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बदल-बदल कर इस्तेमाल करें खाने का तेल: डॉ. त्रेहन
Lucknow
Updated Sun, 14 Oct 2012 12:00 PM IST
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लखनऊ। हृदय रोगोें से बचाव के अलग-अलग तरह के खाद्य तेलों का उपयोग बेहद फायदेमंद है। सरसों के तेल का उपयोग उत्तर भारत, कश्मीर और पश्चिम बंगाल में ज्यादा होता रहा है। इसके नतीजे में वहां के हृदय रोग के मामले बढ़ने लगे। यह कहना है ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन का। वो शनिवार को राजधानी में थे और इस दौरान दो निजी चिकित्सालयों का उन्हाेंने निरीक्षण किया। डॉ.त्रेहन ने पत्रकारों से बातचीत कहा कि सरसों, सोयाबीन, सनफ्लावर, मूंगफली, नारियल, ऑलिव आयल का बदल-बदलकर खाद्य तेलों के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इससे हृदय रोग होने की दर को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में हृदय रोगियों की संख्या करीब 8 करोड़ पहुंच गई है। ये संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। हमारे पास इतने चिकित्सा संसाधन नहीं हैं कि सभी का स्तरीय इलाज शुरू किा जा सके। इसलिए बीमारी को होने ही नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी जीवन शैली में पैदल चलने और साइकिल चलाने की आदत छूट गई है। रोजाना 4 किलोमीटर या 40 मिनट तक तेजी से चलकर हृदय रोगों से बचा जा सकता है। इसके अलावा खाने में मीठे, तले-भुने खाद्य पदार्थ और फास्ट फूड ने बीमारियों को बढ़ाने का कार्य किया है। क्योंकि शारीरिक श्रम न होने के कारण बीमारियां बढ़ती जा रही है। इसलिए खाने में हरी सब्जियों का इस्तेमाल ज्यादा-ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
माता-पिता हृदय रोगी तो संभल जाएं ः डॉ. त्रेहन ने बताया कि यदि किसी परिवार में माता-पिता हृदय रोगी हैं तो उनके बच्चों को हृदय रोग होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। इसलिए ऐसे लोगों को खानपान में सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही जीवनशैली में सुधार कर लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्ट्रेस भी हृदय रोग की संभावना बढ़ाता है। रोजाना 15 मिनट योग और गहरी सांस लेने वाले व्यायाम करें। 40 साल के बाद हृदय रोग की संभावना का पता लगाने के लिए जरूरी जांचें करा लें। इससे बीमारी का पता शुरुआत में लग जाएगा।
लखनऊ। हृदय रोगोें से बचाव के अलग-अलग तरह के खाद्य तेलों का उपयोग बेहद फायदेमंद है। सरसों के तेल का उपयोग उत्तर भारत, कश्मीर और पश्चिम बंगाल में ज्यादा होता रहा है। इसके नतीजे में वहां के हृदय रोग के मामले बढ़ने लगे। यह कहना है ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन का। वो शनिवार को राजधानी में थे और इस दौरान दो निजी चिकित्सालयों का उन्हाेंने निरीक्षण किया। डॉ.त्रेहन ने पत्रकारों से बातचीत कहा कि सरसों, सोयाबीन, सनफ्लावर, मूंगफली, नारियल, ऑलिव आयल का बदल-बदलकर खाद्य तेलों के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इससे हृदय रोग होने की दर को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में हृदय रोगियों की संख्या करीब 8 करोड़ पहुंच गई है। ये संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। हमारे पास इतने चिकित्सा संसाधन नहीं हैं कि सभी का स्तरीय इलाज शुरू किा जा सके। इसलिए बीमारी को होने ही नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी जीवन शैली में पैदल चलने और साइकिल चलाने की आदत छूट गई है। रोजाना 4 किलोमीटर या 40 मिनट तक तेजी से चलकर हृदय रोगों से बचा जा सकता है। इसके अलावा खाने में मीठे, तले-भुने खाद्य पदार्थ और फास्ट फूड ने बीमारियों को बढ़ाने का कार्य किया है। क्योंकि शारीरिक श्रम न होने के कारण बीमारियां बढ़ती जा रही है। इसलिए खाने में हरी सब्जियों का इस्तेमाल ज्यादा-ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
माता-पिता हृदय रोगी तो संभल जाएं ः डॉ. त्रेहन ने बताया कि यदि किसी परिवार में माता-पिता हृदय रोगी हैं तो उनके बच्चों को हृदय रोग होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। इसलिए ऐसे लोगों को खानपान में सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही जीवनशैली में सुधार कर लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्ट्रेस भी हृदय रोग की संभावना बढ़ाता है। रोजाना 15 मिनट योग और गहरी सांस लेने वाले व्यायाम करें। 40 साल के बाद हृदय रोग की संभावना का पता लगाने के लिए जरूरी जांचें करा लें। इससे बीमारी का पता शुरुआत में लग जाएगा।