लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Sports ›   Football ›   moscow journey from night to morning during fifa world cup 2018

फीफा विश्व कप 2018: इन रातों की कोई सुबह नहीं...!

सेंट पीटर्सबर्ग से प्रकाश पुरोहित Updated Tue, 10 Jul 2018 05:35 AM IST
moscow journey from night to morning during fifa world cup 2018
बेल्जियम फैंस

रूस में ऐसी रातें आमतौर पर नहीं होती हैं कि पूरी रात शहर जागता रहे। मास्को में एक पूरी रात जाग कर देखा था कि कैसे रात से सुबह होती है। रात 11 बजे से सड़कों पर घूमना शुरू किया तो सुबह छह बजे तक पता ही नहीं चला कि कब रात पूरी हो गई। वैसे भी यहां रात 12 बजे बाद शुरू होती है और तीन-चार बजे सुबह शुरू होने लगती है, लेकिन मास्को और फिर सेंट पीटर्स बर्ग में देखा कि यहां की रात की सुबह नहीं होती है या रात ही नहीं होती है। 



पूरी-पूरी रात इस शहर के युवा इस पब, इस रेस्त्रां से उस पब, उस रेस्त्रां जाते रहते हैं। जैसे इनका दिन ही रात 11 बजे बाद शुरू होता है, तो सुबह छह-सात बजे खत्म होता है। मैंने कुछ लोगों के साथ मास्को में ऐसी ही एक रात गुजारी है कि सुबह छह-सात बजे सोने निकले हैं।


यहां के लोगों का कहना है कि ऐसी जीवन-चर्या यहां की नहीं है। पूरी-पूरी रात युवा सड़कों पर ही गुजारते रहें, ऐसा नहीं होता है। विश्व कप फुटबॉल की वजह से ऐसा हो रहा है कि पूरी-पूरी रात युवा सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, विश्व कप के बहाने यहां के युवा को जीने का नया तरीका नजर आने लगा है। जैसा कि यूरोप में वीक-एंड में होता है, यहां हर दिन नजर आ रहा है।

हाल ही में सर्वे आया है कि रूस के 20 लाख युवा इस देश को छोड़ कर कहीं और बस जाना चाहते हैं। इसी का नतीजा है कि आज युवा सड़कों पर हैं। इनमें से 60 फीसदी लड़कियां हैं, जो चाहती हैं कि यह देश छोड़ कर कहीं और बस जाएं। इसी वजह से बाहर से आए विदेशियों के साथ यहां की लड़कियां ज्यादा नजर आ रही हैं और यही यहां के युवाओं को कष्ट दे रहा है कि हमारे होते विदेशियों के साथ क्यों जा रही हैं लड़कियां!

खासतौर पर अफ्रीकी और मैक्सिकन युवकों के साथ देखी जा रही हैं यहां की लड़कियां। इनके लिए पूरी-पूरी रात का मजा ही सबकुछ है और ये जानती हैं कि महीने भर के बाद वही अकेली और नीरस जिंदगी है। ये लड़कियां इन विदेशियों के साथ हर पल जी लेना चाहती हैं। इनकी कोशिश है कि इस बहाने अगर दूसरे देश जाने का मौका मिले, तो बुरा क्या है। रूस के लड़के इसी बात पर खफा हैं। सोशल मीडिया पर घमासान मचा है। इनकी नाराजी की वजह यह भी है कि एक माह के सुख के लिए ये लड़कियां अपनी संस्कृति-सभ्यता भी भूल रही हैं।

इन लड़कियों का कहना है कि यही एक माह है कि हम अपनी मर्जी से जी सकती हैं, वरना तो अकेला जीवन ही काटना है हमें तो। उन्हें रूसी लड़कों में कोई जीवन नहीं दिखाई देता है और उनसे बोर हो चुकी हैं। इन लड़कियों का कहना है कि यदि एक माह की रिलेशनशिप में उन्हें देश छोड़ने का मौका मिल रहा है, तो गलत क्या है। 
विज्ञापन

इस देश में वैसे भी उनका भविष्य कुछ नहीं है। सोशल मीडिया पर लड़कियों के इस बर्ताव पर तरह-तरह के कमेंट आ रहे हैं और उन्हें भला-बुरा कहा जा रहा है। मगर इन लड़कियों का कहना है कि बाहर से आए सैलानियों से उन्हें प्यार और इज्जत मिल रही है, जो रूस के युवा से नहीं मिलती है। इसलिए मास्को हो या सेंट पीटर्स बर्ग, यहां हर रात रोशन है और इस रात की सुबह नहीं होती है।

इतना सन्नाटा क्यों हैं भाई...!

moscow journey from night to morning during fifa world cup 2018
बेल्जियम फैंस
जब कोई अभियान अपने चरण पर होता है तो शुरुआत से कहीं ज्यादा रोमांच और उत्साह होता है, लेकिन रूस के इस फुटबॉल विश्व कप का सेमीफाइनल दौर चल रहा है और माहौल ऐसा ठंडा है कि जैसे यहां कभी मंडप ही नहीं लगा था। सेंट पीटसबर्ग में रूस और क्रोएशिया वाले मैच के बाद जैसे सारा उत्साह ही यहां नहरों में बह गया। उस पूरी रात रशिया-रशिया चिल्लाने वाले लोग और स्यापा करते रहे। 

जिस रूस में दो से ज्यादा लोग इकट्ठे हो जाएं कहीं चौराहे पर तो पुलिस पकड़ लेकर ले जाती है, लेकिन उस रात पुलिस ने भी आंख बंद कर ली थी या खुद को समझा लिया था कि देश की टीम हार जाए तो लोग सिवाय रात भर भटकने और रशिया-रशिया चिल्लाने के अलावा और क्या कर सकते हैं। गनीमत यही रही कि उस रात कहीं तोड़फोड़ या मारपीट नहीं हुई। जब अगली सुबह मैं उन सड़कों से पैदल गुजरा तो देखा जगह-जगह खाली बोतलें या प्लास्टिक के खाली मग पड़े या रखे गए थे । 

सिगरेट के इतने ठोंटे शायद ही कभी सड़कों पर नजर आए हों। उस सुनसान और उजाड़ सुबह को देखकर लग रहा था जैसे रूस ने अपने यहां तो विश्व कप का उठावना कर दिया है। ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी-अभी बारात विदा हुई है। चचा गालिब ने शायद ऐसे ही मौके के लिए शेर लिखा होगा कि हम हैं मुश्ताक और वो बेजार, या इलाही ये माजरा क्या है। 

दुनिया भर से लोग आखिरी के तीन-चार मैच देखने दौड़े चले आ रहे हैं कि अब टिकट की भी उतनी मारामारी नहीं है। तीसरे स्थान के लिए यहीं पीटर्सबर्ग में मैच होना है लेकिन कोई गहमागहमी नहीं है। कल तक जिस रेलवे स्टेशन पर पैसा देकर भी टिकट नहीं मिल रहे थे। वहां फ्री टिकट के लिए पूछा जा रहा है। कब के चाहिएं। जिस बुलेट ट्रेन के टिकट नौ-दस हजार तक पहुंच गए थे। अब तीन-चार हजार में मजे से मिल रहे हैं। जब तक मेजबान शामिल न हो दावत कितनी की जानदार क्यों न हो। मेहमान को मजा नहीं आने वाला।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all Sports news in Hindi related to live update of Sports News, live scores and more cricket news etc. Stay updated with us for all breaking news from Sports and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

फॉन्ट साइज चुनने की सुविधा केवल
एप पर उपलब्ध है

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed