अगर ट्राई की कोशिश कामयाब रही तो, अब बिना ट्रू कॉलर के भी आप फोन करने वाले के नाम को जान सकेंगे। दरअसल, दूरसंचार नियामक भारतीय दूरसंचार प्राधिकरण नियामक (ट्राई) जल्द ही केवाईसी आधारित नाम डिस्प्ले के एक तरीके को लाने की योजना बना रहा है। इस संबंध में कुछ महीने में चर्चा शुरू किए जाने की उम्मीद है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दूरसंचार विभाग (डॉट) के साथ बात हो रही है। ट्राई चेयरमैन पीडी वाघेला ने कहा कि हमें इससे संबंधित कुछ संदर्भ मिले हैं और इस पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।
पहले से ही इस बारे में विचार हो रहा
वाघेला ने कहा कि ट्राई इस बारे में पहले से ही विचार कर रहा था, पर अब डॉट की ओर से इस मामले में जानकारी मिली है। इस तरीके के जरिये आपके फोन स्क्रीन पर कॉलर का तुरंत नाम दिख जाएगा। दरअसल, भारत में इस तरह की सुविधा जो कंपनियां दे रही हैं, उनसे यह खतरा है कि ग्राहकों का डेटा उनके पास चला जाता है।
ऐप से डेटा चोरी में मिलेगी मदद
सूत्रों के मुताबिक, एक बार केवाईसी आधारित नई व्यवस्था के लिए रूपरेखा तैयार हो जाने के बाद, फोन करने वाले की पहचान अधिक स्पष्ट तरीके से और कानूनी रूप से मान्य हो जाएगी। इससे यह भी फायदा होगा कि जो तमाम ऐप पर डेटा होते हैं, वो खत्म हो जाएंगे और केवाईसी से जुड़े डेटा ही रहेंगे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह सुविधा ऐच्छिक होगी या अनिवार्य होगी।
विस्तार
अगर ट्राई की कोशिश कामयाब रही तो, अब बिना ट्रू कॉलर के भी आप फोन करने वाले के नाम को जान सकेंगे। दरअसल, दूरसंचार नियामक भारतीय दूरसंचार प्राधिकरण नियामक (ट्राई) जल्द ही केवाईसी आधारित नाम डिस्प्ले के एक तरीके को लाने की योजना बना रहा है। इस संबंध में कुछ महीने में चर्चा शुरू किए जाने की उम्मीद है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दूरसंचार विभाग (डॉट) के साथ बात हो रही है। ट्राई चेयरमैन पीडी वाघेला ने कहा कि हमें इससे संबंधित कुछ संदर्भ मिले हैं और इस पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।
पहले से ही इस बारे में विचार हो रहा
वाघेला ने कहा कि ट्राई इस बारे में पहले से ही विचार कर रहा था, पर अब डॉट की ओर से इस मामले में जानकारी मिली है। इस तरीके के जरिये आपके फोन स्क्रीन पर कॉलर का तुरंत नाम दिख जाएगा। दरअसल, भारत में इस तरह की सुविधा जो कंपनियां दे रही हैं, उनसे यह खतरा है कि ग्राहकों का डेटा उनके पास चला जाता है।
ऐप से डेटा चोरी में मिलेगी मदद
सूत्रों के मुताबिक, एक बार केवाईसी आधारित नई व्यवस्था के लिए रूपरेखा तैयार हो जाने के बाद, फोन करने वाले की पहचान अधिक स्पष्ट तरीके से और कानूनी रूप से मान्य हो जाएगी। इससे यह भी फायदा होगा कि जो तमाम ऐप पर डेटा होते हैं, वो खत्म हो जाएंगे और केवाईसी से जुड़े डेटा ही रहेंगे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह सुविधा ऐच्छिक होगी या अनिवार्य होगी।