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Aligarh News: यूक्रेन से लौटे मेडिकल स्टूडेंट अधर में लटके, सरकार के फैसले से नाखुश नजर आए अभिभावक

इकराम वारिस, अमर उजाला, अलीगढ् Published by: चमन शर्मा Updated Wed, 29 Mar 2023 05:26 AM IST
सार

यूक्रेन को छोड़कर बाकी देशों से आए विद्यार्थी कोरोना के चलते आए थे। अलीगढ़ से करीब 55 विद्यार्थी थे, जो यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे। 80 फीसदी विद्यार्थी उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, जॉर्जिया, रूस में तबादला और मूवलिटी के तहत दूसरे देशों के मेडिकल कॉलेज में दाखिल ले लिया है।

Medical students returned from Ukraine hang in limbo
यूक्रेन से स्वदेश लौटे छात्र - फोटो : पीटीआई

विस्तार

यूक्रेन-रूस में युद्ध के बीच स्वदेश लौटे एमबीबीएस विद्यार्थियों ने एक साल तक दर्द झेला। करीब 80 फीसदी विद्यार्थियों ने तबादला और मूवलिटी के तहत दूसरे देशों के मेडिकल कॉलेज में दााखिला ले लिया। वहीं, भारत सरकार के फैसले अभिभावक नाखुश नजर आए। दअरसल, एमबीबीएस अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को राहत तो मिली है, लेकिन उन विद्यार्थियों के बारे में नहीं सोचा गया, जो एमबीबीएस प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ष में पढ़ाई कर रहे थे।


जानकारी के अनुसार, करीब पांच फीसदी एमबीबीएस के विद्यार्थियों ने दूसरे पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया है। करीब 15 फीसदी विद्यार्थी सरकार के भरोसे थे कि सरकार उनके बारे में भी ध्यान रखेगी। अभिभावकों का कहना कि चीन, फिलीपींस, यूक्रेन सहित अन्य देशों से लौटे एमबीबीएस विद्यार्थियों का मामला अदालत में गया। 


यूक्रेन को छोड़कर बाकी देशों से आए विद्यार्थी कोरोना के चलते आए थे। अलीगढ़ से करीब 55 विद्यार्थी थे, जो यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे। 80 फीसदी विद्यार्थी उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, जॉर्जिया, रूस में तबादला और मूवलिटी के तहत दूसरे देशों के मेडिकल कॉलेज में दाखिल ले लिया है।

का वर्षा जब कृषि सुखाने, वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। केंद्र सरकार द्वारा पूरे एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट में यूक्रेन युद्ध पीड़ित भारतीय एमबीबीएस विद्यार्थियों के प्रति दिया गया हलफनामा अपर्याप्त है। इतने लंबे समय बाद ऐसी प्रतिक्रिया अब समयानुकूल नहीं प्रतीत हो रही। करीब 20 प्रतिशत ऐसे विद्यार्थी थक हारकर अन्य कोर्सों में विस्थापित हो चुके हैं। एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र दूसरे देश या यूक्रेन में ही मजबूरन अपनी आगामी शिक्षा जारी भी कर चुके हैं। -पंकज धीरज, राष्ट्रीय सचिव, अभिभावक संघ यूक्रेन एमबीबीएस विद्यार्थी

यूक्रेन-रूस में युद्ध के दौरान भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे भारतीयों को लाया गया, लेकिन उन्हें ऐसे ही छोड़ दिया गया। सांसद, मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार उनके बारे में सोच रही है, लेकिन एक साल के बाद जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो केवल अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए आया था। एमबीबीएस प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ वर्ष के छात्रों के बारे में कुछ नहीं सोचा गया। हालांकि, 80 फीसदी छात्र अलग-अलग देशों में पढ़ाई कर रहे हैं। -डॉ. विश्वामित्र, अभिभावक
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