अलीगढ़। यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं बस एक कड़वी सच्चाई है। रेल मुसाफिरों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले रेलवे पुलिस के जवान ट्रेन स्क्वॉयड ड्यूटी के नाम पर महज खानापूर्ति करते हैं। ट्रेनों का पेंट्री कार इनका अड्डा बन चुका है, जहां आराम से सोना, खाना-पीना और गप्पों के दौर चलते रहते हैं। ड्यूटी बदलने पर दूसरा स्क्वॉयड इसी सिलसिले को आगे बढ़ा देता है। ऐसे में अगर डकैत मुसाफिरों को लूट कर फरार हो जाते हैं तो क्या बड़ी बात है? हाल ही में इलाहाबाद मंडल में हुई तीन बड़ी ट्रेन डकैतियों के बाद भी पुलिस की इस खतरनाक लापरवाही पर कोई ब्रेक नहीं लगा है। ताजा किस्सा गुरुवार सुबह का है। दरंभगा से नई दिल्ली जा रही 2561 अप स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में इलाहाबाद से ड्यूटी के लिए सवार हुआ आरपीएफ स्क्वॉयड केवल और केवल मौजमस्ती में मशगूल रहा। कानपुर से ट्रेन सुबह 6.55 बजे चली थी इसके बाद अलीगढ़ तक रास्ते में पांच बार रुकी लेकिन किसी भी जवान ने बाहर झांकने की जोहमत मोल नहीं उठाई। हालांकि इस ट्रेन का अलीगढ़ तक कहीं कोई ठहराव नहीं है। अलीगढ़ तक 4 घंटे 37 मिनट का समय स्क्वॉयड ने सुबह फ्रेश होने, चाय-नाश्ता करने, सोने और फिर खाना खाने में गुजार दिया। बीच में गप्पें और घर परिवार के साथ दूसरी बातें भी होती रही। लेकिन गाड़ी कहां पर क्यों रुकी है? इसका जिक्र तक नहीं हुआ। मुसाफिर पहचान न सके इसके लिए नामपट्टिका बैग में रख ली जाती है। पेंट्री कार वाले भी इनसे खासे परेशान हैं ‘पुलिस साहब’ की खातिरदारी में स्टाफ को सोने की जगह नहीं मिल पाती है। नियमानुसार स्क्वॉयड के लिए एस-9 में सीटें रिर्जव थी लेकिन उनका सौदा कर दिया गया था। दरभंगा से कानपुर तक और अलीगढ़ से नई दिल्ली के सफर में भी स्क्वॉयड का यही हाल रहा।