अलीगढ़। मर्चेंट नेवी से रिटायर एक चीफ आफिसर पिछले चार साल से लापता हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने वर्ष 2008 में एक निजी शिपिंग कंपनी ज्वाइन की थी और तभी से उनका कुछ पता नहीं चल रहा है। निजी शिपिंग कंपनी ज्वाइन करने का उनका फैसला पूरे परिवार को दर्द दे गया। उनके गायब होने की सूचना पत्नी को करवाचौथ के दिन मिली थी। अब उनकी पत्नी तलाश में वह प्रयासरत हैं। दुखद पहलू यह भी है कि सात साल तक वह अपने पति को जिंदा या मुर्दा भी घोषित नहीं कर सकतीं। मूल रूप से मैनपुरी निवासी सोबरन सिंह के माता-पिता की छोटी उम्र में ही मौत हो गई थी।वह खुद ही पढ़ लिखकर मर्चेंट नेवी के तकनीकी विभाग में चीफ आफिसर पद पर तक पहुंचे। बाद में संतोष से शादी होने और ससुराल अलीगढ़ में होने के कारण उन्होंने क्वारसी की कृष्ण विहार कालोनी में मकान बना लिया। उनके तीन बच्चे क्रमश: गौरव (25) ग्रेटर नोएडा में शिक्षक, वैभव (22) मुंबई में सेवारत, स्वाती (15) हाईस्कूल की छात्रा हैं। सबकुछ हंसी खुशी चल रहा था। 1992 में रिटायरमेंट के बाद सोबरन सिंह को शिपिंग कारपोरेशन में नौकरी का शौक चढ़ा और मुंबई के एक एजेंट के माध्यम से उन्होंने 11 सितंबर 2008 में लंदन की एक शिपिंग कंपनी ज्वाइन कर ली। यहां से लंदन जाने के बाद उन्हें कंपनी ने अरवा भेजा और वहां से शिप पर आयरलैंड। इसी बीच 17 अक्टूबर 2008 को करवाचौथ के दिन संतोष को सूचना मिली कि 15 अक्टूबर को सोबरन कहीं चले गए हैं। उसके बाद वे नहीं लौटे। इसके बाद संतोष मुंबई डीजीपी से मिलीं। पुलिस के सुझाव पर शिपिंग कंपनी से पत्राचार किया तो अरवा से जवाब आया कि वे मिस हो गए हैं। जिस पर संतोष ने पति के सामान के बारे मे पूछा तो कहा गया कि सामान सुरक्षित रखा है ले जाएं। संतोष ने अपने पति के दोस्ताें से संपर्क किया तो पता चला कि वह 15 तारीख को अपने केबिन में आए थे लेकिन बाद में उनका पता नहीं चला। उनकी लाइफ जैकेट भी गायब थी। इसके बाद वह सोनिया गांधी से भी मिलीं, वहां से भी उन्हें आश्वसन मिला। वह दुबारा मुबई पहुंची। वहां पता चला कि कंपनी ने उनके पति सहित 30 लोगों का 3.70 करोड़ रुपये का बीमा कराया था। यह बीमा 23 अक्टूबर की तारीख से शुरू हुआ था, जबकि उनके पति 15 अक्टूबर से गायब थे। इस पर संतोष ने बीमा कंपनी को पत्र भेजा तो वहां से जवाब आया कि इस नाम की कोई बीमा कंपनी उस जगह नहीं है।