आगरा। तिजारत के मंच पार्टनरशिप समिट में सियासत भी कम नहीं हुई। केंद्र और प्रदेश सरकार ने यहां जो योजनाएं पेश कीं उसमें स्थान विशेष पर कारोबार की संभावनाओं से ज्यादा वहां सतारूढ़ दल के हितों का ख्याल ज्यादा रखा गया। इससे राजनीतिक हित भले सधे लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के बीच औद्योगिक विकास असंतुलित जरूर हो सकता है। डर यह भी है कि उपयुक्त जमीन का ख्याल न रखे जाने से योजनाओं की पौध वहां जमे ही नहीं या इसी कारण निवेशक बिदक जाएं। इसे समझने के लिए आगरा और मेरठ के उदाहरण काफी हैं। समिट में मैन्यूफैक्चरिंग और हैंडीक्राफ्ट हब के रूप में आगरा तथा स्पोर्ट्स सिटी के रूप में मेरठ के बारे में कोई बात ही नहीं की गई। जहां बड़ी योजनाएं प्रस्तावित की गईं उनमें अधिकतर बसपा, सपा और कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं। बसपा के गढ़ में विकास योजनाओं वहां पर सत्ता दलों के कब्जे की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है।
समिट के दौरान केंद्र सरकार की ओर से जो प्रस्ताव आए उनमें अधिकांश राहुल गांधी और सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र और आसपास के या कांग्रेस के प्रभाव वाले हैं। केंद्र ने रायबरेली, जगदीशपुर, अमेठी, फुरसतगंज, शाहजहांपुर, लखीमपुर आदि इलाकों की योजनाओं में प्रदेश सरकार की मदद की हामी भरी और निवेशकों के सामने प्रस्तुत किया। वहीं सूबे की सपा सरकार ने अपने पूर्वांचल के गढ़, नए गढ़ के रूप में सामने आए बुंदेलखंड के साथ औरया और उन्नाव पर फोकस किया। पूर्ववर्ती बसपा सरकार द्वारा बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद में दी गई योजनाओं को भी नए कलेवर में दिखाया गया। जगदीशपुर में राज्य सरकार का मेगा फूड पार्क है तो केंद्र सरकार का स्पाइस पार्क भी। इसके सेटेलाइट सेंटर भी अमेठी और सुल्तानपुर में हैं।
तिजारत के नाम पर हुई इस सियासत से औद्योगिक शहर हाशिये पर चले गए। मैन्यूफैक्चरिंग हब की बात करने वाले केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आगरा को भूल गए। भदोही और मुरादाबाद को हैंडीक्राफ्ट मेगा क्लस्टर देने वाली प्रदेश सरकार को आगरा के हस्तशिल्पी नहीं दिखे। स्पोर्ट्स सिटी मेरठ पर भी सरकारी ‘करम’ नहीं रहे। स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के बारे में सरकार बताना ही भूल गई। यह हाल तब है जब देश से एक्सपोर्ट होने वाले स्पोर्ट्स आइटम का एक तिहाई उत्पादन मेरठ में होता है। कानपुर को मिले टेक्सटाइल पार्क में निजी कंपनी की अपनी मेहनत रही। कपड़ों के लिए मशहूर कानपुर को कहीं भी प्रोत्साहन देने की कोई योजना नजर नहीं आई।
समिट में पेश की गई योजनाएं
बुलंदशहर में 400 केवी सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट
शाहजहां पुर और लखीमपुर खीरी में 1260 मेगावाट के विंड एनर्जी पावर प्लांट संभावित
प्लास्टिक सिटी : औरया
ट्रोनिका सिटी : गाजियाबाद
लेदर मेगा क्लस्टर : कानपुर, आगरा, हरदोई
लेदर टेक्नालाजी पार्क : उन्नाव-बंथरा (लखनऊ)
इंटीग्रेटेड डेयरी पार्क : लखनऊ
नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग इनवेस्टमेंट जोन : नोएडा, गाजियाबाद, औरया, झांसी
टेक्सटाइल पार्क : फतेहपुर, गाजियाबाद, कानपुर
एग्रो पार्क : बाराबंकी, गोरखपुर, सहारनपुर, वाराणसी
आईटी सिटी : लखनऊ
आईटी एसईजेड : ग्रेटर नोएडा और नोएडा
ग्रोथ सेंटर : बिजौली, झांसी, शाहजहांपुर, दिबियापुर, जौनपुर
स्पेशल इकोनामिक जोन : मुरादाबाद
एनआईएफटी : रायबरेली
स्पाइस पार्क : रायबरेली, सेटेलाइट सेंटर जगदीशपुर, अमेठी, सीतापुर और मुरादाबाद
मेगा फूड पार्क : जगदीशपुर
एफडीडीआई : फुरसतगंज
परमानेंट आपरेटर ट्रेनिंग सेंटर रायबरेली सुल्तानपुर
हैंडीक्राफ्ट मेगा क्लस्टर : मुरादाबाद, भदोही
नई शुगर मिल : बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के 24 जिलों में