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Goldman Sachs: गोल्डमैन सैश ने AI को लेकर दी चेतावनी, कहा-खत्म हो जाएंगी 30 करोड़ नौकरियां
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विशाल मैथिल
Updated Wed, 29 Mar 2023 06:51 PM IST
सार
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दावा किया गया है कि जनरेटिव एआई से 300 मिलियन यानी 30 करोड़ नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। एआई ऑटोमेशन से अमेरिका और यूरोपीय संघ में कम से कम दो-तिहाई नौकरियां खतरे में हैं।
जनरेटिव एआई से 300 मिलियन यानी 30 करोड़ नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं।
- फोटो : अमर उजाला
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं है। एआई को तेजी से विकसित किया जा रहा है। चैटबॉट के साथ अब साइबर सिक्योरिटी के हमले रोकने के लिए भी एआई टूल का इस्तेमाल किया जाएगा। एआई टूल ChatGPT के लॉन्च होते ही कई लोगों ने चिंता भी जाहिर की थी कि एआई के आने से नौकरियों पर खतरा बढ़ेगा। अब गोल्डमैन सैश की एक रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई है कि एआई जैसी शक्तिशाली तकनीक भविष्य में कई नौकरियों को खत्म कर सकती है।
30 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं
गोल्डमैन सैश की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जनरेटिव एआई से 300 मिलियन यानी 30 करोड़ नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई संभावित रूप से लगभग 300 मिलियन पूर्णकालिक नौकरियों की जगह ले सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, एआई ऑटोमेशन से अमेरिका और यूरोपीय संघ में कम से कम दो-तिहाई नौकरियां खतरे में हैं।
साथ ही अगर जेनेरेटिव एआई अपनी वादा की गई क्षमताओं को पूरा करता है, तो श्रम बाजार को महत्वपूर्ण व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है। जनरेटिव एआई वर्तमान कार्य के एक-चौथाई को खुद कर सकता है। यानी इसकी जद में कई लोगों की नौकरियां आ सकती है।
बढ़ सकती है ग्लोबल जीडीटी
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तकनीकी प्रगति से नई नौकरियां और उत्पादकता में उछाल हो सकता है। साथ ही इससे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चैटजीपीटी जैसे जनरेटिव एआई सिस्टम मानव आउटपुट के जैसे कंटेंट बना सकते हैं और अगले दशक तक प्रोडक्शन में उछाल ला सकते हैं। ये भी बता दें कि कई लोगों का मानना है कि एआई की क्षमता इंसानों के लिए मशीनी युग से भी बड़ा खतरा है। साथ ही यह संभावित रूप से आर्थिक असमानता को भी बढ़ा सकता है।
भविष्य में कम हो सकता है रोजगार
रिपोर्ट में रिसर्च का भी हवाला दिया गया है, जो कहती है कि आज लगभग 60 प्रतिशत श्रमिक ऐसे काम में लगे हैं जो 1940 में अस्तित्व में भी नहीं थे। हालांकि, इसने एक अन्य रिसर्च का भी हवाला दिया गया है जो बताता है कि 1980 के दशक के बाद से तकनीकी परिवर्तन ने श्रमिकों को विस्थापित करने की तुलना में तेजी से काम किया है और ज्यादा नौकरियां पैदा कीं। रिपोर्ट के अनुसार, यदि जनरेटिव एआई पिछली इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसी एडवांस है तो यह निकट भविष्य में रोजगार को कम कर सकती है।
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