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Wrestlers Protest Timeline from 18 january to 5 may Everything as happened
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Wrestlers Protest: चार महीने में दो बार धरने पर बैठे पहलवान, अमित शाह से मुलाकात के बाद बदली कहानी!
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Mon, 05 Jun 2023 03:07 PM IST
पहलवानों और गृहमंत्री अमित शाह के बीच मुलाकात के बाद कहानी बदल गई और पहलवान काम पर लौट गए। आइए समझते हैं कि यह पूरा प्रदर्शन कैसे शुरू हुआ और कैसे पहलवान काम पर लौटने के लिए तैयार हुए।
पहलवानों का धरना जारी है, लेकिन वह काम पर लौट गए हैं
- फोटो : अमर उजाला
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों का धरना खत्म हो चुका है। गृहमंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद पहलवान अपने काम पर लौट गए हैं। साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया अपनी नौकरी पर वापस लौट चुके हैं। हालांकि, पहलवानों ने साफ किया है कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए नौकरी पर लौटे हैं, लेकिन इंसाफ के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
देश के शीर्ष पहलवान 138 दिन से बृजभूषण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। 18 जनवरी को पहली बार पहवान धरने पर बैठे थे और 23 अप्रैल को दूसरी बार धरना शुरू किया। इसके बाद पहलवानों ने मौसम की मार झेली, पुलिस के साथ झड़प हुई। पहलवानों के खिलाफ एफआईआर भी हुई, लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा। हालांकि, पहलवानों और गृहमंत्री अमित शाह के बीच मुलाकात के बाद कहानी बदल गई और पहलवान काम पर लौट गए। आइए समझते हैं कि यह पूरा प्रदर्शन कैसे शुरू हुआ और कैसे पहलवान काम पर लौटने के लिए तैयार हुए।
30 भारतीय पहलवान 18 जवनरी के दिन दिल्ली के जंतर-मंतर में धरने पर बैठ गए। धरने की अगुआई बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसे पहलवान कर रहे थे। पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर मनमाने तरीके से संघ चलाने और महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण करने के आरोप लगाए।
बृजभूषण ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन पहलवानों का धरना जारी रहा। कई अधिकारियों ने पहलवानों से मुलाकात की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ मुलाकात के बाद पहलवानों ने 21 जनवरी के दिन धरना खत्म कर दिया।
बृजभूषण सिंह पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाई गई और कुश्ती संघ का कामकाज भी समिति को सौंप दिया गया। बृजभूषण सिंह को कुश्ती संघ के कामकाज से दूर रहने के लिए कहा गया।
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जांच समिति ने अप्रैल में अपनी रिपोर्ट दी, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। इस बीच खबरें आईं कि रिपोर्ट में बृजभूषण निर्दोष पाए गए हैं।
23 अप्रैल को पहलवान दूसरी बार धरने पर बैठ गए। पहलवानों ने कहा कि बृजभूषण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इसलिए वह फिर से धरने पर बैठने के लिए मजबूर हैं। पहलवानों ने जंतर-मंतर में अपना अड्डा बना लिया और दिन-रात धरना जारी रहा। इसमें कई नेता और राजनीतिक पार्टियां भी शामिल हुईं।
पहलवानों का धरना बड़ा होता गया, लेकिन बृजभूषण खुद को निर्दोष बताते रहे। जब पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में बृजभूषण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज हुईं। एक एफआईआर नाबालिग पहलवान के आरोप पर थी और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। वहीं, दूसरी एफआईआर अन्य छह पहलवानों के आरोपों के आधार पर दर्ज की गई थी।
पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज होने के बावजूद बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि वह दोषी साबित हुए तो खुद को फांसी लगा लेंगे। इसके अलावा उन्होंने महिला पहलवानों को शूर्पणखा तक कह दिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शन कर रहे पहलवान अब मेडल जीतने लायक नहीं बचे हैं।
दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद पहलवानों को परेशान करना शुरू किया। प्रदर्शन स्थल में बिजली की आपूर्ति रोक दी गई। बाहरी लोगों के प्रदर्शन स्थल पर जाने पर रोक लग गई। पानी की आपूर्ति भी बाधित की गई। कई मौकों पर पहलवानों और पुलिस के बीच हाथापाई भी हुई और कुछ पहलवान चोटिल भी हुए।
28 मई के दिन पहलवान विरोध प्रदर्शन करने के लिए नए संसद भवन की तरफ जा रहे थे। पुलिस ने उन्हें रोका तो पहलवानों के साथ उनकी हाथापाई हो गई। दिल्ली पुलिस ने सभी पहलवानों और उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद जंतर-मंतर से पहलवानों का सामान हटा दिया गया। शाम तक सभी महिला पहलवान और रात तक पुरुष पहलवानों को छोड़ दिया गया।
पहलवानों को फिर से जंतर-मंतर में बैठने की अनुमति नहीं मिली, लेकिन उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहा। इस बीच सामने आया कि बृजभूषण पर महिला पहलवानों को गलत तरीके से छूने और यौन शोषण के कई आरोप लगे हैं। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने चार जून को पहलवानों के साथ बात की।
पांच जून को सभी बड़े पहलवानों ने अपनी सरकारी नौकरी जॉइन कर ली। साक्षी मलिक ने कहा कि वह प्रदर्शन से पीछे नहीं हटी हैं, बल्कि अपनी जिम्मेदारी को निभा रही हैं। इंसाफ के लिए उनकी लड़ाई जारी है।
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