लखनऊ । एलडीए की पहली जनता अदालत में फरियादी तो सैकड़ों आए, मगर उनको न्याय नहीं मिला। सभी मामलों को अगली तारीख मिलेगी। दावे थे समस्याओं का निस्तारण करने के, लेकिन एक भी शिकायतों का निस्तारण नहीं किया गया। फरियादियों को यह कह कर लौटा दिया गया कि समस्या का निष्पादन होते ही एसएमएस के जरिए सूचना दे दी जाएगी, मगर कब तक इस बारे में अफसर मौन साधे रहे। अदालत में आने वाली 80 फीसदी शिकायतें प्लॉटों पर कब्जा न मिलने, रजिस्ट्री न किए जाने की थी। जबकि, अवैध निर्माण, किसान आंदोलन, ट्रस्ट, मुआवजा और नए बने फ्लैटों में गड़बड़ी की भी कई शिकायतें आईं। सबसे ज्यादा शिकायतें गोमतीनगर विस्तार के आवंटियों की रहीं। यहां चार घंटे में 286 शिकायतें आईं।
प्राधिकरण के आवंटियों और विभाग से प्रभावित जन सामान्य की समस्याओं के निराकरण के लिएबृहस्पतिवार को प्राधिकरण भवन के बारादरी लॉन में ‘जनता अदालत’ आयोजित की गई। पहली अदालत में जनता का जोश तो अच्छा खासा दिखा मगर एक भी मामला निस्तारित नहीं किया गया। केवल अगली तारीख दिए जाने की तैयारी कर ली गई। ‘जनता अदालत’ में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए। अदालत में जन सामान्य की समस्याओं से सम्बन्धित योजनावार अलग-अलग काउंटर बनाए गए थे। सभी काउंटरों पर संबंधित लिपिकों ने लगातार आवेदन पत्रों को प्राप्त करने की व्यवस्था की थी। जिसे समय समय पर उच्चाधिकारियाें द्वारा प्रत्येक काउंटर पर जाकर निरीक्षण भी किया जाता रहा। ‘जनता अदालत’ में निर्धारित अवधि तक कुल 286 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। ‘जनता अदालत’ में उपाध्यक्ष के अलावा अपर सचिव सीमा सिंह, वित्त नियंत्रक, मुख्य अभियंता, संयुक्त सचिव, सभी ओएसडी, योजना से संबंधित सभी संपत्ति अधिकारी निर्धारित अवधि तक लगातार निरीक्षण करते रहें। इस ‘जनता अदालत’ में प्राप्त आवेदन पत्राें को निर्धारित अवधि के अन्दर निस्तारित किये जाने के आदेश दिए हैं। राघवेंद्र मिश्र प्रोग्रामर एनालिस्ट को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि सभी आवेदन पत्रों को कम्प्यूटर पर फीड किया जाए। सभी आवेदकों को उनके कार्य से संबंधित अधिकारी का नाम और आईडी नंबर एसएमएस के जरिये भेजे जाएं। निस्तारण तिथि की सूचना भी एसएमएस के द्वारा आवेदक को भेजे जाने के निर्देश दिए गए हैं।
जब रो पड़ी विस्तार की विस्थापित
गांव मख्दूमपुर के किशन सिंह रावत का मकान 2011 में ध्वस्त किया गया था। विस्तार में प्राधिकरण की अधिग्रहित भूमि पर उनका मकान था। उनको सेक्टर एक में 1/798 नंबर प्लॉट दिया गया। मगर सात मीटर चौड़े रोड की जद में आने की वजह से वे प्लॉट पर अब तक कब्जा नहीं पा सके हैं। अपने ध्वस्त मकान के बचे हुए एक कमरे में पूरा परिवार रहता है। किशन सिंह रावत ही नहीं उनके जैसे करीब 100 और विस्थापित इसी तरह का दर्द झेल रहे हैं। इन विस्थापितों का दर्द भी इस जनता अदालत में सामने आया। किशन सिंह रावत की पत्नी ने उपाध्यक्ष के सामने रो-रो कर अपना दर्द बयां किया। इसके अलावा विस्तार में प्लाटों पर कब्जा न मिलने, रजिस्ट्री न किए जाने के अलावा फाइल गुम हो जाने के करीब 60-70 मामले सामने आए।
बसंतकुंज के आवंटियों का दर्द भी कम नहीं
बसंतकुंज योजना के आवंटी महेंद्र प्रताप सिंह, वैसे तो न जाने कितनी ही बार प्राधिकरण का चक्कर काट चुके थे, मगर जनता अदालत से उनको बहुत उम्मीद थी। वे यहां आए और उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराई कि, पिछले छह साल से उनको प्लाट का आवंटन होने के बावजूद कब्जा नहीं मिल सका है। कहा जाता है कि, बसंतकुंज में किसानों से विवाद है, आखिर इस विवाद का अंत क्यों नहीं हो रहा है। प्राधिकरण के खाते में अपना रुपया जमा करा चुके लोगों की इसमें आखिर गलती क्या है। बसंतकुंज की करीब 20 शिकायतें इस अदालत में आईं। इसी तरह की शिकायतें सनराइज अपार्टमेंट के आवंटी एचएन राय, जानकीपुरम के लोगों ने भी अपनी समस्या यहां रखी।
