अलीगढ़। अलीगढ़ जंक्शन के आरक्षण केंद्र पर दलालों का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है। दलालों की दबंगई का आलम यह है कि आरक्षण केंद्र के बाहर मुख्य द्वार के निकट ही रात बारह बजे ही तत्काल आरक्षण की एक स्वयंभू लिस्ट चस्पा कर दी जाती है। दूसरे दिन सुबह इसी के मुताबिक ही तत्काल के टिकट बांटे जाते हैं। पांच मिनट में यह टिकट बन पाते हैं और तत्काल का कोटा फुल हो जाता है। बाहर अपनी बारी का इंतजार करने वाले मुसाफिरों के हाथ मायूसी ही लगती है। गुरुवार को इसी वजह से भड़की पब्लिक ने यहां का कांच का मुख्य द्वार तोड़ दिया। खास बात यह है कि आरपीएफ को सबकुछ मालूम होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। रात में लिस्ट लगाने का सिलसिला यहां तकरीबन एक महीने से चल रहा है। जिसमें स्थानीय दो एजेंट सक्रिय हैं, पुलिस और आरक्षण केंद्र के कर्मचारियों को भी इसकी पूरी जानकारी है। लेकिन लेनदेन के फेर में सबकुछ गोलमाल कर दिया गया है।
अलीगढ़। अलीगढ़ जंक्शन के आरक्षण केंद्र पर दलालों का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है। दलालों की दबंगई का आलम यह है कि आरक्षण केंद्र के बाहर मुख्य द्वार के निकट ही रात बारह बजे ही तत्काल आरक्षण की एक स्वयंभू लिस्ट चस्पा कर दी जाती है। दूसरे दिन सुबह इसी के मुताबिक ही तत्काल के टिकट बांटे जाते हैं। पांच मिनट में यह टिकट बन पाते हैं और तत्काल का कोटा फुल हो जाता है। बाहर अपनी बारी का इंतजार करने वाले मुसाफिरों के हाथ मायूसी ही लगती है। गुरुवार को इसी वजह से भड़की पब्लिक ने यहां का कांच का मुख्य द्वार तोड़ दिया। खास बात यह है कि आरपीएफ को सबकुछ मालूम होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। रात में लिस्ट लगाने का सिलसिला यहां तकरीबन एक महीने से चल रहा है। जिसमें स्थानीय दो एजेंट सक्रिय हैं, पुलिस और आरक्षण केंद्र के कर्मचारियों को भी इसकी पूरी जानकारी है। लेकिन लेनदेन के फेर में सबकुछ गोलमाल कर दिया गया है।