अन्य केंद्राें के ध्यानार्थ...
एससी-एसटी एक्ट के मुकदमों का स्टेटस जानेगा आयोग
आयोग के वेबसाइट पर बढ़ती शिकायतों पर लिया फैसला, पुलिस द्वारा बंद किए गए मुकदमे पहुंच गए हैं आयोग तक
मथुरा और पश्चिम के जिलों की शिकायतें आयोग में पहुंचीं
पुनीत शर्मा
मथुरा। एससी-एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमों का स्टेटस अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग जानेगा। आयोग की वेबसाइट पर बढ़ती आनलाइन शिकायतों और पुलिस द्वारा एफआर किए जा रहे मुकदमों के कारण यह फैसला लिया गया है। मथुरा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों की सबसे ज्यादा शिकायतें आयोग तक पहुंच रही हैं।
अब एससी-एसटी आयोग में आनलाइन शिकायतें दर्ज हो रही हैं। हर दिन 15 से बीस मामले पहुंच रहे हैं। तमाम मामले तो जून 2016 से जनवरी 2017 के हैं। पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। अब यह लोग केस को दोबारा से शुरू कराने के लिए आयोग के चक्कर लगा रहे हैं। आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर मंडलों से इस प्रकार की शिकायतें आयोग में सबसे ज्यादा पहुंच रही हैं। मथुरा से ही आठ केस आयोग में पहुंचे हैं।
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि आनलाइन शिकायतें ही बीस से ज्यादा आ रही हैं। तमाम मामले ऐसे हैं जो पिछली सरकार में दर्ज नहीं हुए या पुलिस ने बंद कर दिए हैं। या पुलिस ने धाराओं में खेल कर दिया है। लिहाजा इस प्रकार के मुकदमों का स्टेटस जाना जा रहा है। इन सभी मुकदमों की आयोग ने रिपोर्ट तलब की है। हर मामले की जांच कराई जाएगी। अगर कहीं पुलिस वालों की लापरवाही सामने आएगी तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
आठ महीनों में एससी-एसटी एक्ट के 82 मुकदमे दर्ज
पुलिस ने 51 मुकदमों में चार्जशीट दाखिल कर दी
सत्रह मुकदमों में जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट लगाई
मथुरा। आठ महीनों में एससी-एसटी एक्ट के 82 मुकदमे जिले में दर्ज किए गए हैं। 51 मुकदमों में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल करके नामजद लोगों को जेल भेज दिया। 150 से ज्यादा लोग जेल भेजे गए हैं।
उत्तर प्रदेश में 2017 में भाजपा की सरकार बनी थी। इस सरकार में एक जनवरी 2018 से 31 अगस्त 2018 तक ही 82 मुकदमे एससी-एसटी एक्ट के दर्ज हुए हैं। डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को नामजद किया गया था। पुलिस ने अभी तक 51 मुकदमों में चार्जशीट दाखिल कर दी है, जबकि 14 मुकदमे अभी तक लंबित चले आ रहे हैं। जिन 17 मुकदमों में पुलिस ने एफआर लगाई है उसमें से कई दोबारा से विवेचना के लिए आयोग के चक्कर लगा रहे हैं।
अन्य केंद्राें के ध्यानार्थ...
एससी-एसटी एक्ट के मुकदमों का स्टेटस जानेगा आयोग
आयोग के वेबसाइट पर बढ़ती शिकायतों पर लिया फैसला, पुलिस द्वारा बंद किए गए मुकदमे पहुंच गए हैं आयोग तक
मथुरा और पश्चिम के जिलों की शिकायतें आयोग में पहुंचीं
पुनीत शर्मा
मथुरा। एससी-एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमों का स्टेटस अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग जानेगा। आयोग की वेबसाइट पर बढ़ती आनलाइन शिकायतों और पुलिस द्वारा एफआर किए जा रहे मुकदमों के कारण यह फैसला लिया गया है। मथुरा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों की सबसे ज्यादा शिकायतें आयोग तक पहुंच रही हैं।
अब एससी-एसटी आयोग में आनलाइन शिकायतें दर्ज हो रही हैं। हर दिन 15 से बीस मामले पहुंच रहे हैं। तमाम मामले तो जून 2016 से जनवरी 2017 के हैं। पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। अब यह लोग केस को दोबारा से शुरू कराने के लिए आयोग के चक्कर लगा रहे हैं। आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर मंडलों से इस प्रकार की शिकायतें आयोग में सबसे ज्यादा पहुंच रही हैं। मथुरा से ही आठ केस आयोग में पहुंचे हैं।
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि आनलाइन शिकायतें ही बीस से ज्यादा आ रही हैं। तमाम मामले ऐसे हैं जो पिछली सरकार में दर्ज नहीं हुए या पुलिस ने बंद कर दिए हैं। या पुलिस ने धाराओं में खेल कर दिया है। लिहाजा इस प्रकार के मुकदमों का स्टेटस जाना जा रहा है। इन सभी मुकदमों की आयोग ने रिपोर्ट तलब की है। हर मामले की जांच कराई जाएगी। अगर कहीं पुलिस वालों की लापरवाही सामने आएगी तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
आठ महीनों में एससी-एसटी एक्ट के 82 मुकदमे दर्ज
पुलिस ने 51 मुकदमों में चार्जशीट दाखिल कर दी
सत्रह मुकदमों में जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट लगाई
मथुरा। आठ महीनों में एससी-एसटी एक्ट के 82 मुकदमे जिले में दर्ज किए गए हैं। 51 मुकदमों में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल करके नामजद लोगों को जेल भेज दिया। 150 से ज्यादा लोग जेल भेजे गए हैं।
उत्तर प्रदेश में 2017 में भाजपा की सरकार बनी थी। इस सरकार में एक जनवरी 2018 से 31 अगस्त 2018 तक ही 82 मुकदमे एससी-एसटी एक्ट के दर्ज हुए हैं। डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को नामजद किया गया था। पुलिस ने अभी तक 51 मुकदमों में चार्जशीट दाखिल कर दी है, जबकि 14 मुकदमे अभी तक लंबित चले आ रहे हैं। जिन 17 मुकदमों में पुलिस ने एफआर लगाई है उसमें से कई दोबारा से विवेचना के लिए आयोग के चक्कर लगा रहे हैं।