अलीगढ़। टप्पल आंदोलन के अगवा नेताओं में शामिल रहे मनवीर सिंह तेवतिया देश के किसानों को एक मंच पर लाने के लिए जो पदयात्रा शुरू करने जा रहे हैं, उसकी शुरुआत 14 अगस्त को टप्पल आंदोलन की बरसी के दिन से टप्पल से ही होगी। इस पदयात्रा में समर्थन व प्लानिंग के लिए सोमवार को वह अलीगढ़ आए और अपने कुछ परिचितों व सामाजिक लोगों से मुलाकात की।
उन्होंने बताया कि यह यात्रा देश के किसानों को एक मंच पर लाने का पूरा प्रयास करेगी। जेल से रिहाई के बाद किसान नेता मनवीर सिंह तेवतिया पहली बार अलीगढ़ आए। हालांकि उन्हें उन तमाम लोगों से मिलकर धन्यवाद देना था, जिन्होंने उनके आंदोलन में उनकी मदद की, लेकिन व्यस्तता के चलते चुपचाप आकर वे चले गए। इस दौरान वे कई प्रमुख सामाजिक लोगों से मिले और अपनी पदयात्रा पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि पदयात्रा यूपी के साथ-साथ बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल आदि विभिन्न राज्यों में भ्रमण के बाद 30 जनवरी को दिल्ली में खत्म होगी। इस पदयात्रा का उद्देश्य है कि जो किसान बिरादरियों, धर्म और विभिन्न पहलुओं पर बंटे हुए हैं, वे एक मंच पर आएं। ताकि उनकी आवाज एक स्वर में उठे और पूरे देश की किसान बिरादरी के प्रति सोचने को सरकारें मजबूर हो सकें।
अलीगढ़। टप्पल आंदोलन के अगवा नेताओं में शामिल रहे मनवीर सिंह तेवतिया देश के किसानों को एक मंच पर लाने के लिए जो पदयात्रा शुरू करने जा रहे हैं, उसकी शुरुआत 14 अगस्त को टप्पल आंदोलन की बरसी के दिन से टप्पल से ही होगी। इस पदयात्रा में समर्थन व प्लानिंग के लिए सोमवार को वह अलीगढ़ आए और अपने कुछ परिचितों व सामाजिक लोगों से मुलाकात की।
उन्होंने बताया कि यह यात्रा देश के किसानों को एक मंच पर लाने का पूरा प्रयास करेगी। जेल से रिहाई के बाद किसान नेता मनवीर सिंह तेवतिया पहली बार अलीगढ़ आए। हालांकि उन्हें उन तमाम लोगों से मिलकर धन्यवाद देना था, जिन्होंने उनके आंदोलन में उनकी मदद की, लेकिन व्यस्तता के चलते चुपचाप आकर वे चले गए। इस दौरान वे कई प्रमुख सामाजिक लोगों से मिले और अपनी पदयात्रा पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि पदयात्रा यूपी के साथ-साथ बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल आदि विभिन्न राज्यों में भ्रमण के बाद 30 जनवरी को दिल्ली में खत्म होगी। इस पदयात्रा का उद्देश्य है कि जो किसान बिरादरियों, धर्म और विभिन्न पहलुओं पर बंटे हुए हैं, वे एक मंच पर आएं। ताकि उनकी आवाज एक स्वर में उठे और पूरे देश की किसान बिरादरी के प्रति सोचने को सरकारें मजबूर हो सकें।