अलीगढ़। अलीगढ़ सहित पूरे वेस्टर्न यूपी में गुजरे कुछ महीनों में तंजीमों (मुस्लिम संस्थाओं) को मिली बेहिसाब रकम की जांच शुरू हो गई है। कहने को देश-विदेश से मिली करोड़ों की यह रकम बस्तियों में जनकल्याण के कामों के लिए भेजी गई थी, लेकिन पर्दे के पीछे इसका इस्तेमाल चुनावी माहौल बनाने के लिए किया गया। आठ महीने से अंदरखाने जारी इस ‘खास काम’ की अब जांच शुरू हो गई है। खुफिया एजेंसियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है, जल्द ही इसकी रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी जाएगी। अलीगढ़ की आधा दर्जन तंजीमों (मुस्लिम संस्थाओं) को जनकल्याण के नाम पर कई करोड़ रुपये दिए गए थे। दरअसल, जनकल्याण से ज्यादा इसका इस्तेमाल पार्टी कल्याण के लिए किया जाना था और यही हुआ भी। हकीकत में पर्दे के पीछे से राजनीतिक पार्टियों ने देश विदेश से फंडिंग करा कर चुनाव को प्रभावित कराने का काम किया है ताकि करोड़ों की इस रकम को तंजीमों के माध्यम से खपाकर माहौल बनाया जा सके। अलीगढ़ में पहले से ही कई तंजीमों के सक्रिय रहने के कारण खुफिया एजेंसियां यहां से पूरी जानकारी ले रही हैं। यह रकम बैंकों के माध्यम से ली गई या नगद? किस माध्यम से यह रकम भेजी गई है? रकम का इस्तेमाल कहां और कैसे हुआ है? इसकी जांच हो रही है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश हैं कि राजनीतिक दल विदेशी धन को चुनाव में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इसलिए राजनीतिक एजेंटों ने इस माध्यम से माहौल बनाने की कोशिश की है, जिससे किसी खास मकसद को पूरा करने में मदद मिल सके। लोकसभा चुनाव 2014 के शुरू होने से नौ महीने पहले ही इसका होमवर्क पूरा कर काम शुरू करा दिया गया था। अलीगढ़ सहित वेस्टर्न यूपी के मुस्लिम बाहुल्य जिलों में इसकी जांच हो रही है।
अलीगढ़। अलीगढ़ सहित पूरे वेस्टर्न यूपी में गुजरे कुछ महीनों में तंजीमों (मुस्लिम संस्थाओं) को मिली बेहिसाब रकम की जांच शुरू हो गई है। कहने को देश-विदेश से मिली करोड़ों की यह रकम बस्तियों में जनकल्याण के कामों के लिए भेजी गई थी, लेकिन पर्दे के पीछे इसका इस्तेमाल चुनावी माहौल बनाने के लिए किया गया। आठ महीने से अंदरखाने जारी इस ‘खास काम’ की अब जांच शुरू हो गई है। खुफिया एजेंसियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है, जल्द ही इसकी रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी जाएगी। अलीगढ़ की आधा दर्जन तंजीमों (मुस्लिम संस्थाओं) को जनकल्याण के नाम पर कई करोड़ रुपये दिए गए थे। दरअसल, जनकल्याण से ज्यादा इसका इस्तेमाल पार्टी कल्याण के लिए किया जाना था और यही हुआ भी। हकीकत में पर्दे के पीछे से राजनीतिक पार्टियों ने देश विदेश से फंडिंग करा कर चुनाव को प्रभावित कराने का काम किया है ताकि करोड़ों की इस रकम को तंजीमों के माध्यम से खपाकर माहौल बनाया जा सके। अलीगढ़ में पहले से ही कई तंजीमों के सक्रिय रहने के कारण खुफिया एजेंसियां यहां से पूरी जानकारी ले रही हैं। यह रकम बैंकों के माध्यम से ली गई या नगद? किस माध्यम से यह रकम भेजी गई है? रकम का इस्तेमाल कहां और कैसे हुआ है? इसकी जांच हो रही है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश हैं कि राजनीतिक दल विदेशी धन को चुनाव में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इसलिए राजनीतिक एजेंटों ने इस माध्यम से माहौल बनाने की कोशिश की है, जिससे किसी खास मकसद को पूरा करने में मदद मिल सके। लोकसभा चुनाव 2014 के शुरू होने से नौ महीने पहले ही इसका होमवर्क पूरा कर काम शुरू करा दिया गया था। अलीगढ़ सहित वेस्टर्न यूपी के मुस्लिम बाहुल्य जिलों में इसकी जांच हो रही है।
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