बाल्मीकि बस्ती के विस्थापितों ने भी उठाई आवाज
नगर बाल्मीकि पंचसभा की ओर से भी यहां आवाज उठाई गई। छावनी क्षेत्र में सेंटपाल स्कूल के पीछे ये लोग काबिज थे। इन लोगों को सितंबर 1989 में सेना ने हटा दिया था। जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इन लोगों को शारदा नगर के रश्मि खंड में बसाने का आदेश दिया, मगर आवंटन और शुरुआती धन जमा होने के बावजूद अब तक इन लोगों को अपने आवास नहीं मिल सके हैं।
बाबू ने मुझसे ली थी रिश्वत
आजाद नगर के बी-101 की प्लाट आवंटी लक्ष्मी देवी अग्रवाल ने आरोप लगाया कि, वर्ष-2007 में उन्होंने पूरा रुपया जमा कर दिया था। मगर उनकी रजिस्ट्री अभी तक अटकाई जा रही है। उनसे संबंधित बाबू ने आठ हजार रुपए बतौर रिश्वत भी लिए थे। इस बात की शिकायत लिखित तौर पर महिला ने उपाध्यक्ष अष्टभुजा तिवारी को की, तिवारी ने इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई करने का वादा किया।
गाली गलौज करने वाले को किया बाहर
गोमती नगर विस्तार में विस्थापित होने और न्याय न मिलने की शिकायत करते करते अचानक अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले एक व्यक्ति को जनता अदालत से बाहर कर दिया गया। इस व्यक्ति ने दो दिन पहले प्राधिकरण में किसानों की मीटिंग के दौरान भी इस व्यक्ति ने हंगामा किया था। वह जोर-जोर शोर मचा कर एलडीए अधिकारियों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहा था।
लखनऊ । एलडीए की पहली जनता अदालत में फरियादी तो सैकड़ों आए, मगर उनको न्याय नहीं मिला। सभी मामलों को अगली तारीख मिलेगी। दावे थे समस्याओं का निस्तारण करने के, लेकिन एक भी शिकायतों का निस्तारण नहीं किया गया। फरियादियों को यह कह कर लौटा दिया गया कि समस्या का निष्पादन होते ही एसएमएस के जरिए सूचना दे दी जाएगी, मगर कब तक इस बारे में अफसर मौन साधे रहे। अदालत में आने वाली 80 फीसदी शिकायतें प्लॉटों पर कब्जा न मिलने, रजिस्ट्री न किए जाने की थी। जबकि, अवैध निर्माण, किसान आंदोलन, ट्रस्ट, मुआवजा और नए बने फ्लैटों में गड़बड़ी की भी कई शिकायतें आईं। सबसे ज्यादा शिकायतें गोमतीनगर विस्तार के आवंटियों की रहीं। यहां चार घंटे में 286 शिकायतें आईं।
प्राधिकरण के आवंटियों और विभाग से प्रभावित जन सामान्य की समस्याओं के निराकरण के लिएबृहस्पतिवार को प्राधिकरण भवन के बारादरी लॉन में ‘जनता अदालत’ आयोजित की गई। पहली अदालत में जनता का जोश तो अच्छा खासा दिखा मगर एक भी मामला निस्तारित नहीं किया गया। केवल अगली तारीख दिए जाने की तैयारी कर ली गई। ‘जनता अदालत’ में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए। अदालत में जन सामान्य की समस्याओं से सम्बन्धित योजनावार अलग-अलग काउंटर बनाए गए थे। सभी काउंटरों पर संबंधित लिपिकों ने लगातार आवेदन पत्रों को प्राप्त करने की व्यवस्था की थी। जिसे समय समय पर उच्चाधिकारियाें द्वारा प्रत्येक काउंटर पर जाकर निरीक्षण भी किया जाता रहा। ‘जनता अदालत’ में निर्धारित अवधि तक कुल 286 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। ‘जनता अदालत’ में उपाध्यक्ष के अलावा अपर सचिव सीमा सिंह, वित्त नियंत्रक, मुख्य अभियंता, संयुक्त सचिव, सभी ओएसडी, योजना से संबंधित सभी संपत्ति अधिकारी निर्धारित