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‘अच्छे-अच्छे घर दरक जाते हैं बरसात में’

Aligarh Updated Wed, 30 May 2012 12:00 PM IST
अलीगढ़। राजकीय कृषि एवं औद्योगिक प्रदर्शनी में मंगलवार की रात देश के नामचीन शायरों ने अपनी प्रस्तुतियों से समा बांध दिया। मानवीय स्वभाव सामाजिक विसंगति और राजनीतिक परिस्थितियों को शायरों ने खूबसूरती के साथ रेखांकित किया। मुशायरे का आगाज एएमयू के कुलपति रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह, डीएम आलोक कुमार, सीडीओ शमीम अहमद और एडीएम सिटी डीएस सचान ने शमा रोशन करके किया।

रामपुर से आए ताहिर फराज ने खुदा की शान में नातिया कलाम पढ़ा। बरेली से आए देश के मशहूर शायर बसीम बरेलवी ने जब यह शेर पढ़ा कि ‘आंसुओं के सामने पत्थर दिली की क्या बिसात, अच्छे-अच्छे घर दरक जाते हैं बरसातों में’। तो सुनने वालों ने जमकर दाद दी। कानपुर से आए गौहर कानपुरी ने कहा ‘बस्ती के एक बुजुर्ग

की मय्यत को देखकर मैं अपने बूढ़े बाप से जाकर लिपट गया, सुनने वाले वाह-वाह कर उठे’। मेरठ से आए डा. पौपूलर मेरठी ने कहा ‘इस कदर हमने कलेजे को जला रखा है, दिल को अब आह का गोदाम बना रखा है। तुम न माने तो कहीं और करेंगे इन्वेस्ट ऑफ्शन और भी लोगों का बचा रखा है’। पेश किया तो सामयीन अपनी हंसी न रोक सके। इनके अलावा ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रोफेसर शहरयार की याद में हुए इस ऑल इंडिया मुशायरे में लखभनऊ से आईं नसीम निकहत, सबीना अदीब, कौशर अजीज, हसीफ सौज, इक्बाल असहर, अज्म शाकरी, अंजुम करौलवी आदि शायरों ने अपने कलाम पढ़े। मुशायरे की अध्यक्षता आनंद मोहन जुत्शी गुलजार ने की। संचालन मुईन शादाब, और डा. शाकिर अकील ने किया। इस अवसर पर कमिश्नर अनिल गर्ग तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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