आगरा। बच्चों के संकट हरने वाली सकट चौथ का सभी माताएं आस्था के साथ पूजन करेंगी। शाम को चंद्रोदय के बाद माताएं अपना व्रत खोलेंगी।
संतान के सुख व दीर्घायु की कामना के लिए सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। गणेश जी को तिलकुट का भोग लगाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय के अनुसार गणपति बच्चों को दीर्घायु, कुशाग्र बुद्धि देते हैं। उन्होंने बताया कि एक पट्टे पर पीला वस्त्र बिछाकर गुड़ से सकट चौथ बनाई जाती हैं। हल्दी से श्री गणेश की आकृति बनाई जाती है। हल्दी चावल से पूजन कर तिलकुट व लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। सभी माताएं गजानन की कहानी सुनती हैं। पूजा के बाद बायना निकाला जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं।
अक्को गद्दी के दिनेश गुरु के अनुसार 30 जनवरी को राजयोग में सकट चौथ का पूजन बेहद शुभ है। रात 9:07 मिनट पर चंद्रोदय होगा। शाम के समय गणेश जी की आरती के बाद गरीबों को अन्न व वस्त्र का दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
संस्कृत मनीषी चंदन लाल पाराशर के अनुसार सुबह 11:30 बजे के बाद चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी। सकट चौथ का शुद्ध शब्द संकष्ट चतुर्थी है।
गणपति ने हरा था चंद्रमा का संकट
प्राचीन गणेश मंदिर, गोकुलपुरा के महंत ज्ञानेश शास्त्री ने बताया कि चंद्रमा गणपति के रूप का मजाक उड़ाता था। इस पर गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि चौथ पर तुम्हारा दर्शन निषेध होगा। जब चंद्रमा ने विनय की तब विघ्न विनाशक ने कहा कि सकट चौथ पर माताएं तुम्हारा दर्शन कर ही व्रत खोलेंगी।