अवधि तक लगातार निरीक्षण करते रहें। इस ‘जनता अदालत’ में प्राप्त आवेदन पत्राें को निर्धारित अवधि के अन्दर निस्तारित किये जाने के आदेश दिए हैं। राघवेंद्र मिश्र प्रोग्रामर एनालिस्ट को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि सभी आवेदन पत्रों को कम्प्यूटर पर फीड किया जाए। सभी आवेदकों को उनके कार्य से संबंधित अधिकारी का नाम और आईडी नंबर एसएमएस के जरिये भेजे जाएं। निस्तारण तिथि की सूचना भी एसएमएस के द्वारा आवेदक को भेजे जाने के निर्देश दिए गए हैं।
जब रो पड़ी विस्तार की विस्थापित
गांव मख्दूमपुर के किशन सिंह रावत का मकान 2011 में ध्वस्त किया गया था। विस्तार में प्राधिकरण की अधिग्रहित भूमि पर उनका मकान था। उनको सेक्टर एक में 1/798 नंबर प्लॉट दिया गया। मगर सात मीटर चौड़े रोड की जद में आने की वजह से वे प्लॉट पर अब तक कब्जा नहीं पा सके हैं। अपने ध्वस्त मकान के बचे हुए एक कमरे में पूरा परिवार रहता है। किशन सिंह रावत ही नहीं उनके जैसे करीब 100 और विस्थापित इसी तरह का दर्द झेल रहे हैं। इन विस्थापितों का दर्द भी इस जनता अदालत में सामने आया। किशन सिंह रावत की पत्नी ने उपाध्यक्ष के सामने रो-रो कर अपना दर्द बयां किया। इसके अलावा विस्तार में प्लाटों पर कब्जा न मिलने, रजिस्ट्री न किए जाने के अलावा फाइल गुम हो जाने के करीब 60-70 मामले सामने आए।
बसंतकुंज के आवंटियों का दर्द भी कम नहीं
बसंतकुंज योजना के आवंटी महेंद्र प्रताप सिंह, वैसे तो न जाने कितनी ही बार प्राधिकरण का चक्कर काट चुके थे, मगर जनता अदालत से उनको बहुत उम्मीद थी। वे यहां आए और उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराई कि, पिछले छह साल से उनको प्लाट का आवंटन होने के बावजूद कब्जा नहीं मिल सका है। कहा जाता है कि, बसंतकुंज में किसानों से विवाद है, आखिर इस विवाद का अंत क्यों नहीं हो रहा है। प्राधिकरण के खाते में अपना रुपया जमा करा चुके लोगों की इसमें आखिर गलती क्या है। बसंतकुंज की करीब 20 शिकायतें इस अदालत में आईं। इसी तरह की शिकायतें सनराइज अपार्टमेंट के आवंटी एचएन राय, जानकीपुरम के लोगों ने भी अपनी समस्या यहां रखी।
बाल्मीकि बस्ती के विस्थापितों ने भी उठाई आवाज
नगर बाल्मीकि पंचसभा की ओर से भी यहां आवाज उठाई गई। छावनी क्षेत्र में सेंटपाल स्कूल के पीछे ये लोग काबिज थे। इन लोगों को सितंबर 1989 में सेना ने हटा दिया था। जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इन लोगों को शारदा नगर के रश्मि खंड में बसाने का आदेश दिया, मगर आवंटन और शुरुआती धन जमा होने के बावजूद अब तक इन लोगों को अपने आवास नहीं मिल सके हैं।
बाबू ने मुझसे ली थी रिश्वत
आजाद नगर के बी-101 की प्लाट आवंटी लक्ष्मी देवी अग्रवाल ने आरोप लगाया कि, वर्ष-2007 में उन्होंने पूरा रुपया जमा कर दिया था। मगर उनकी रजिस्ट्री अभी तक अटकाई जा रही है। उनसे संबंधित बाबू ने आठ हजार रुपए बतौर रिश्वत भी लिए थे। इस बात की शिकायत लिखित तौर पर महिला ने उपाध्यक्ष अष्टभुजा तिवारी को की, तिवारी ने इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई करने का वादा किया।
गाली गलौज करने वाले को किया बाहर
गोमती नगर विस्तार में विस्थापित होने और न्याय न मिलने की शिकायत करते करते अचानक अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले एक व्यक्ति को जनता अदालत से बाहर कर दिया गया। इस व्यक्ति ने दो दिन पहले प्राधिकरण में किसानों की मीटिंग के दौरान भी इस व्यक्ति ने हंगामा किया था। वह जोर-जोर शोर मचा कर एलडीए अधिकारियों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहा था।