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मां-बाप के सामने गंगा में समाए लाल
Aligarh
Updated Fri, 01 Jun 2012 12:00 PM IST
अलीगढ़। सासनीगेट के सराय गढ़ी से परिवार टेंपो में सवार होकर गंगा दशहरा पर राजघाट स्नान करने गया था। मां-बाप को क्या पता था कि उनके सामने तीन बेटा गंगा में समा जाएंगे। परिजन गंगा में स्नान कर रहे थे कि एक के बाद एक तीनों बेटे मां-बाप के सामने गंगा में समा गए। देर शाम तीनों के शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
सराय गढ़ी सासनीगेट निवासी काली चरन ढलाई की भट्टी का काम करता हैं। गुरुवार सुबह काली चरन अपनी पत्नी ओमवती, बेटा निरंजन (17), कांती (18), राधे (20), ओमवीर (22), छोटू (25), छोटू का साला संजू पुत्र कुंवरपाल निवासी बोनेर के अलावा उसी गली में रहने वाला निरंजन का मौसेरा भाई दीपक (16) पुत्र मोहन बाबू गली में ही रहने वाला संजू पुत्र प्रेमचंद्र और एक साधू टेंपो में सवार होकर गंगा स्नान करने गए थे। स्नान के दौरान निरंजन, कांती, राधे और दीपक गंगा में डूब गए। बच्चे के डूबने की खबर मिलते ही परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। गोताखोरों ने संजू पुत्र कुंवर पाल को तो बचा लिया, लेकिन दीपक, निरंजन और कांति के शवों को गोताखोरों ने बाहर निकला, जबकि राधे की तलाश देर शाम तक हो रही थी। आनन-फानन काली चरन और मोहन बाबू के रिश्तेदार पहुंच गए।
अलीगढ़। सासनीगेट के सराय गढ़ी से परिवार टेंपो में सवार होकर गंगा दशहरा पर राजघाट स्नान करने गया था। मां-बाप को क्या पता था कि उनके सामने तीन बेटा गंगा में समा जाएंगे। परिजन गंगा में स्नान कर रहे थे कि एक के बाद एक तीनों बेटे मां-बाप के सामने गंगा में समा गए। देर शाम तीनों के शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
सराय गढ़ी सासनीगेट निवासी काली चरन ढलाई की भट्टी का काम करता हैं। गुरुवार सुबह काली चरन अपनी पत्नी ओमवती, बेटा निरंजन (17), कांती (18), राधे (20), ओमवीर (22), छोटू (25), छोटू का साला संजू पुत्र कुंवरपाल निवासी बोनेर के अलावा उसी गली में रहने वाला निरंजन का मौसेरा भाई दीपक (16) पुत्र मोहन बाबू गली में ही रहने वाला संजू पुत्र प्रेमचंद्र और एक साधू टेंपो में सवार होकर गंगा स्नान करने गए थे। स्नान के दौरान निरंजन, कांती, राधे और दीपक गंगा में डूब गए। बच्चे के डूबने की खबर मिलते ही परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। गोताखोरों ने संजू पुत्र कुंवर पाल को तो बचा लिया, लेकिन दीपक, निरंजन और कांति के शवों को गोताखोरों ने बाहर निकला, जबकि राधे की तलाश देर शाम तक हो रही थी। आनन-फानन काली चरन और मोहन बाबू के रिश्तेदार पहुंच गए।