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Lovlina Borgohain Won Medal for India in IBA Women’s World Boxing Championships 2023 Know Career and Full Stor
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Lovlina Borgohain Story: महीने में 1300 रुपये कमाते थे लवलीना के पिता, अखबार में लिपटी मिठाई ने बनाया बॉक्सर
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Sun, 26 Mar 2023 08:14 PM IST
सार
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लवलीना ही नहीं उनके पूरे परिवार का सफर संघर्ष से भरा रहा है। उनके पिता महीने भर में 1300 रुपये कमा पाते थे, लेकिन बेटी ने अपने मुक्कों के दम पर न सिर्फ देश का नाम रोशन किया है, बल्कि परिवार को गरीबी के दलदल से भी बाहर निकाला है।
टोक्यो ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने वाली लवलीना बोरगोहेन ने महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता है और देश का नाम रोशन किया है। लवलीना ने 70-75 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया है। फाइनल मुकाबले में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन एन पार्कर को मात दी। ओलंपिक और विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद वह देश की लोकप्रिय मुक्केबाजों में शामिल हो गई हैं। हालांकि, लवलीना के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा। वह बेहद गरीब परिवार में पैदा हुई थीं और कई चुनौतियों से पार पाते हुए इस मुकाम तक पहुंची हैं।
लवलीना बोरगोहेन का जन्म असम के गोलाघाट जिले के बरो मुखिया गांव में हुआ था। उनके पिता टिकेन एक छोटे व्यापारी थे और 1300 रुपये महीना कमाते थे। लवलीना ने अपनी बड़ी बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया और शुरुआत में इसी खेल में अपना करियर बनान चाहती थीं, लेकिन आगे चलकर चीजें बदल गईं।
अखबार में लिपटी मिठाई ने बनाया बॉक्सर
एक बार लवलीना के पिता टिकेन मिठाई लाए थे। वह जिस अखबार में मिठाई को लपेट लाए थे उसे लवलीना ने बाद में देखा था। उसमें मशहूर मुक्केबाज मोहम्मद अली के बारे में लिखा था। मोहम्मद अली के बारे में पढ़कर लवलीना के मन में बॉक्सर बनने की तमन्ना जाग उठी। किक-बॉक्सिंग करने वाले लवलीना का ट्रायल प्राइमरी स्कूल में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के लिए हुआ। उन पर कोच पादुम बोरो की नजर पड़ी। यहीं से लवलीना का जीवन बदल गया।
पादुम बोरो के मुताबिक, ''लवलीना के माता-पिता ने उसका पूरा सपोर्ट किया। वे अक्सर मेरे साथ उसके खेल पर चर्चा करते थे और उसके सपनों के लिए कुछ भी करने को तैयार थे।'' बोरो ने इंटरव्यू में कहा था, ''लवलीना में एक बेहतरीन बॉस्कर बनने की प्रतिभा थी। हमने केवल उसका मार्गदर्शन किया। करियर के शुरू में भी उसका शांत दिमाग उनकी सबसे खास बात थी। वह ऐसी नहीं है जो आसानी से हार मान जाए। वह तनाव नहीं लेती है। वह बहुत अनुशासित खिलाड़ी है।''
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लवलीना ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने के अलावा वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक (2018 और 2019) जीत चुकी हैं। उनके नाम एशियन चैंपियनशिप में भी दो कांस्य (2017 और 2021) पदक हैं। 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में उनके स्वर्ण की उम्मीद थी, लेकिन वह कांस्य भी नहीं जीत पाईं। हालांकि, अब दमदार वापसी करते हुए उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया है।
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