मोबाइल फोन क्लोनिंग का इस्तेमाल पिछले कई सालों से हो रहा है। इस टेक्नॉलॉजी द्वारा क्लोन किए जा रहे फोन के डाटा व सेलुलर आइडेंटिडी को नए मोबाइल फोन में कॉपी किया जाता है। हालांकि, किसी के मोबाइल की क्लोनिंग निजी तौर पर नहीं की जा सकती। ऐसा करना गैरकानूनी है। सरकारी अधिकारी यूजर के मोबाइल डाटा को एक्सेस करने के लिए कानूनी तौर पर फॉरेंसिक से सहायता लेते हैं। इस प्रक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल स्टेशन उपकरण पहचान (आईएमआई) नंबर की ट्रांसफरिंग भी होती है।