आगरा। सिख पंथ के संस्थापक गुरुनानक देव जी के 546 वें प्रकाश पर्व पर शहर के गुरुद्वारों में दीवान-कीर्तन दरबार सजे। स्थानीय और बाहर से आए पंथ प्रसिद्ध रागी जत्थों ने गुरु जस गायन कर वातावरण को भक्तिमय और संगत को निहाल किया। गुरुद्वारों में मत्था टेकने वालों का सिलसिला सुबह की पहली किरण से शुरू हुआ, जो देर रात तक चलता रहा। ऐतिहासिक गुरुद्वारा माईथान में विशाल कीर्तन दरबार सजाया गया, तो गुरुद्वारा गुरु का ताल पर भव्य लाइटिंग और आकर्षक आतिशबाजी हुई। सुबह से शाम तक एक दूसरे को बधाइयों का दौर चलता रहा। गुरुद्वारा माईथान में रागी जत्थों के कीर्तन के दौरान निहाल संगत वाहे गुरु वाहे गुरु, तो कभी वाहे गुरु दा खालसा, वाहे गुरु जी दी फतह के नारे लगाती रही। इससे पहले सुबह ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने हजूरी दरबार में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश कर दीवान शुरू कराया। सुखमनी सेवा सभा के कुलदीप सिंह, गुरुमीत सिंह व हरजीत डंग ने सुखमनी साहिब का पाठ किया। ‘सुखमनी सुख अमरित प्रभु नाम, भगत जना के मन विरासत’। अखंड कीर्तन जत्था के भाई जसपाल सिंह एवं उनके साथियों ने ‘अज्ञान अंधेरा कटया, गुरु ज्ञान प्रचंड बुलाया’ शबद गया। स्त्री सत्संग सभा माईथान की बहन अबनीत कौर व जीत कौर ने ‘कल तारण गुरु नानक आया, ज्यों कर सूरज निकल्या, तारे छपे, अंधेरे पलोहा, गुरुमुख घर परगट होआ।’ बेबे नानकी कीर्तन जत्था लोहामंडी की बहन रोशन ने ‘धन-धन सो जननी जिन गुरु जनया माए, सा धरत पही हरियावली, जित्थे मेरा सतगुरु बेठा आए।’ भाई शरन सिंह, गुरुद्वारा मिट्ठा खूं के हजूरी रागी भाई हरजोत सिंह ने भी गुरु जस गायन किया। दिल्ली से आए भाई अंग्रेज सिंह ने कीर्तन किया। गुरुद्वारा माईथान के मुख्य प्रचारक ज्ञानी ओंकार सिंह व हजूरी रागी भाई मोहन सिंह ने भी प्रकाश पर्व की महत्ता बताई। प्रमुख रागी भाई कुलतार सिंह अमृतसर वालों ने सुमधुर वाणी से गुरु महिमा का बखान किया। श्री गुरुसिंह सभा के प्रधान कंवल दीप सिंह व ज्ञानी ओंकार सिंह ने रागी जत्थों को सरोपा भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर अमर नाथ, सुभाष चंद चावला व खालसा हरजिंदर सिंह, सेवादार पाली सेठी, प्रतिपाल सिंह, रिषु सचदेवा और कुमार ललित आदि भी मौजूद रहे। गुरुद्वारा श्रीदशमेश दरबार विभव नगर में प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया। सबसे पहले प्रभात फेरी निकाली गई। शुभारंभ ज्ञानी मंसा सिंह ने कराया। हजूरी रागी मंजीत सिंह, भाई गगनदीप सिंह ने गुरुवाणी का गायन किया। प्रधान सरदार नरेंद्र सिंह सेठी, चेयरमैन सरदार कुलवंत सिंह, रविंद्र सिंह, संतोक सिंह, सुरेंद्र सिंह, बंटी अरोड़ा, करन दुग्गल, व बाबू किशन लाल, इंद्रजीत सिंह आदि मौजूद रहे।
जगमग गुरु का ताल पर हुई आकर्षक आतिशबाजी भी गुरुद्वारा गुरु का ताल पर भी सुबह से शाम तक कीर्तन दरबार चला। सुबह श्री गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश के बाद पांचों वाणियों का पाठ हुआ। ज्ञानी स्वर्ण सिंह ने गुरु नानक देव महाराज की जीवनी पर प्रकाश डाला। गुरुद्वारा मंजी साहिब में गुरमत संगीत विद्यालय के विद्यार्थियों ने गुरुवाणी का गायन किया। स्त्री सिंह सभा की रानी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का कीर्तन किया। शाम को शुरू हुआ आतिशबाजी का कार्यक्रम देर रात तक चला। बाबा प्रीतम सिंह ने रिमोट दबाकर उद्घाटन किया। आतिशबाजी में सबसे पहले गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव की लख-लख बधाइयां मिलीं। फिर तो झरना, चरखियां, आसमानी पटाखे, हैलीकाप्टर, जासूसी यान, मंगलयान, फायर बाल आदि र्को देखते ही रह गए। लोग इन दृश्य को कैमरे में कैद करते रहे। इस मौके पर संत बाबा निरंजन सिंह, जत्थेदार पाल सिंह, जत्थेदार गुर तेज सिंह, भाई सतनाम सिंह, बाबा ईश्वर सिंह, महंत महेंद्र सिंह, मास्टर गुरनाम सिंह, बंटी ग्रोवर, श्याम भोजवानी, राजा सिंह आदि मौजूद रहे।
