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5g network issues with airline why 5G network creating problem with Airlines understand in detail in hindi
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5g Network Issues: आखिर 5G नेटवर्क से एयरलाइन को क्या है दिक्कत, विस्तार से समझें
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रदीप पाण्डेय
Updated Wed, 19 Jan 2022 06:33 PM IST
सार
बता दें कि इसी सप्ताह से एटीएंडटी और वेरिजोन कंपनियां अपने नए 5जी नेटवर्क शुरू करने वाली थीं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि क्या वाकई एरोप्लेन की राह में 5जी नेटवर्क रोड़ा बनने जा रहा है और यदि हां तो आखिर क्यों?
एयरलाइन के साथ 5g नेटवर्क समस्या
- फोटो : pixabay
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5जी नेटवर्क को लेकर शुरू से ही विवाद होता रहा है। कभी कोरोना महामारी के लिए भी 5जी नेटवर्क को जिम्मेदार ठहराया गया तो कभी दावा किया गया कि 5जी नेटवर्क के आने के बाद पक्षियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा, हालांकि इन सब दावों को विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर टेलीकॉम कंपनियों और तमाम सरकारों ने बकवास करार दिया है। अब 5जी की शुरुआत होते ही अमेरिका में एयरलाइन कंपनियों की मुसीबत बढ़ गई है।
एअर इंडिया ने कहा है कि अमेरिका में 19 जनवरी से 5जी इंटरनेट के कारण अमेरिकी उड़ानों में कटौती या बदलाव करने पड़ेंगे। वहीं अमेरिकी उड्डयन नियामक फैडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने कहा था कि 5जी के कारण विमान के रेडियो अल्टीमीटर इंजन और ब्रेक सिस्टम में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे रनवे पर विमान के लैंड करने में दिक्कत आ सकती है।
बता दें कि इसी सप्ताह से एटीएंडटी और वेरिजोन कंपनियां अपने नए 5जी नेटवर्क शुरू करने वाली थीं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि क्या वाकई एरोप्लेन की राह में 5जी नेटवर्क रोड़ा बनने जा रहा है और यदि हां तो आखिर क्यों?
एटीएंडटी और वेरिजोन कंपनियां अपने 5जी वायरलेस सर्विस के लिए अल्टीमीटर में इस्तेमाल होने वाले रेडियो स्पेक्ट्रम के काफी करीब वाले स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करती हैं। बता दें कि अल्टीमीटर की मदद से विमान और धरती के बीच की दूरी मापी जाती है। ऐसे में विमान और धरती की सटीक ऊंचाई मापने में दिक्कत हो सकती है।
सी बैंड का रेंज 3.7 से 3.98GHz होता है और अल्टीमीटर 4.2 से 4.4GHZ की रेंज में काम करते हैं। ऐसे में 5जी के बैंड की फ्रीक्वेंसी और अल्टीमीटर रेडियो की फ्रीक्वेंसी काफी करीब हो रही है जो कि विमान कंपनियों की सबसे बड़ी चिंता है।
5जी में इस्तेमाल होने वाली सी बैंड की फ्रीक्वेंसी के कारण वे सभी उपकरण काम करना बंद कर सकते हैं जो विमान की ऊंचाई बताते हैं, सेफ्टी को लेकर डाटा देते हैं। इसके अलावा नेविगेशन सिस्टम भी फेल हो सकता है। विमानन कंपनियों ने कहा है कि हवाईअड्डे के रनवे के दो मील के दायरे को छोड़ कर किसी भी इलाके में 5जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती है।
स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान इस बात की आशंका जताई गई थी। स्पेक्ट्रम के आवंटन के दौरान संघीय संचार आयोग यानी एफसीसी ने साफ किया था कि हवाई अड्डे के पास वाले इलाके में सी बैंड का इस्तेमाल किया जाएगा, लेकिन अब एफसीसी के प्रमुख स्टीफन डिक्सन का कहना है कि फिलहाल हवाई अड्डों के पास 5जी शुरू ना किया जाए। उन्होंने कहा कि 5जी के कारण उड़ाने में होने वाली समस्याओं को लेकर पहले रिसर्च करना जरूरी है।
