अलीगढ़। ब्यूरोक्रेसी का भी गजब हाल है। बात ज्यादा पुरानी नहीं है, मगर लगता है अपने जिले की ब्यूरोक्रेसी ने आईपीएस नरेंद्र हत्याकांड और खनन के खिलाफ शासन के आदेश दोनों भुला दिए हैं। यही वजह है कि करोड़ों की रायल्टी को चूना लगाकर अपने जिले में मिट्टी का अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है। यह गोरखधंधा अब दिन के उजियारे में न होकर रात के अंधेरे में चल रहा है। मगर ब्यूरोक्रेसी आंखें मूंदकर बैठी है। इसे देख एक ही सवाल उठता है कि क्या फिर किसी शहादत का इंतजार है।
रायल्टी में करोड़ों की चोरी
अपने जिले को खनन के नाम पर मिलने वाली रायल्टी पर गौर करें तो वित्तीय वर्ष 2010-11 में 4 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष 4.09 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि 2011-12 में साढ़े चार करोड़ के लक्ष्य सापेक्ष मात्र 4 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि इस अवधि में एनएच और यमुना एक्सप्रेस वे की ओर से खनन के नाम पर करोड़ों की रायल्टी जमा की गई है। बात शहर की करें तो महानगर में 1 हजार के करीब मकानों के नक्शे पास हुए हैं और 110 के करीब फ्लैट के नक्शे पास हुए हैं। यहां हर मकान में मिट्टी की जरूरत पड़ती है। बात दो नंबर में होने वाले खनन की करें तो एक असिस्मेंट के तौर पर शहर में वही लोग मकानों के नक्शे पास कराते हैं जो बैंक से ऋण लेते हैं, अन्य नहीं। इस असिस्मेंट से अपने जिले को 10 करोड़ सालाना रायल्टी मिलने का अनुमान है।
सपाइयों ने भी उठाई आवाज
मिट्टी खनन करने वालों का हाल यह है कि वे थाना और तहसील टीमों से सेटिंग कर मिट्टी रात के वक्त धो रहे हैं। इस सिलसिले में बुधवार को सपा जिलाध्यक्ष डा.रक्षपाल सिंह ने भी अधिकारियों से कहा है कि रात में मिट्टी ढोई जा रही है। इस मिट्टी से प्रदूषण तो फैल रहा है और सड़कें खराब हो रही हैं। इसके अलावा कासिमपुर पावर हाउस की राख भी खनन कर लाई जा रही है और वहां कुछ दबंग रुपया वसूली कर रहे हैं।