आगरा। सिख पंथ के संस्थापक गुरुनानक देव जी के 546 वें प्रकाश पर्व पर शहर के गुरुद्वारों में दीवान-कीर्तन दरबार सजे। स्थानीय और बाहर से आए पंथ प्रसिद्ध रागी जत्थों ने गुरु जस गायन कर वातावरण को भक्तिमय और संगत को निहाल किया। गुरुद्वारों में मत्था टेकने वालों का सिलसिला सुबह की पहली किरण से शुरू हुआ, जो देर रात तक चलता रहा। ऐतिहासिक गुरुद्वारा माईथान में विशाल कीर्तन दरबार सजाया गया, तो गुरुद्वारा गुरु का ताल पर भव्य लाइटिंग और आकर्षक आतिशबाजी हुई। सुबह से शाम तक एक दूसरे को बधाइयों का दौर चलता रहा।
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गुरुद्वारा माईथान में रागी जत्थों के कीर्तन के दौरान निहाल संगत वाहे गुरु वाहे गुरु, तो कभी वाहे गुरु दा खालसा, वाहे गुरु जी दी फतह के नारे लगाती रही। इससे पहले सुबह ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने हजूरी दरबार में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश कर दीवान शुरू कराया। सुखमनी सेवा सभा के कुलदीप सिंह, गुरुमीत सिंह व हरजीत डंग ने सुखमनी साहिब का पाठ किया। ‘सुखमनी सुख अमरित प्रभु नाम, भगत जना के मन विरासत’। अखंड कीर्तन जत्था के भाई जसपाल सिंह एवं उनके साथियों ने ‘अज्ञान अंधेरा कटया, गुरु ज्ञान प्रचंड बुलाया’ शबद गया। स्त्री सत्संग सभा माईथान की बहन अबनीत कौर व जीत कौर ने ‘कल तारण गुरु नानक आया, ज्यों कर सूरज निकल्या, तारे छपे, अंधेरे पलोहा, गुरुमुख घर परगट होआ।’ बेबे नानकी कीर्तन जत्था लोहामंडी की बहन रोशन ने ‘धन-धन सो जननी जिन गुरु जनया माए, सा धरत पही हरियावली, जित्थे मेरा सतगुरु बेठा आए।’ भाई शरन सिंह, गुरुद्वारा मिट्ठा खूं के हजूरी रागी भाई हरजोत सिंह ने भी गुरु जस गायन किया। दिल्ली से आए भाई अंग्रेज सिंह ने कीर्तन किया। गुरुद्वारा माईथान के मुख्य प्रचारक ज्ञानी ओंकार सिंह व हजूरी रागी भाई मोहन सिंह ने भी प्रकाश पर्व की महत्ता बताई। प्रमुख रागी भाई कुलतार सिंह अमृतसर वालों ने सुमधुर वाणी से गुरु महिमा का बखान किया। श्री गुरुसिंह सभा के प्रधान कंवल दीप सिंह व ज्ञानी ओंकार सिंह ने रागी जत्थों को सरोपा भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर अमर नाथ, सुभाष चंद चावला व खालसा हरजिंदर सिंह, सेवादार पाली सेठी, प्रतिपाल सिंह, रिषु सचदेवा और कुमार ललित आदि भी मौजूद रहे। गुरुद्वारा श्रीदशमेश दरबार विभव नगर में प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया। सबसे पहले प्रभात फेरी निकाली गई। शुभारंभ ज्ञानी मंसा सिंह ने कराया। हजूरी रागी मंजीत सिंह, भाई गगनदीप सिंह ने गुरुवाणी का गायन किया। प्रधान सरदार नरेंद्र सिंह सेठी, चेयरमैन सरदार कुलवंत सिंह, रविंद्र सिंह, संतोक सिंह, सुरेंद्र सिंह, बंटी अरोड़ा, करन दुग्गल, व बाबू किशन लाल, इंद्रजीत सिंह आदि मौजूद रहे।
जगमग गुरु का ताल पर हुई आकर्षक आतिशबाजी भी गुरुद्वारा गुरु का ताल पर भी सुबह से शाम तक कीर्तन दरबार चला। सुबह श्री गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश के बाद पांचों वाणियों का पाठ हुआ। ज्ञानी स्वर्ण सिंह ने गुरु नानक देव महाराज की जीवनी पर प्रकाश डाला। गुरुद्वारा मंजी साहिब में गुरमत संगीत विद्यालय के विद्यार्थियों ने गुरुवाणी का गायन किया। स्त्री सिंह सभा की रानी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का कीर्तन किया। शाम को शुरू हुआ आतिशबाजी का कार्यक्रम देर रात तक चला। बाबा प्रीतम सिंह ने रिमोट दबाकर उद्घाटन किया। आतिशबाजी में सबसे पहले गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव की लख-लख बधाइयां मिलीं। फिर तो झरना, चरखियां, आसमानी पटाखे, हैलीकाप्टर, जासूसी यान, मंगलयान, फायर बाल आदि र्को देखते ही रह गए। लोग इन दृश्य को कैमरे में कैद करते रहे। इस मौके पर संत बाबा निरंजन सिंह, जत्थेदार पाल सिंह, जत्थेदार गुर तेज सिंह, भाई सतनाम सिंह, बाबा ईश्वर सिंह, महंत महेंद्र सिंह, मास्टर गुरनाम सिंह, बंटी ग्रोवर, श्याम भोजवानी, राजा सिंह आदि मौजूद रहे।
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