एटीएंडटी और वेरीजोन ने कहा है कि सुरक्षा को लेकर कोई खतरा नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका में वायरलेस संचार उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले (सीटीआईए) ने कहा है कि दुनिया के 40 देशों ने सी बैंड को 5जी के लिए उपलब्ध कराया है, लेकिन वहां की विमानन कंपनियों ने इस तरह की शिकायत नहीं की है। एटीएंटडी के सीईओ जॉन स्टैंकी और वेरिजोन के सीईओ हांस वेस्टबर्ग ने यह जरूर कहा है कि वे एयरपोर्ट के पास 5जी नेटवर्क की ताकत को कम करेंगे। इससे पहले फ्रांस ने भी इसी तरह का प्रयोग किया है।
विस्तार
5जी नेटवर्क को लेकर शुरू से ही विवाद होता रहा है। कभी कोरोना महामारी के लिए भी 5जी नेटवर्क को जिम्मेदार ठहराया गया तो कभी दावा किया गया कि 5जी नेटवर्क के आने के बाद पक्षियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा, हालांकि इन सब दावों को विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर टेलीकॉम कंपनियों और तमाम सरकारों ने बकवास करार दिया है। अब 5जी की शुरुआत होते ही अमेरिका में एयरलाइन कंपनियों की मुसीबत बढ़ गई है।
एअर इंडिया ने कहा है कि अमेरिका में 19 जनवरी से 5जी इंटरनेट के कारण अमेरिकी उड़ानों में कटौती या बदलाव करने पड़ेंगे। वहीं अमेरिकी उड्डयन नियामक फैडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने कहा था कि 5जी के कारण विमान के रेडियो अल्टीमीटर इंजन और ब्रेक सिस्टम में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे रनवे पर विमान के लैंड करने में दिक्कत आ सकती है।
बता दें कि इसी सप्ताह से एटीएंडटी और वेरिजोन कंपनियां अपने नए 5जी नेटवर्क शुरू करने वाली थीं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि क्या वाकई एरोप्लेन की राह में 5जी नेटवर्क रोड़ा बनने जा रहा है और यदि हां तो आखिर क्यों?
जिसका डर था वही हुआ
एटीएंडटी और वेरिजोन कंपनियां अपने 5जी वायरलेस सर्विस के लिए अल्टीमीटर में इस्तेमाल होने वाले रेडियो स्पेक्ट्रम के काफी करीब वाले स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करती हैं। बता दें कि अल्टीमीटर की मदद से विमान और धरती के बीच की दूरी मापी जाती है। ऐसे में विमान और धरती की सटीक ऊंचाई मापने में दिक्कत हो सकती है।
सी बैंड का रेंज 3.7 से 3.98GHz होता है और अल्टीमीटर 4.2 से 4.4GHZ की रेंज में काम करते हैं। ऐसे में 5जी के बैंड की फ्रीक्वेंसी और अल्टीमीटर रेडियो की फ्रीक्वेंसी काफी करीब हो रही है जो कि विमान कंपनियों की सबसे बड़ी चिंता है।
5जी में इस्तेमाल होने वाली सी बैंड की फ्रीक्वेंसी के कारण वे सभी उपकरण काम करना बंद कर सकते हैं जो विमान की ऊंचाई बताते हैं, सेफ्टी को लेकर डाटा देते हैं। इसके अलावा नेविगेशन सिस्टम भी फेल हो सकता है। विमानन कंपनियों ने कहा है कि हवाईअड्डे के रनवे के दो मील के दायरे को छोड़ कर किसी भी इलाके में 5जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती है।
स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान इस बात की आशंका जताई गई थी। स्पेक्ट्रम के आवंटन के दौरान संघीय संचार आयोग यानी एफसीसी ने साफ किया था कि हवाई अड्डे के पास वाले इलाके में सी बैंड का इस्तेमाल किया जाएगा, लेकिन अब एफसीसी के प्रमुख स्टीफन डिक्सन का कहना है कि फिलहाल हवाई अड्डों के पास 5जी शुरू ना किया जाए। उन्होंने कहा कि 5जी के कारण उड़ाने में होने वाली समस्याओं को लेकर पहले रिसर्च करना जरूरी है।
टेलीकॉम कंपनियों का क्या कहना है?
एटीएंडटी और वेरीजोन ने कहा है कि सुरक्षा को लेकर कोई खतरा नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका में वायरलेस संचार उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले (सीटीआईए) ने कहा है कि दुनिया के 40 देशों ने सी बैंड को 5जी के लिए उपलब्ध कराया है, लेकिन वहां की विमानन कंपनियों ने इस तरह की शिकायत नहीं की है। एटीएंटडी के सीईओ जॉन स्टैंकी और वेरिजोन के सीईओ हांस वेस्टबर्ग ने यह जरूर कहा है कि वे एयरपोर्ट के पास 5जी नेटवर्क की ताकत को कम करेंगे। इससे पहले फ्रांस ने भी इसी तरह का प्रयोग किया है।
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