसकी वजह से किसी खास क्षेत्र या विषय में आगे की पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश जाने वाले छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। विदेशी संस्थाएं मानने को तैयार नहीं होती कि अभ्यर्थी ने संबंधित विषय में ही पीएचडी की है। ऐसे में विषय संबंधी सर्टिफिकेट के लिए विद्यार्थियों को काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। ऐसे कई मामले हुए कि एक बार वापस करने के बाद डिग्री में टॉपिक दर्ज करा लेने के बाद भी संस्थाओं ने उसे स्वीकार नहीं किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इसको लेकर आपत्ति जता चुके हैं। विदेशी छात्र-छात्राएं तो प्रारूप को लेकर कई बार आवाज उठा चुके हैं। इसके मद्देनजर अब डिग्री के प्रारूप में बदलाव का निर्णय लिया गया है। नई डिग्री में संकाय के अलावा विभाग और टॉपिक का भी विवरण होगा। इतना नहीं उसमें मौखिक परीक्षा की तिथि आदि का विवरण भी दर्ज होगा।
‘डिग्री के प्रारूप में जो खामियां गिनाई जा रही, उसे ठीक करना जरूरी है। सभी पहलुओं को देखते हुए उसमें कई तरह के बदलाव अपेक्षित हैं। परीक्षा समिति से डिग्री के नए प्रारूप को स्वीकृति मिल गई है। एकेडमिक काउंसिल की अगली बैठक में इसे रखा जाएगा। इसके बाद नई डिग्री जारी की जाएगी। इसमें डीफिल से संबंधित सभी जानकारी का उल्लेख होगा।’
प्रोफेसर एचएस उपाध्याय
परीक्षा नियंत्रक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय